November 22, 2024

खेती-किसानी करने वाले हाथ अब बना रहे केमिकल फ़्री साबुन

समूह की महिलाओं ने अभी तक 8000 रूपये से अधिक के बेच चुके हैं साबुन

साबुन की बढ़ रही मांग, ग्रामीण अर्थव्यवस्था में आ रहा निखार

कोरबा 12 अक्टूबर 2020. खुशबुदार और अच्छी गुणवत्ता के साबुन बनाने के लिये बड़े-बड़े फैक्ट्री और महंगे संसाधनों की जरूरत की अवधारणा को कोरबा जिले की महिलायें गलत साबित कर रहीं हैं। खेती-किसानी का काम करने वाले हाथों ने अब घर पर ही साबुन बनाने का काम शुरू कर दिया है। महिलाओं के समूह द्वारा घर पर ही खुशबुदार और केमिकल फ्री साबुन बनाने का काम किया जा रहा है। बिहान योजना के द्वारा वित्त पोषित स्वसहायता समूह की महिलायें साबुन बेचकर अच्छा मुनाफा कमा रहीं हैं। विकासखण्ड कोरबा के ग्राम कटबितला के जय माँ दुर्गा महिला स्वसहायता समूह घर पर ही साबुन बनाने का काम कर रहीं हैं। ग्रामीण अंचल में साबुन बनाकर अलग-अलग जगहों में बेचने से समूह की महिलाओं को अतिरिक्त आमदनी भी हो रही है। स्वसहायता समूह की महिलाओं ने अभी तक आठ हजार रूपये से अधिक का साबुन बनाकर बेच चुकीं हैं। महिला स्वसहायता समूह द्वारा बनाये गये साबुनों की मांग अलग-अलग जगह से आ रही है। समूह द्वारा बनाये गये साबुन को स्थानीय बाजार तथा गांव में ही बेचा जा रहा है। समूह द्वारा बनाये गये केमिकल फ्री साबुन बनाकर बेचने से ग्रामीण अंचल की महिलायें आर्थिक और सामाजिक रूप से समृद्ध और कुशल हो रही है। शासन की बिहान योजना के द्वारा महिलाओं को घर पर ही अधिक आमदनी कमाने का जरिया प्रदान हो रहा है।

कोरबा के ग्राम कटबितला के जय माँ दुर्गा महिला स्वसहायता समूह की सजन बाई कंवर ने बताया कि उनके समूह में 11 महिला सदस्य है। समूह के सदस्यों के द्वारा साबुन बनाने का काम किया जा रहा है। जय माँ दुर्गा महिला स्वसहायता समूह की सजन बाई कंवर ने बताया कि उन्होंने साबुन बनाने का प्रशिक्षण ग्राम सेरीखेड़ी जिला रायपुर में जाकर प्राप्त किया है। साबुन बनाने के लिये सात दिन का प्रशिक्षण प्राप्त करने के बाद श्रीमती कंवर अपने ग्राम कटबितला आकर अपने समूह की महिलाओं से साबुन बनाने की जानकारी साझा की। समूह की महिलाओं ने संगठित होकर साबुन बनाने का काम शुरू किया। साबुन बनाने के लिये महिला समूह को शासन की ओर से एक हजार 500 रूपए का अनुदान प्राप्त हुआ है। श्रीमती कंवर ने बताया कि समूह ने दस हजार रूपये ग्राम संगठन से ऋण भी लिया है। समूह की महिलाओं ने आर्थिक सहायता लेकर साबुन बनाने की योजना को अमल में लाया। साबुन बनाने के लिये उपयोग में आने वाले कच्चे माल की खरीदी रायपुर और कोरबा के बाजार से की। जय माँ दुर्गा स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा 50 और 100 ग्रामों के साबुन बनाना शुरू किये। श्रीमती कंवर ने बताया कि समूह द्वारा रोज और लेमन फ्लेवर में खुशबुदार और केमिकल फ्री साबुन बनाया जा रहा है। घर पर ही बनायी गयी साबुनों को स्वसहायता समूह की महिलाओं द्वारा ही पैकिंग की जाती है। पैकिंग करने के बाद साबुनों को गांवो और स्थानीय बाजारों में बिक्री की जा रही है। घर पर ही साबुन बनाकर बेचने से होने वाले अतिरिक्त आमदनी से समूह की महिलायें खुश हैं। महिला समूह द्वारा साबुन बनाने से ग्रामीण अंचलों में रोजगार का नया जरिया और अर्थव्यवस्था को मजबूत करने का अवसर प्रदान हो रहा है।

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