पात्र होने के बाद भी नहीं मिला रोजगार, 11 अप्रैल को कुसमुंडा खदानबंदी
0 27 वर्ष पहले एसईसीएल ने की थी जमीन अधिग्रहित
कोरबा। एसईसीएल द्वारा जमीन अधिग्रहण के 27 बरस बाद भी 34 ग्रामीण रोजगार से वंचित हैं। रोजगार की पात्रता के बाद भी ग्रामीण कार्यालयों के चक्कर काटने मजबूर हैं। अब उनका आक्रोश भड़क उठा है। आक्रोशित ग्रामीणों ने 11 अप्रैल को अनिश्चितकालीन कुसमुंडा खदान बंदी आंदोलन की चेतावनी दी है।
ग्राम पंचायत पाली अंतर्गत ग्राम बरकुटा के वचन कुंवर सहित 33 ग्रामीणों ने मामले की शिकायत कलेक्टर से की है। उन्होंने कहा है कि बरकुटा के ग्रामीण आदिवासी वर्ग से हैं। उनकी संपूर्ण भूमि को सन् 1996 से एसईसीएल कुसमुण्डा ने अधिग्रहित कर ली गई है। खदान से कोयला और मिट्टी उत्खनन का कार्य जोर-शोर से किया जा रहा है। सन् 2005-06 से कलेक्टर, एसडीएम कटघोरा, तहसीलदार दीपका ने जांच किया था। 9 मार्च 2007 को अनुभागीय अधिकारी ने जांच में उन्हें रोजगार हेतु पात्र पाया था। एसईसीएल कुसमुण्डा को वचन कुंवर व अन्य 33 को रोजगार हेतु निर्देशित किया गया था। मगर एसईसीएल कुसमुण्डा द्वारा रोजगार देने के नाम पर उनका शारीरिक, मानसिक व आर्थिक रूप से शोषण व प्रताड़ित किया जा रहा है। इससे उनकी आर्थिक स्थिति खराब हो गई है। सौंपे गए ज्ञापन में उन्होंने कहा है कि एसईसीएल कुसमुण्डा द्वारा उन्हें सन् 2008 में रोजगार हेतु नामांकन फार्म भरवाया गया था। एसईसीएल कुसमुण्डा के रोजगार के नाम पर बार-बार जांच, आश्वासन और प्रताड़ना से वे बर्बाद हो गए हैं। रोजगार नहीं मिलने से आक्रोशित ग्रामीणों ने चेतावनी दी है कि वे 11 अप्रैल से बरकुटा फेस में कोयला और मिट्टी उत्खनन का कार्य पूर्णत: बंद करेंगे।