मरवाहीः वन मंत्री के आदेश की उपेक्षा कर भ्रष्टाचार के आरोपी को बनाया डी. एफ. ओ.
गेंदलाल शुक्ल
जंगल विभाग में राकेश चतुर्वेदी का जंगल राज
कोरबा 4 सितम्बर। छत्तीसगढ़ में राजनीतिक अस्थिरता के चलते प्रशासनिक अराजकता पांव पसारने लगा है। इसका ताजा उदाहरण वन विभाग का मरवाही वन मण्डल है। हाल ही में यहां आई. एफ. एस. अधिकारी और राज्य सेवा के सीनियर अधिकारी की उपेक्षा कर भ्रष्टाचार के आरोपी एस. डी. ओ. को डी. एफ. ओ. का प्रभार दे दिया गया है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक के इस आदेश के पीछे अनुचित साधन का इस्तेमाल किया जाना बताया जा रहा है।
दरअसल 31 अगस्त 2021 को वन मण्डल मरवाही के स. ब. स. संलग्नाधिकारी आर. के. मिश्रा सेवानिवृत्त हो गये। इस रिक्त पद की पूर्ति के लिए प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने अनुसंधान एवं विस्तार वन मण्डल बिलासपुर के भारतीय वन सेवा के डी. एफ. ओ. जितेन्द्रकुमार उपाध्याय को अस्थायी रूप से अतिरिक्त प्रभार, आदेश क्र./प्रशा. राज/811 दि. 31अगस्त 2021 के जरिये सौंपा। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से 31अगस्त 2021 को ही प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने एक और आदेश जारी कर आर. के. मिश्रा के सेवानिवृत्ति उपरांत पेण्ड्रा मरवाही के एस. डी. ओ. वन संजय त्रिपाठी को मरवाही डी. एफ. ओ. का प्रभार सौंपने का आदेश जारी कर दिया।इसके साथ ही संजय त्रिपाठी ने मरवाही डी. एफ. ओ. का प्रभार ग्रहण कर लिया।
एक ही दिन में जारी ये दो आदेश विभाग में चर्चा का विषय बन गये हैं। खास बात यह है, कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने भारतीय वन सेवा के अधिकारी जितेन्द्र कुमार उपाध्याय की जहां उपेक्षा की, वहीं वन मण्डल मरवाही में ही पदस्थ और संजय त्रिपाठी से तीन साल सीनियर एस. डी. ओ. वन के. पी. डिण्डोरे के रहते हुए एक जूनियर अधिकारी संजय त्रिपाठी को डी. एफ. ओ. का प्रभार दे दिया। चर्चा है कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक ने जातीय आधार पर भेदभाव करते हुए, अनुचित साधन के चलते जूनियर अधिकारी को डी. एफ. ओ. तैनात किया है।
प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने पहली बार प्रभारी का खेल किया हो, ऐसी बात नहीं है। 31 अगस्त 2021 तक डी. एफ. ओ. रहे आर. के. मिश्रा का भी मूल पद एस. डी. ओ. ही था, लेकिन कथित रूप से रिश्तेदार होने के कारण राकेश चतुर्वेदी ने उन्हें ढाई साल तक मरवाही वन मण्डल का प्रभारी डी. एफ. ओ. बना कर रखा। इस अवधि में आर. के. मिश्रा ने वन मण्डल में करोड़ों रूपयों की हेराफेरी की, ऐसी चर्चा है। प्रभारी डी. एफ. ओ. संजय त्रिपाठी भी करोड़ों रूपयों के भ्रष्टाचार के लिए चर्चित हैं।
