EMI और ब्याज में छूट की अर्जी पर SC सुना सकता है फैसला.. पढ़ें क्या होता है लोन मोरेटोरियम
नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट में आज लॉकडाउन में RBI के तरफ से दिए गए लोन मोरेटोरियम यानी कर्ज की किश्त को आगे बढ़ाने की अर्जियों पर सुनवाई कर सकता है. इसके साथ ही ब्याज में छूट देने के आवेदनों पर फैसला ले सकता है. मंगलवार को बहस पूरी नहीं हो सकी थी.
RBI ने कोरोना की स्थिति और लॉकडाउन को देखते हुए मार्च में 3 महीने के लिए लोन मोरेटोरियम को कुछ महीनों के लिए टालने की छूट की सुविधा दी थी, फिर 3 महीने और बढ़ाकर अगस्त तक कर दी गई. अब जब मोरेटोरियम के 6 महीने पूरे हो चुके हैं, तो ग्राहक कह रहे हैं कि इसे और बढ़ाना चाहिए.
इससे भी अहम मांग ये है कि मोरेटोरियम पीरियड का ब्याज भी माफ होना चाहिए. क्योंकि, ब्याज पर ब्याज वसूलना तो एक तरह से दोहरी मार होगी. इसकी वजह ये है कि RBI ने सिर्फ EMI टालने की छूट दी थी, लेकिन बकाया किश्तों पर लगने वाला ब्याज तो चुकाना पड़ेगा.
लोन लेने वाले ग्राहकों की दलील
1. ग्राहकों के एक ग्रुप और कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री के महाराष्ट्र चैप्टर की तरफ से सीनियर वकील कपिल सिब्बल ने कहा, “मोरेटोरियम नहीं बढ़ा, तो कई लोग लोन पेमेंट में डिफॉल्ट करेंगे. इस मामले में एक्सपर्ट कमेटी को सेक्टर वाइज प्लान तैयार करना चाहिए.”
2. रिएल एस्टेट डेवलपर्स के संगठन क्रेडाई की ओर से वकील ए सुंदरम ने दलील रखी, “मोरेटोरियम में ग्राहकों से ब्याज वसूलना गलत है. इससे आने वाले समय में नॉन परफॉर्मिंग एसेट्स (एनपीए) बढ़ सकते हैं.”
3. शॉपिंग सेंटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया की तरफ से वकील रणजीत कुमार ने कहा, “कोरोना की वजह से लोगों को दिक्कतें हो रही हैं. उन्हें राहत देने के उपाय किए जाने चाहिए. आरबीआई सिर्फ बैंकों के प्रवक्ता की तरह बात नहीं कर सकता. हमारी स्थिति वाकई खराब है. थिएटर, बार और फूड कोर्ट बंद हैं. हम कैसे कमाएंगे और कर्मचारियों को सैलरी कैसे देंगे? कोर्ट से अपील करते हैं कि सेक्टर वाइज राहत देने पर विचार होना चाहिए.”
सरकार की दलील
सरकार की तरफ से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बुधवार को कोर्ट में कहा, “ब्याज माफ किया तो बैंकों की स्थिति खराब होगी. देश में अलग-अलग तरह के बैंक हैं. नॉन बैंकिंग फाइनेंशियल कंपनीज (एनबीएफसी) भी इनमें शामिल हैं.”
इससे पहले मंगलवार को सरकार ने कहा था कि कोरोना की स्थिति को देखते हुए मोरेटोरियम पीरियड 2 साल तक के लिए बढ़ाया जा सकता है. सरकार का यह जवाब इसलिए आया, क्योंकि 26 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट ने सरकार को फटकार लगाते हुए कहा था कि इस मामले में 7 दिन में स्थिति साफ की जाए. कोर्ट ने कमेंट किया था कि सरकार आरबीआई के फैसले की आड़ ले रही है, जबकि उसके पास खुद फैसला लेने का अधिकार है.
क्या है मोरेटोरियम?
कोरोना और लॉकडाउन की वजह से RBI ने मार्च में लोगों को मोरेटोरियम यानी लोन की EMI 3 महीने के लिए टालने की सुविधा दी थी. बाद में इसे 3 महीने और बढ़ाकर 31 अगस्त तक के लिए कर दिया गया. RBI ने कहा था कि लोन की किश्त 6 महीने नहीं चुकाएंगे, तो इसे डिफॉल्ट नहीं माना जाएगा. लेकिन, मोरेटोरियम के बाद बकाया पेमेंट पर पूरा ब्याज देना पड़ेगा.