November 22, 2024

बरपाली स्थित मां मड़वारानी मंदिर में श्रद्धालु की रही भीड़

-सुखदेव कैवर्त
कोरबा (बरपाली)।
बरपाली बस्ती में स्थित मां मड़वारानी मंदिर में नवरात्रि पर्व की सप्तमी तिथि होने के कारण सुबह से देर रात तक पूजा करने वाले श्रद्धालुओं की भीड़ रही।

कहा जाता है कि बरपाली बस्ती बाजार में स्थित यह मड़वारानी मंदिर सबसे पुराना है। इस क्षेत्र में बने सभी मंदिरों में यह सबसे पहला मंदिर है। इसकी मान्यता यह है कि बरपाली से पुजारी पूजा करने पहाड़ ऊपर कलमी पेड़ के नीचे मूर्ति की पूजा करने जाता था और यादव परिवार के बैगा को प्रतिदिन उसकी सवारी लेने आती थी। वहीं इस क्षेत्र के सभी साप्ताहिक बाजार बरपाली, सोहापुर, पंतोरा बाजार करने जाती थी। उसी तरह प्रति सप्ताह बुधवार को बरपाली बाजार करने आती थी और इसी बाजार के पास पीपल पेड़ के नीचे बैठती थी। अब उस स्थान पर पुराने मंदिर के स्थान पर नया मंदिर बन गया है। उस मंदिर में आज भी प्रति सप्ताह बुधवार को यहां मड़वारानी आने की चर्चा है। यहां से व्यापारी, दुकानदार कभी घाटे में नहीं रहते न ही कम कीमत पर धंधा नहीं होता। बैगा मड़वारानी पहाड़ में माता की खुली पूजा करता था। एक बार अपना चाकू चिमटी हथियार भूल गया, तब उस समय माताजी साक्षात रूप में प्रसाद ले रही थीं। फिर उनको उनकी भूल को याद दिलाया और पहाड़ ऊपर कलमी पेड़ के नीचे समय-समय पर पूजा करने को कहा। बैगा ने प्रतिदिन पहाड़ ऊपर नहीं आ पाने के लिए निवेदन किया, तब माताजी बरपाली बाजार में पीपल पेड़ के नीचे पूजा करने को कहा। तब मड़वारानी पहाड़ से दो पत्थर को लेकर स्थापित किया गया। उसकी पूजा से माता सीधे प्रसाद पाती हैं। वहां अभी दोनों पत्थर रखे हुए हैं। बरपाली के इस बाजार को बीच बस्ती में होने के बावजूद नहीं हटा सकते। एक बार इसे सरगबुंदिया गांव ले गए तो हैजा बीमारी दुसरे दिन से शुरू हो गया था। तब से यहीं बाजार को रखा गया और इस पुराने मंदिर में पूजा करने वालों की भीड़ जुटती रही।

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