November 22, 2024

रखरखाव के अभाव में शहर के उद्यानों की बिगड़ी सूरत

कोरबा। शहर के उद्यान इन दिनों खराब हालत में पड़े हैं। रखरखाव ठीक नहीं होने के कारण उद्यान प्रकृति सौंदर्य बिखेरने की बजाय गंदगी फैला रहे हैं।
शहर के कॉलोनियों में विकसित किए गए उद्यान कूड़ेदान बन गए हैं। महाराणा प्रताप उद्यान को निगम के कबाड़ रखने की जगह बना दी गई है। सुभाष चौक के निकट फलोद्यान को बाउंड्रीवाल भी नसीब नहीं है। संरक्षण के अभाव में उद्यान प्राकृतिक सौंदर्य बिखरने की बजाय गंदगी के ढेर साबित हो रहे हैं। औद्योगिक जिला होने से शहर का पर्यावरणीय वातावरण प्रदूषित स्वाभाविक है। इस तरह की आपदा पर नियंत्रण के लिए शहर में जगह-जगह छोटे-बड़े उद्यान विकसित किए गए हैं। अच्छी बात यह है कि वर्षों पहले यहां रोपे के पौधे अब वयस्क हो चुके हैं। उद्यान के पौधों को अब संरक्षण की जरूरत है। सुभाष चौक के फलोद्यान के आगे व्यवसायियों का कब्जा हो गया है। शाम होते ही यहां असामाजिक तत्वों भीड़ लगी रहती है। शराब पीने वालों के लिए यह सुरक्षित जगह बन गया है। उद्यान के चारों ओर प्लास्टिक कचरों का ढेर देखा जा सकता हैं। परिसर में आवासों के मलबे को भी डंप किया गया है। नगर निगम ने दो साल पहले इस उद्यान परिसर में जैविक खाद बनाने की योजना तैयार की थी। मणिकंचन केंद्र तैयार कर महिलाओं को आजीविका मिशन से जोड़ना था। राशि स्वीकृति के अभाव में यह कार्य मूर्तरूप नहीं ले सका। मुख्य मार्गों में नियमित सफाई होती है, लेकिन उद्यान परिसर की दुर्दशा को उसके हाल पर ही छोड़ दिया गया। उद्यान में पहले दो सौ से भी अधिक पेड़ थे लेकिन अवैध कटाई किए जाने के कारण गिनती के ही पेड़ बच गए हैं। यही दशा महाराणा प्रताप नगर के महाराणा प्रताप उद्यान का है। यह पहले कटहल बाड़ी के नाम से जाना जाता था। सड़क से लगे हिस्से को विकसित किया गया है, वहीं कॉलोनी से लगे भाग में गंदगी की भरमार है। उद्यान में निगम के पुराने वाहन, कूड़ेदान की ट्राली, गंबूजिया मछली के हौज आदि सामान पड़े हैं। जन सरोकार के विकसित उद्यान अब कबाड़ स्थल बन गया है। बताना होगा कि शहर के पुष्पलता, स्मृति व विवेकानंद उद्यान को ही संरक्षण दिया जाता है अन्य को उनके हाल पर ही छोड़ दिया गया है।

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