December 18, 2024

भू-विस्थापितों ने सीएमडी व प्रबंधन का पुतला फूंका

कोरबा 11 जून। गेवरा महाप्रबंधक के सामने चलाए जा रहे अनिश्चतकालीन आंदोलन के तहत शुक्रवार को एसईसीएल के सीएमडी व प्रबंधन का पुतला जलाकर भू-विस्थापितों ने आक्रोश व्यक्त किया। आंदोलनकारियों ने कहा कि मांगों को पूरा करने में जितना देर लगाया जाएगा, आंदोलन उतना ही उग्र होगा। उन्होंने कहा है कि इसके अगले चरण में खनन विस्तार क्षेत्र रलिया उमेंदीभाठा के ओबी कार्य को बंद किया जाएगा।   

आक्रोश रैली व प्रदर्शन के साथ सीएमडी तथा चारों क्षेत्र के महाप्रबंधकों के नाम ज्ञापन सौंपा गया था। जिले में एसईसीएल की गेवरा, दीपका, कुसमुंडा और कोरबा क्षेत्र के विभिन्न कोयला खदानों के लिए हजारों किसानों की जमीन अर्जित किया गया है, भविष्य में भी और भी विस्तार किया जाएगा। इसके कारण कई गांव का अस्तित्व ही समाप्त हो चुका है। उर्जाधानी भू-विस्थापित किसान कल्याण समिति के बैनर तले चलाए जा रहे आंदोलन में शामिल पदाधिकारियों का कहना है कि कोयला परिवहन के लिए बिछाए जा रहे रेल लाइन के कारण प्रभावित होने वाले परिवारों की परिसंपतियों, श्मशान, कब्रिस्तान मठ का मुआवजा एवं अन्य सुविधाएं दिलाने के लिए उचित कार्रवाई करने पूर्व में खदानों के कारण विस्थापित हुए परिवारों के पुनर्वास ग्रामों में सभी आवश्यक विस्तार कार्य करने, बुनियादी सुविधाएं प्रदान करने, वहां निवासरत युवाओं और महिलाओं को वैकल्पिक रोजगार, स्वरोजगार उपलब्ध कराने, गेवरा, कुसमुंडा व दीपका क्षेत्र में भू-विस्थापितों के लिए लागू पांच लाख रुपये तक की ठेका कार्य के शर्तो में संशोधन किया जाए और कोरबा क्षेत्र में भी लागू किया जाए तथा पांच लाख तक का टेंडर वर्क केवल भू-विस्थापितों के लिए ही रखा जाए। आंदोलनकारियों ने कहा कि भू-विस्थापित परिवारों के बेरोजगारों के लिए कोल ट्रांसपोर्टेशन सहित सभी तरह की टेंडर में 20 प्रतिशत आरक्षण लागू करने, गेवरा क्षेत्र में पदस्थ भू राजस्व अधिकारी अमिताभ तिवारी की भू-विस्थापितों के साथ की जाने दुव्र्यवहार और भू-विस्थापित विरोधी गतिविधियों के कारण एसईसीएल व भू- विस्थापित परिवारों के बीच संबंध लगातार खराब हुआ है। इसलिए उन्हें उनके कार्यस्थल से हटाया जाए। आंदोलनकारियों ने सीएमडी व प्रबंधन का पुतला फूंक कर नाराजगी जताई। साथ ही जल्द मांग पूर्ण न होने पर उग्र आंदोलन की चेतावनी दी। इस दौरान रूद्र दास महंत, ललित महिलांगे, गजेंद्र सिंह ठाकुर, प्रकाश कोर्राम, संतोष चौहान, पवन कुमार यादव, राहुल जायसवाल, अनसुईया राठौर, ब्रृज कंवर, धन कुंवर, नरेंद्र राठौर, वीर सिंह, प्रतिक राज, संजू कंवर, महतरीन बाई, संदीप कंवर, भागीरथ यादव, रविंद्र जगत, सुभद्रा, फूलेंद्र सिंह, दयाराम सोनी, काशीनाथ व अनेक भू-विस्थापित शामिल रहे।

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