November 22, 2024

दीपका कोल खदान विस्तार परियोजना में अर्जित मलगांव अब देवरी में बसेगा

घटते क्रम की सूची में रोजगार पद्धति को मंजूरी, 57 लोगों को मिलेगी नौकरी

कोरबा 13 अप्रैल। जिले की दीपका कोल खदान विस्तार परियोजना के तहत अर्जित मलगांव की पूरी बसाहट अब देवरी गांव की शासकीय भूमि पर बसेगी। साउथ ईस्ट कोल फील्ड लिमिटेड इस अर्जित गांव को देवरी में बसाने के लिए शासकीय भूमि पर सभी विकास कार्य कराएगा। अर्जित गांव के जनप्रतिनिधियों, सरपंच और ग्रामीणों ने घटते क्रम की सूची के आधार पर रोजगार पद्धति को मान्य किया है। इससे मलगांव की अर्जित भूमि के बदले 57 प्रभावित परिवारों के एक-एक सदस्य को एसईसीएल में नौकरी पर रखा जाएगा। कलेक्टर श्रीमती किरण कौशल की अध्यक्षता में दीपका कोल खदान विस्तार परियोजना के लिए अर्जित मलगांव के पुनर्वास और पुनर्विस्थापन के संबंध में गत दिवस जिला पुनर्वास एवं पुनर्स्थापना समिति की बैठक कलेक्टोरेट सभा कक्ष में आयोजित की गई। इस बैठक में मलगांव की सरपंच श्रीमती धनकुंवर, उप सरपंच श्री मनोज कुमार, ग्रामवासी श्री केशव नारायण जयसवाल, श्री संदीप कंवर, श्री जवाहर सहित दीपका कोल खदान परियोजना के महाप्रबंधक श्री रंजन प्रसाद शाह, महाप्रबंधक संचालन श्री पी. मुखर्जी और एसईसीएल मुख्यालय बिलासपुर के महाप्रबंधक श्रम शक्ति तथा महाप्रबंधक भू-राजस्व सहित अन्य अधिकारी और जिला प्रशासन के राजस्व अधिकारी भी शामिल हुए। बैठक में छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति 2007 तथा कोल इंडिया पुनर्वास नीति 2012 के प्रावधानों के तहत मलगांव की अर्जित भूमि के बदले नई बसाहट विकसित करने और पात्र विस्थापित परिवारों के रोजगार आदि के विषय में विस्तृत चर्चा हुई।

बैठक में बताया गया कि मलगांव की अर्जित भूमि के लिए छत्तीसगढ़ पुनर्वास नीति के तहत राज्य सरकार द्वारा निर्धारित एक फसली असिंचित भूमि के बदले आठ लाख रूपए प्रति एकड़ और दो फसली सिंचित भूमि के बदले दस लाख रूपए प्रति एकड़ मुआवजा निर्धारित किया गया है। कोल परियोजना के विस्तार के लिए मलगांव की लगभग 115 एकड़ निजी भूमि का अर्जन किया गया है जिसके लिए प्रभावित परिवारों को नौ करोड़ दस लाख रूपए से अधिक मुआवजा स्वीकृत कर दिया गया है। मलगांव के भू-विस्थापितों के मकान, कुंआ आदि परिसंपत्तियों के लिए मुआवजें का निर्धारण छत्तीसगढ़ शासन द्वारा निर्धारित दरों के अनुसार किया जाएगा। शासकीय एवं वन भूमि पर निवासरत भू-स्वामियों की परिसंपत्तियों का मुआवजा निर्धारण एसईसीएल के इंक्रोचमेंट पॉलिसी या अतिक्रमण नीति के हिसाब से होगा।

दीपका कोल खदान विस्तार परियोजना के लिए मलगांव की 157.63 एकड़ भूमि अर्जित की गई है। जिसमें 114.80 एकड़ निजी और कृषि भूमि है जबकि 42.83 एकड़ शासकीय भूमि का अर्जन किया गया है। मलगांव के कोल परियोजना के लिए अर्जन से लगभग एक हजार 100 परिवार विस्थापित होंगे। परियोजना विस्तार के लिए अर्जित की गई निजी भूमि में से आदिवासी वर्ग के 143 आदिवासी वर्ग के खातेदार और गैर आदिवासी वर्ग के 93 खातेदार शामिल हैं। भू-विस्थापितों को दी जाने वाली नौकरियों की संख्या प्रभावित क्षेत्र में अधिग्रहित की गई कुल निजी भूमि के रकबे को दो से भाग देकर निर्धारित की गई है। मलगांव की कुल अर्जित निजी भूमि के हिसाब से 57 प्रभावितों को एसईसीएल में रोजगार की संभावना है।

क्या है घटते क्रम की सूची अनुसार रोजगार की पद्धति – घटते क्रम की पद्धति में खातेदारों को अर्जित भूमि के रकबे के हिसाब से सबसे अधिक से सबसे कम के क्रम में सूची बद्ध किया जाता है। जिस खातेदार या भूस्वामी की अर्जित भूमि का रकबा सबसे ज्यादा होता है वह पहले स्थान पर तथा इसी तरह घटते क्रम में सबसे कम रकबे की अर्जित भूमि का खातेदार या भूस्वामी सूची में सबसे नीचे होता है। अधिग्रहित की गई कुल निजी भूमि के रकबे को दो से भाग देकर जो संख्या तय होती है वह संख्या रोजगार पाने वाले लोगों की संख्या मान्य की जाती है। घटते क्रम में बनी सूची के अनुसार वह संख्या जिस सरल क्रमांक पर समाप्त होती है वह रोजगार के लिए अंतिम कटऑफ होता है और उस कटऑफ पॉइंट तक ही हितग्राहियों को रोजगार देना सुनिश्चित किया जाता है।

देवरी में बसेगा नया मलगांव, हर परिवार को मिलेगा छह डिसमील प्लॉट- दीपका विस्तार कोल परियोजना के लिए अर्जित मलगांव को पुनर्वास गांव के रूप में देवरी गांव की शासकीय भूमि पर बसाया जाएगा। यहां पुनर्वासित प्रत्येक परिवार को छह डिसमील प्लॉट आबंटित किए जाएंगे। बसाहट स्थल में यदि कोई परिवार प्लॉट लेना नहीं चाहे तो उन्हें तीन लाख रूपए नगद राशि दी जाएगी। नए बसाहट स्थल पर लोगों को पक्की सड़क और नाली, स्ट्रीट लाईट की व्यवस्था, पीने के पानी की व्यवस्था, सामुदायिक भवन, खेल का मैदान, प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, तालाब, पूजा स्थल, स्कूल, पंचायत भवन, आंगनबाड़ी और बाजार के लिए भी स्थान की व्यवस्था एसईसीएल द्वारा की जाएगी।

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