October 4, 2024

एलएनजी से चलेगी खदानों की भारी वाहनें, थमेगी डीजल चोरी की आर्थिक क्षति

कोरबा 10 जनवरी। कोल इंडिया लिमिटेड की कोयला खदानों में चलने वाली भारी भरकम वाहन आने वाले समय में लिक्यूफाइड नेचुरल गैस एलएनजी से चलेंगे। डीजल की उपयोगिता को 40 फीसद कम करने का लक्ष्य प्रबंधन ने तैयार किया है। इससे पर्यावरण का संरक्षण भी होगा और डीजल चोरी से होने वाले आर्थिक क्षति भी थमेगी।

कोयला खदानों में उत्खनन और परिवहन में लगे डंपरोंए डोजर व अन्य भारी वाहनों में ईंधन के तौर पर इस्तेमाल होने वाले डीजल का विकल्प एलएनजी के रुप में ढूंढ लिया है। दरअसल लगातार हो रही डीजल चोरी पर लगाम कसने के लिए कोल इंडिया प्रबंधन गैस किट डीजल के स्थान पर अब कोल इंडिया एलएनजी किट का इस्तेमाल करेगी। कोल इंडिया ने एक तीर से दो निशाना लगाने का प्रयास किया है। एक तरफ डीजल के कम उपयोग से कार्बन फुटप्रिंट कम कर पर्यावरण असंतुलन जैसी परिस्थितियों से निपटने की बात कही जा रही हैए तो दूसरी ओर कोयला खदानों में निरंकुश हो चुके डीजल चोरी पर भी लगाम कसने की तैयारी है। पहले चरण में 100 टन के डंपर में एलएनजी किट लगाने की प्रक्रिया शुरू की है, जो महानदी कोलफिल्ड्स लिमिटेड में संचालित डंपरों में लगाया जा रहा है। इसके बाद एसईसीएल के साथ कोल इंडिया की अन्य कंपनियों के संचालित डंपरों में एलएनजी किट लगाया जाएगा। फिलहाल केवल 100 टन की क्षमता के डंपरों में एलएनजी किट लगेगी। तदुपरांत उच्च क्षमता के डंपरों में किट लगाई जाएगी। एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट दीपका कुसमुंडा और गेवरा खदान में सभी क्षमता के डंपर संचालित हैं। बताया जा रहा है कि एलएनजी के उपयोग से 40 फीसद तक ईंधन की लागत को कमी आएगी। इससे ईंधन की लागत में 15 फीसद की कमी आने की संभावना है और 500 करोड़ रुपये के बचत का भी अनुमान है। इसके साथ ही डीजल चोरी पर अंकुश लगेगा। दीपका, गेवरा और कुसमुंडा के कोयला खदानों में बड़े पैमाने पर संचालित डंपरों से डीजल चोरी करने चोर गिरोह सक्रिय है। पुलिस समय समय पर इनके खिलाफ कार्रवाई करती है, बावजूद चोरी पर अंकुश नहीं लग पा रहा है।

सीएनजी की तरह एलएनजी को भी वाहनों में इस्तेमाल किया जाता है। लेकिन एक्सपर्ट्स के मुताबिक सीएनजी के मुकाबले एलएनजी ज्यादा ज्वलनशील होती है, इससे ज्यादा एनर्जी मिलती है। एलएनजी को लिक्विफाइड नेचुरल गैस कहते हैं। फिलहाल एलएनजी को आमतौर पर हवाई जहाज के लिए इस्तेमाल किया जाता है। प्राकृतिक गैस को 160 डिग्री सेल्सियस तक ठंडा करके तरल रूप में ट्रांसपोर्ट किया जाता है। इसे लिक्विफाइड नेचुरल गैस कहते हैं। नेचुरल गैस से तरल रूप में आते-आते इससे अशुद्धियां निकल जाती हैं। दावा है कि इससे प्रदूषण की मात्रा कम होती है और वाहनों को माइलेज भी अधिक मिलता है।

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