November 26, 2024

नौकरी व मुआवजा की मांग को लेकर 7वें दिन भी जारी रहा धरना प्रदर्शन

0 भू-विस्थापितों की मांगों को लेकर एनटीपीसी प्रबंधन नहीं गंभीर
कोरबा।
एनटीपीसी प्रभावित विस्थापित नौकरी और मुआवजा की मांग को लेकर आईटीआई तानसेन चौक में धरना प्रदर्शन कर रहे हैं। सातवें दिन भी उनका आंदोलन जारी रहा।
नौकरी, बचे जमीन का मुआवजा व क्षतिपूर्ति की मांग को लेकर ग्राम चारपारा के 6 भू-विस्थापित राजन पटेल, विनय कुमार कैवर्त, रामकृष्ण केवट, गणेश कुमार केवट, राकेश कुमार केवट, घसिया राम केवट अपने परिवार के सदस्यों के साथ 22 अप्रैल से अनिश्चितकालीन आंदोलन में डटे हुए हैं। प्रदर्शनकारियों का कहना है कि आंदोलन के एक सप्ताह बाद भी एनटीपीसी प्रबंधन गंभीर नहीं है। प्रदर्शनकारियों ने कहा कि उनके द्वारा सन् 1979 में आम सूचना जारी कर कहा गया था कि राष्ट्रीय विद्युत ताप परियोजना निगम ने स्वीकार किया है कि प्रत्येक परिवार में एक व्यक्ति को जिनकी भूमि परियोजना के लिए अधिग्रहित की गई है क्रमिक रूप से शैक्षणिक व अन्य योग्यताओं के आधार पर रोजगार प्रदान किया जाएगा। परियोजना का निर्माण कार्य जैसे-जैसे बढ़ता जाएगा रोजगार के अवसर भी बढ़ते जाएंगे। इसके अनुसार उन्हें क्रमिक रूप से रोजगार प्रदान किया जाएगा। प्रदर्शन कर रहे लोगों ने बताया कि चारपारा के लगभग 300 परिवार में से अब तक मात्र 38 लोगों को ही नौकरी दी गई है। अंतिम में 5 लोगों को वर्ष 2000 में नौकरी दिया गया है। जमीन दिए आज लगभग 44 वर्ष हो रहा है, इसके बाद भी परिवार के किसी एक सदस्य को खाते अनुसार एनटीपीसी कोरबा में नौकरी नहीं दी गई है। परियोजना का निर्माण कार्य करते हुए 2009 तक 2100 मेगावाट था और सन् 2010 में 500 मेगावाट निर्माण किया गया। इसे मिलाकर अब तक 2600 मेगावट तक बना चुके है। प्लांट का विस्तार हो गया है परंतु भू-विस्थापितों को नौकरी नहीं दिया गया। प्रभावितों ने कहा कि जब से प्लांट की शुरुआत की गई उस समय 2000 से अधिक कर्मचारी थे। 2011 आते तक लगभग 1700 कर्मचारी और आज 2023 में लगभग 650 कर्मचारी हो गये हैं। कर्मचारी की संख्या कम होती गई परंतु भू-विस्थापितों के नौकरी की मांग किये जाने पर रिक्तियां नहीं है कहा जाता है। सीपत व अन्य एनटीपीसी भू-विस्थापितों को एनटीपीसी कोरबा में ट्रेनिंग कराने के नाम से नौकरी दिया जा रहा है। उनका कहना है कि इसी प्रकार बचे जमीन को अधिग्रहण के समय से भू-विस्थापितों को बिना जानकारी दिये उपयोग किया गया है। प्रभावितों का कहना है कि मांग पूरी होने तक उनका आंदोलन जारी रहेगा।

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