नगर निगम के मुख्य लेखाधिकारी पर गंभीर आरोप , सीएम से शिकायत
कोरबा। नगर निगम कोरबा में मुख्य लेखा अधिकारी के पद पर कार्यरत पी आर मिश्रा के द्वारा अपने रिश्तेदार को विगत कई वर्षों से निगम में मनमाने दर पर ठेकेदारी कराने की शिकायत मुख्यमंत्री से की गई है। शिकायत कर्ता ने अपने पत्र में दो वर्ष पूर्व की गई निविदा का उल्लेख करते हुए कहा है कि नगर निगम कोरबा में मेसर्स बालाजी एसोसिएट्स नामक ठेका कंपनी विगत कई वर्षों से कार्यरत है व निगम के मुख्य लेखाधिकारी पी आर मिश्रा उक्त ठेका कंपनी के मालिक पंकज गौतम के बहनोई है। नियमानुसार नगर निगम के किसी भी अधिकारी खासकर लेखाधिकारी के रिश्तेदार संबंधित निगम में ठेकेदारी नही कर सकते परंतु श्री मिश्रा व उनके रिश्तेदार के द्वारा नियमो को ठेंगा दिखाते हुए अन्य अधिकारियों से सांठ गांठ कर मनचाही दरों में ठेका लिया जाता है।
ठेकेदार द्वारा निगम में शपथ पत्र दिया गया है कि कोरबा नगर निगम में उनका कोई निकट रिश्तेदार कार्यरत नही है। श्री मिश्रा लेखाधिकारी होने के साथ साथ निगम को प्राप्त निविदाओं को स्वीकृति प्रदान करने वाली निविदा समिति के सदस्य भी है जिससे इस अपराध में उनकी संलिप्तता उजागर होती है।
शिकायतकर्ता ने ठेकेदार पर निविदा हेतु गलत दस्तावेज प्रदान करने का आरोप भी लगाया है जिसे श्री मिश्रा के प्रभाव के कारण निगम अधिकारियों द्वारा नजर अंदाज किया गया है। संबंधित निविदा के एस्टीमेट को लेकर भी संशय की स्थिती बनी हुई है। इस प्रकार का एस्टिमेट पूर्व में किसी भी समतुल्य कार्य के लिए नही बनाया गया है जिससे ठेकेदार को अनुचित लाभ पहुँचाने मंशा स्पष्ट नज़र आती है। उक्त कार्य के प्रथम देयक का भुगतान तत्कालीन आयुक्त रणबीर शर्मा के स्थानांतरण के समय आनन फानन में निगम अधिकारियों द्वारा कराया गया था जिसका संज्ञान लेते हुए शिकायत पत्र में निर्माण कार्य के भौतिक सत्यापन की भी मांग की गई है। शिकायतकर्ता के अनुसार उक्त मामले की शिकायत जनवरी माह में की गई थी जिस पर कार्यवाही करते हुए मुख्यमंत्री ने नगरीय प्रशासन विभाग को जांच का आदेश दिया है। आदेश के परिपालन में संयुक्त संचालक नगरीय प्रशासन व विकास विभाग, बिलासपुर ने कोरबा निगम आयुक्त से 03 दिवस में जवाब मांगा है। जानकारी अनुसार ठेकेदार फर्म के द्वारा वर्तमान में भी निगम में ठेका लिया जा रहा है।
शिकायतकर्ता का कहना है कि ठेकेदार को निगम अधिकारियों का संरक्षण प्राप्त है और सूचना के अधिकार अंतर्गत भी संबंधित ठेका कंपनी के दस्तावेज प्रदान करने में आनाकानी की जाती है। पी आर मिश्रा पर पूर्व में भी अनियमितता के आरोप लगते रहे है। ठेकेदारों के अनुसार उनके द्वारा भुगतान करने के एवज में लंबी राशि की मांग की जाती है। रिश्वत प्राप्त होने तक भुगतान की फ़ाइल स्टेशनरी शाखा में रखवा दी जाती है और रिश्वत मिलने के पश्चात ही चेक काटा जाता है। मुँह मांगी रिश्वत न मिलने पर फाइल गायब कर दी जाती है या महत्वपूर्ण दस्तावेजो को गुम कर दिया जाता है। इस कार्य मे स्टेशनरी शाखा के एक बाबू की भूमिका महत्वपूर्ण है जिसे श्री मिश्रा का संरक्षण प्राप्त है। यही कारण है कि कई वर्षों से उक्त बाबू की नई पदस्थापना नही हुई है और वह स्टेशनरी शाखा में ही अपने पैर जमाये बैठा है। श्री मिश्रा का कार्यकाल इस माह 30 जून को समाप्त हो रहा है। उनके द्वारा संविदा के माध्यम से पुनः निगम में नियुक्ति का प्रयास किया जा रहा है ताकि भविष्य में भी अनियमितताओं को अंजाम दिया जा सके।