October 7, 2024

इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के विद्यार्थियों ने जाना पुस्तकों का महत्व

0 विश्व पुस्तक दिवस के उपलक्ष्य में छात्र-छात्राओं ने अधिकांश समय बिताया पुस्तकालय में, पढ़ी अच्छी-अच्छी रचनाएं
कोरबा।
इंडस पब्लिक स्कूल दीपका में विश्व पुस्तक दिवस के अवसर पर विभिन्न कक्षा स्तर में जीवन में पुस्तकों का महत्व एवं पुस्तक सच्चे मित्र विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया। विद्यार्थियों ने इस कार्यशाला में पुस्तकों के प्रति सम्मान व समर्पण को अपने-अपने शब्दों के माध्यम से व्यक्त किया। प्रत्येक विद्यार्थियों के वक्तव्य का यही सार था कि पुस्तकों से हमें हमेशा सकारात्मक चीजें या ज्ञान ही मिलती है। वे हमें हमारे भविष्य के निर्माण में सहायक होती है। विद्यालय में कार्यरत शिक्षक-शिक्षिकाओं ने भी विद्यार्थियों का ज्ञानवर्धन करते हुए पुस्तक एवं पुस्तकों से जुड़ी हुई विभिन्न पक्षों की चर्चा की। शिक्षकों ने बताया कि यदि हम जिंदगी में तनाव या निराशा का अनुभव करें तो हमें पुस्तकों का अध्ययन करना चाहिए। हमें आध्यात्मिक पुस्तकों का निरंतर अध्ययन करना चाहिए। ये पुस्तकें हमें जीवन के कठिन समय में सबल प्रदान करते हैं। यूनेस्को ने पहली बार 23 अप्रैल 1995 को विश्व पुस्तक दिवस की शुरूआत की। आमतौर पर इसे लेखक, चित्रकार के द्वारा आम लोगों के बीच में पढ़ने को प्रोत्साहन देने के लिए मनाया जाता है।

प्राइमरी एवं प्री-प्राइमरी के विद्यार्थियों को भी उच्च कक्षाओं में अध्ययनरत विद्यार्थियों के पुस्तकालय भ्रमण के पश्चात इंडस पब्लिक स्कूल दीपका के आकर्षक एवं वृहद क्षेत्र में फैले हुए पुस्तकालय का भ्रमण कराया गया। नन्हें-मुन्हें विद्यार्थी पुस्तकालय में विभिन्न रंग-बिरंगे चित्रों से सुसज्जित पुस्तकों को देखकर प्रफुल्लित हो उठे। वे अपनी पसंद के अनुरूप कहानी, चुटकुले, कार्टून जैसे अलग-अलग पुस्तकों के पन्ने उलटने-पुलटने लगे। साथ ही अपनी तुतली जुबान में पढ़ने का भी प्रयास करने लगे। शिक्षक योगेश शुक्ला ने कहा कि किताबों को पढ़ने के प्रति जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से हर साल पुस्तक दिवस मनाया जाता है। लिखना और पढ़ना अभिव्यक्ति का एक सशक्त माध्यम है। विश्व पुस्तक दिवस मनाना हमारे लिए सम्मान की बात है। हमें उन लोगों के प्रति आजीवन कृतज्ञ होना चाहिए जिन्होंने इस दुनिया के लिए शब्दों के माध्यम से हमारे जीवन में अपना योगदान दिया। किताबें हमारे जीवन में नैतिक मूल्यों का विकास करती है।

विद्यालय के प्राचार्य डॉ. संजय गुप्ता ने कहा कि पुस्तकें हमारे जीवन के दृष्टिकोण को बदलने के लिए अति आवश्यक अंग है। इस दिन को मनाने के पीछे उद्देश्य है लोगों को पुस्तकें पढ़ने के लिए प्रेरित करना। पुस्तक एक शिक्षक है जो बिना कष्ट दिए बिना आलोचना किए और बिना परीक्षा किए हमें गुणवत्तापूर्ण शिक्षा देती है। पुस्तकें ज्ञान का असीमित भंडार है। पुस्तकें वह साधन है जिनके माध्यम से हम विभिन्न संस्कृतियों के बीच रिश्ते बनाते हैं। इनका मूल्य रत्नों से अधिक है क्योंकि पुस्तकें अन्त:करण को उज्ज्वल करती है। पुस्तकों को सदैव अपना मित्र बनाएं। वह सदैव आपके ज्ञान में वृद्धि और मार्गदर्शन में सहायक सिद्ध होगी। पुस्तकें मनुष्य को पथभ्रष्ट होने से बचाती है। श्रेष्ठ पुस्तक मनुष्य और समाज का मार्गदर्शन करती है। पुस्तकों का हमारे मन मंदिर में स्थायी प्रभाव पड़ता है। इतिहास हमें बताता है कि दुनिया में जितने भी महान व्यक्तित्व हुए हैं उन पर किसी न किसी पुस्तकों का गहरा प्रभाव था। गांधी जी गीता से अधिक प्रभावित थे। विचारों के आदान-प्रदान में पुस्तकें ही हमारे अस्त्र हैं। पुस्तकों में लिखे विचार संपूर्ण समाज की काया पलट देते हैं। अच्छी पुस्तकें समाज में नवीन चेतना का संचार करती है। वे समाज में जागृति पैदा करने में अपनी अहम भूमिका निभाते हैं।

Spread the word