November 7, 2024

SECL: यहां एक मुर्दा कर रहा नौकरी, सरपंच ने की पुष्टि

कोरबा 4 मार्च एस ई सी एल में फर्जी नॉकरी के कई मामले सामने आ चुके हैं। लेकिन जो मामला अब सामने आया है, वह अन्य मामलों से अलग ही प्रकार का है। इसकी जानकारी गांव के सरपंच को भी है, लेकिन मरे हुए व्यक्ति के नाम पर नौकरी करने वाले को इसका जरा भी ख़ौफ़ नहीं है। मामला कोरबा जिले के भूमिगत खदान बलगी की है, जहां कोमल नाम का एक व्यक्ति गिरधारी नाम के मारे हुए व्यक्ति के नाम पर नॉकरी कर रहा है।

जानकारी के अनुसार बेलटुकरी की जमीन का अधिग्रहण एस ई सी एल ने किया था। उस समय जमीन के बदले में मुआवजा के साथ कुछ हितग्राहियों को एस ई सी एल में नॉकरी भी दी गई थी। उस दौरान गिरधारी नाम का व्यक्ति जीवित था, जिसका नाम अधिकार अभिलेख के दस्तावेज में दर्ज है । 17 माई 1960 के भूअभिलेख का दस्तावेज ये प्रमाणित करता है कि जमीन अधिग्रहण के दौरान गिरधारी जीवित था। उसकी मृत्यु 11 माई 1966 को हुई थी जिसका प्रमाण भी सरकारी दस्तावेजों में दर्ज है।

अब यंहा से शुरू होती है फर्जी दस्तावेज की कहानी बसिबार में रहने वाले कोमल को जैसे ही इस बात की जानकारी हुई । उसने एस ई सी एल में फर्जी दस्तावेज के आधार पर नॉकरी करने का सजगबाग देखना शुरूकर दिया। इसके लिए उसने सारे दस्तावेज एकत्रित किया साथ ही कुछ एस ई सी एल के अधिकारियों को अपने इस कारनामें में शामिल किया। गिरधारी की जब मृत्यु हुई थी उस समय कोमल का जन्म ही नही हुआ था। सरकारी दस्तावेजों में फेरबदल कर सरकारी नॉकरी पर कब्जा कर लिया। इस बात की जानकारी होने पर बसिबार के सरपंच से बात की गई तो सरपंच ने बताया कि कोमल बसिबार का निवासी है। वर्तमान में बलगी खदान में गिरधारी के नाम से नॉकरी कर रहा है। जब हमने इसकी शिकायत की गई है या नही के बारे में पूछा तो सरपंच ने गांव का ही व्यक्ति के खिलाफ शिकायत करना उचित नही है कहते हुए बात को टाल दिया।

एस ई सी एल जब किसी भी भूमिस्वामी को उसके जमीन के एवज में नॉकरी देता है। उस समय उनके दस्तावेजो की जांच के साथ ही गांव के सरपंच व ग्रामीणो से व्यक्ति की पुष्टि जरूर करता है। पर इस मामले में एस ई सी एल के अधिकारियों ने इस तरह की कार्यवाही की और कि तो इतनी बड़ी गड़बड़ी कैसे हुई ये ज्वलंत सवाल है ? अगर अधिकारियों ने पैसे के लालच में आकर इस गलत दस्तावेज को सही करार देकर एस ई सी एल में नॉकरी दिलवाई है। तो ओ अधिकारी भी सजा का अधिकार है । अब मामला सामने आने के बाद उच्चाधिकारियों की। टीम मामले में क्या संज्ञान लेती है ये देखना होगा।

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