November 23, 2024

मेरी मौत हो जाये तो, मेरी लाश को पुलिस के सुपुर्द कर देना…

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नई दिल्ली: एक बुजुर्ग ने अपने घर के बाहर एक पोस्टर लगा रखा था जिसमें लिखा था “अगर मेरी मौत हो जाये तो मेरी लाश को पुलिस के सुपुर्द कर देना.”

दरअसल यह उस 80 वर्षीय बिमार बुजुर्ग पिता ने लिखा था जिनके बच्चे उन्हें घर पर देखने इसलिए नहीं आये, क्योंकि उन्हें इस बात का डर था कि पिता को कोरोना हो गया हैं औऱ उनका हालचाल पूछने गए तो वे भी कोरोना के शिकार हो जायेगे. भगवान के भरोसे छोड़े गये बुजुर्ग की सहायता के लिये दिल्ली पुलिस आगे आई। एक कॉन्स्टेबल ने बुजुर्ग की जान बचाने में अहम भूमिका निभाई और उन्हें किसी तरह घर से निकाल कर अस्पताल में भर्ती कराया।

जानकारी के मुताबिक, रविवार की सुबह करीब 11 बजे ओल्ड राजेंद्र नगर में रहने वाले एक बुजुर्ग शख्स की बेटी ने पीसीआर पर कॉल करके बताया कि उसके पिता को पिछले कुछ दिनों से बुखार है। मरीज को कुछ अन्य गंभीर हेल्थ प्रॉब्लम्स होने की जानकारी भी उनकी बेटी ने दी, लेकिन साथ में यह भी कह दिया कि उसे डर है कि शायद उसके पिता को कोरोना हो गया है और इसी वजह से वह उनके पास नहीं जाना चाहती है। सूचना मिलते ही राजेंद्र नगर थाने में तैनात कॉन्स्टेबल राजू राम (32) जब बताए गए पते पर पहुंचे, तो घर के बाहर लगा एक पोस्टर देखकर हैरान रह गए। उस पोस्टर पर वहां रह रहे मुरलीधर (80) ने लिख रखा था कि अगर उनकी मौत हो जाए, तो उनकी लाश पुलिस के सुपुर्द कर दी जाए।

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जांच में पता चला कि इस घर के थर्ड फ्लोर पर रहने वाले मुरलीधर सीआईडी ऑफिसर रह चुके हैं। उनकी तीन बेटियां हैं, जिनकी शादी हो चुकी हैं। उनमें से दो बेटियां दिल्ली में और एक बाहर रहती हैं। कालकाजी में रहने वाली उनकी बेटी ने पुलिस को कॉल करके उनके बारे में सूचना दी थी। मौके पर पहुंचे कॉन्स्टेबल राजू राम ने बुजुर्ग को अस्पताल ले जाने के लिए कैट्स एंबुलेंस बुलाई। पहले तो बुजुर्ग ने अस्पताल जाने से ही मना कर दिया, जिसके बाद एंबुलेंस वापस भेजनी पड़ी। फिर राजू ने अपने साथी कॉन्स्टेबल प्रदीप को फोन करके बुलाया और दोनों पुलिसवाले पीपीई किट पहनकर ऊपर गए। काफी समझाने के बाद मुरलीधर अस्पताल जाने के लिए राजी हुए, जिसके बाद कॉन्स्टेबल राजू ने दोबारा से एंबुलेंस बुलाई और उन्हें आरएमएल हॉस्पिटल ले गए।

इस दौरान पुलिसवालों के सामने खुद को भी संक्रमण के खतरे से बचाने की चुनौती थी। ऐसे में पूरी एहतियात के साथ और तय प्रक्रिया का पालन करके मरीज को घर से अस्पताल शिफ्ट करने में ही तीन घंटे लग गए। आरएमएल हॉस्पिटल ले जाने के बाद कॉन्स्टेबल ने मुरलीधर को खाना और दूध या जूस पिलाने की कोशिश भी की, लेकिन उन्होंने कुछ भी खाने-पीने से मना कर दिया और केवल पानी मांगा, जिसके बाद पुलिसवाले उनके लिए पानी लेकर आए। इस बीच डॉक्टरों ने उनके चेस्ट का एक्स-रे किया, जिसमें काफी इन्फेक्शन पाया गया। उनका ऑक्सीजन लेवल भी कम पाया गया, जिसके बाद डॉक्टरों ने मुरलीधर को इलाज के लिए अस्पताल में भर्ती कर लिया। बाद में पुलिसवालों ने उनकी बेटी को फोन करके सूचित किया कि उनके पिता का अस्पताल में भर्ती करवा दिया है। इस पर उनकी बेटी ने भी पुलिसवालों का शुक्रिया अदा किया। मूल रूप से राजस्थान के सीकर के रहने वाले कॉन्स्टेबल राजू राजेंद्र नगर थाने में बनी बैरक में ही रहते हैं। उनकी पत्नी और बच्चे गांव में ही रहते हैं।

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