November 24, 2024

नेशनल लोक अदालत में 21 हजार 377 प्रकरणों का हुआ निराकरण

कोरबा 14 अगस्त। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नालसा एवं छत्तीसगढ़ राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के निर्देशानुसार जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा द्वारा जिला एवं तहसील स्तर पर सभी मामलों से संबंधित नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिला एवं सत्र न्यायाधीश एवं अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण कोरबा श्री डीएल कटकवार के आतिथ्य में नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ हुआ। नालसा थीम सांग न्याय सबके लिये के साथ नेशनल लोक अदालत का शुभारंभ किया गया।

जिसमें न्यायालय में कुल 25 हजार 86 प्रकरण रखे गये थे, जिसमें न्यायालयों में लंबित प्रकरण 1919 एवं प्री.लिटिगेशन के 23 हजार 130 प्रकरण थे। जिसमें राजस्व मामलों के 20 हजार 459 प्रकरण सहित कुल 20 हजार 539 प्री.लिटिगेशन प्रकरण तथा न्यायालयों में लंबित प्रकरणों के कुल 807 प्रकरणों सहित कुल 21 हजार 377 प्रकरणों का निराकरण नेशनल लोक अदालत में समझौते के आधार पर हुआ। विशिष्ठ अतिथि श्री बी राम, प्रधान न्यायाधीश, कुटुम्ब न्यायालय कोरबा, अध्यक्ष, जिला अधिवक्ता संघ कोरबा, अपर सत्र न्यायाधीश कु.संघपुष्पा भतपहरी, अपर सत्र न्यायाधीश, एफ टीसी कोरबा श्रीमति ज्योति अग्रवाल, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट कोरबा श्री कृष्ण कुमार सूर्यवंशी, द्वितीय व्यवहार न्यायाधीश वर्ग-एक कोरबा श्री हरीश चंद्र मिश्र, अतिरिक्त व्यवहार न्यायाधीश वर्ग.एक कोरबा श्रीमति प्रतिक्षा अग्रवाल, श्री संजय कुमार जायसवाल, अध्यक्ष जिला अधिवक्ता संघ, कोरबा श्री नूतन सिंह ठाकुर, सचिव जिला अधिवक्ता संघ कोरबा, श्री बी के शुक्ला, सदस्य, छग राज्य विधिज्ञ परिषद बिलासपुर दीप प्रज्जवलन कार्यक्रम में उपस्थित थे।

बेसहारा महिला का सहारा बना नेशनल लोक अदालत- लोक अदालत में मोटर दुर्घटना दावा अंतर्गत एक प्रकरण में दिनांक 16/06/2021को शाम 07.30 बजे ग्राम सरगबुंदिया थाना उरगा के पास अनावेदक क्र. 01 ट्रक क्रमांक सी.जी.07.बी.एल.5755 ने तेजी एवं लापरवाही पूर्वक चलाते हुए मोटर सायकल क्र. सी.जी.11.ए.एच.4209 को ठोकर मारकर दुर्घटनाग्रस्त किया गया। जिससे मोटर सायकल सवार पुष्पेन्द्र कुमार बियार को गंभीर चोट लगने से उसकी मृत्यु हो गयी। ऐसे में मृतक जो एकमात्र कमाने वाला सदस्य था, के मृत्यु के पश्चात् बेसहारा आवेदिका श्रीमति रेखा बीयार के लिये अत्यंत कठिन हो चला था। आवेदकगण ने क्लेम प्रकरण क्रमांक 651/2021 माननीय न्यायालय में प्रस्तुत किया गया था। प्रकरण में आावेदकगण एवं अनावेदक बीमा कंपनी ने हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में संयुक्त रूप से समझौता कर आवेदन पत्र प्रस्तुत किया, जिसमें उनके द्वारा 15,00,000 रूपये पन्द्रह लाख रूपये बिना किसी डर.-दबाव के राजीनामा किया तथा बेसहारा महिला को जीवन जीने का एक सहारा नेशनल लोक अदालत ने प्रदान किया।

हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में घर बैठे मिला गरीब आवेदक को न्याय- एक अन्य प्रकरण में मोटर दुर्घटना में श्रीमति सुंदरिया बाई बिंझवार की मृत्यु हो जाने पर आवेदकगण न्याय पाने के लिए दो साल से भटकते रहे। जिससे न्याय मेें देरी तथा मोटर यान अधिनियम के तहत क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त नहीं होने से आवेदक ने न ही अपने परिवार का सदस्य खोया साथ की क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त करने में हो रही देरी भी अन्याय प्रतीत हो रही थी। ऐसे में आज आयोजित हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में आवेदकगणों ने घर बैठे विडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से अपने लंबित प्रकरण का बीना डर एवं दबाव के राजीनामा कर कुल 11,50,000 ग्यारह लाख पचास हजार रूपये मात्र मोटर यान अधिनियम 1988 की धारा 166 के अतंर्गत क्षतिपूर्ति राशि प्राप्त कर न्याय प्राप्त किया और इस प्रकार नेशनल लोक अदालत गरीब आम जनों को उनके द्वार में पहुंचकर न्याय प्रदान कर न्याय सबके लिए का घोषवाक्य को चरितार्थ किया।

नाबालिग बच्चियों को फिर से मिला माता-पिता का दुलार- आज के वर्तमान परिवेश में दाम्पत्य जीवन की डोर कमजोर हो चली है। आपसी विवाद घरेलू हिंसा तथा एक दूसरे पर विश्वास की कमी कमजोर दाम्पत्य जीवन का आधार बन रही है। ऐसे ही घटना कुटुंब न्यायालय में विचाराधीन था। आवेदक एवं अनावेदक के 12 वर्ष पूर्व हुए विवाह से दो पुत्रियां प्राप्त हुई विवाह के बाद से ही आवेदक एवं अनावेदिका के मध्य आपसी सांमजस्य की कमी एवं अविश्वास के चलते आपस में अनबन एवं लड़ाई झगड़े होने शुरू हो गए। जिससे अनावेदिका अपना घर छोडकर अपने मायके चली गई तथा आवेदक के मनाने पर भी घर वापस आने से इंकार कर रही थी ऐसे में नाबालिग बच्चियों का भविष्य अधर में नजर आ रहा था। आयोजित हाईब्रीड नेशनल लोक अदालत में आवेदक एवं आवेदिका को साथ रह कर आपसी सामंजस्य के साथ जीवन जीने की समझाईश दी गई। जिससे आवेदक एंव अनावेदिका ने समझाईश को स्वीकार कर अपने दोनों नाबालिग बच्चियों के भविष्य हेतु राजीनामा के आधार पर सुखपूर्वक एवं खुशहाल जीवन यापन हेतु बिना डर एवं दबाव के समझौता किया। इस प्रकार नेशनल लोक अदालत ने बच्चियों को माता-पिता का दुलार प्रदान करने एवं सुखमय जीवन यापन करने में सहायता प्रदान की

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