वेतन समझौता के विरोध में दायर याचिका पर हुई सुनवाई
कोरबा। कोयला कर्मियों के 11वां वेतन समझौता के विरोध में अधिकारियों की ओर से दायर याचिका पर उच्च न्यायालय ने सुनवाई की। दोनों पक्ष की राय सुनने के बाद फैसला सुरक्षित रख लिया है, पर वेतन समझौता का एरियर भुगतान पर रोक लगाने के मुद्दे पर उच्च न्यायालय ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी। इसलिए अब माना जा रहा है कि कर्मियों का एरियर का भुगतान अगस्त माह के वेतन के साथ सितंबर में किया जाएगा।
एसईसीएल समेत कोल इंडिया की अन्य संबद्ध कंपनियों में कार्यरत कर्मियों का वेतन समझौता पर दो माह पहले सहमति बनी और नए वेतनमान का लाभ भी मिलने लगा है, पर पिछले 23 माह का बकाया एरियर का भुगतान नहीं हो सका है। वेतन समझौता होने के बाद कोयला अधिकारियों ने मध्य प्रदेश के जबलपुर व छत्तीसगढ़ के बिलासपुर स्थित उच्च न्यायालय में अलग-अलग याचिका दायर की थी। इसमें अधिकारियों एवं उनके अधिवक्ता की ओर से कहा गया था कि ई-वन से लेकर ई-थ्री ग्रेड के अधिकारियों को टेक्निकल सुपरवाईजरी ग्रेड ए एवं ए-वन ग्रेड कर्मियों से कम वेतन मिल रहा है अधिकारी हतोत्साहित हो रहे हैं। साथ ही वेतन समझौता में नियम का पालन नहीं किया गया था, इसलिए नए दर से वेतन भुगतान पर रोक लगाया जाए। उच्च न्यायालय ने उनके तर्क को नहीं माना, इससे कर्मियों को नए दर के अनुरूप वेतन प्राप्त होने लगा। हालांकि मामला न्यायालय में विचाराधीन रहा और 29 अगस्त को जबलपुर उच्च न्यायालय में सुनवाई हुई। लगभग तीन घंटे तक चली बहस के दौरान अधिकारियों के अधिवक्ताओं ने अपना पक्ष रखते हुए पुन: मजदूरों के वेतन समझौते पर रोक लगाते हुए एरियर भुगतान पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग रखी। कोयला मजदूरों की तरफ पक्षकार बने कोयला मजदूर सभा (एचएमएस) के महामंत्री व जेबीसीसीआई सदस्य नाथूलाल पांडेय ने अपने अधिवक्ता के माध्यम से इस पर कड़ी आपत्ति जताते हुए कहा कि अधिकारियों ने तर्कहीन व तथ्यहीन काल्पनिक बातें रखी है। उन्होंने कहा कि अधिकारी, न्यायालय को यह बताएं कि किस अधिकारी को कर्मचारी से कम वेतन मिला है। पांडेय ने कहा कि अधिकारियों के वेतन की तुलना मजदूरों के वेतन से किसी प्रकार से नहीं हो सकती है।