आपको बता दें कि प्रभारी डी. एफ. ओ. संजय त्रिपाठी के खिलाफ करोड़ों रूपयों के भ्रष्टाचार के आरोप की जांच का निर्देश प्रदेश के वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने दे रखा है। छ. ग. प्रदेश कांग्रेस की सचिव सुश्री नैन अजगल्ले ने जुलाई 2021 में वन मंत्री से संजय त्रिपाठी की शिकायत की थी। सुश्री अजगल्ले के अनुसार संजय त्रिपाठी 2013 से मरवाही में रेंजर के पद पर पदस्थ थे। वर्ष 2020 में पदोन्नति के बाद उन्हें इसी रेंज में एस. डी. ओ. पदस्थ कर दिया गया। इस बीच 50 से 60 करोड़ रूपयों के कार्य केवल कागजों में किया गया। वरिष्ठ कांग्रेस नेता डॉ. नरेन्द्र राय ने इस आशय की शिकायत जनवरी- 2021 में प्रधान मुख्य वन संरक्षक से की, लेकिन उस पर कोई कार्रवाई नहीं की गयी।सुश्री नैन अजगल्ले ने संजय त्रिपाठी को स्थानीय व्यवस्था के तहत उप प्रबन्ध संचालक जिला यूनियन मरवाही के रिक्त पद पर पदस्थ कर उनके द्वारा किये गए भ्रष्टाचारों की जांच कराने का आग्रह भी वन मंत्री से अपनी शिकायत में किया था।
वन मंत्री मोहम्मद अकबर ने सुश्री नैन अजगल्ले की शिकायत को गंभीरता से लेते हुए मामले की जांच कराया जाकर रिपोर्ट देने का आदेश 15 जुलाई 2021 को दिया है। वन मंत्री के इस आदेश के चंद दिनों बाद ही प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी ने, मंत्री के आदेश के परिपालन में जांच कराने की जगह भ्रष्टाचार के आरोपी संजय त्रिपाठी को मरवाही वन मण्डल में ही डी. एफ. ओ. का प्रभार दे दिया। इस कार्रवाई को जहां भ्रष्टाचार को प्रश्रय और बढ़ावा देना माना जा रहा है, वहीं
प्रशासनिक अराजकता भी कहा जा रहा है। चर्चा है कि इस आदेश में लिए अनुचित साधन का भी उपयोग किया गया है।
यहां उल्लेखनीय है कि वन मण्डल मरवाही की गिनती प्रदेश के वन संपदा की दृष्टि से समृद्ध क्षेत्र के रूप में होती है। यहीं समृद्धि जंगल विभाग के अफसरों को अपनी ओर आकर्षित करती है। प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी भी संभवतः इसी आकर्षण में बंधे हुए हैं और प्रभारी अधिकारियों को मोहरा बनाकर भ्रष्टाचार का बड़ा खेल कर रहे हैं। मरवाही के सेवा निवृत्त डी. एफ. ओ. आर. के. मिश्रा पर भी ढाई वर्ष के कार्यकाल में करोड़ों रूपयों के भ्रष्टाचार के आरोप लगाये गये थे, लेकिन उनके खिलाफ कार्रवाई तो दूर जांच भी नहीं करायी गयी और गत 31 अगस्त 2021 को उन्हें ससम्मान सेवानिवृत्त कर दिया गया। जबकि आर. के. मिश्रा के खिलाफ मनरेगा जैसी संवेदनशील योजना में भ्रष्टाचार की शिकायत कलेक्टर गौरेला- पेण्ड्रा- मरवाही द्वारा मनरेगा के आयुक्त से भी की गयी है।
बहरहाल इस मामले से इतना तो साफ हो जाता है, कि प्रधान मुख्य वन संरक्षक के राज में जंगल विभाग में जंगल का कानून प्रभावी है। प्रदेश के वन मंत्री के आदेश की खुली अवहेलना कर, भ्रष्टाचार के आरोपी संजय त्रिपाठी के खिलाफ जांच कराने की जगह मरवाही में ही उन्हें डी. एफ. ओ. बना देना इसका प्रमाण है। मरवाही जैसे महत्वपूर्ण वन मण्डल में आई. एफ. एस. अधिकारी की नियुक्ति नहीं करना भी जंगल विभाग के मुखिया की सोच को उजागर करता है। सीनियर अधिकारी की उपेक्षा कर जूनियर को प्रभारी डी. एफ. ओ. बनाना भी किसी खास मिशन की ओर इशारा करता है। देखना होगा कि आने वाले दिनों में प्रधान मुख्य वन संरक्षक राकेश चतुर्वेदी अपने मोहरे के मार्फत मरवाही में क्या गुल खिलाते हैं?