November 7, 2024

मार्च में बीज निगम की फर्म ने नहीं की रेडी टू ईट की आपूर्ति

0 लाखों हितग्राहियों को नहीं बंटा टीएचआर
कोरबा।
राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की उत्पादनकर्ता फर्म छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड रेडी टू ईट के वितरण में मनमानी पर उतर आई है। फर्म ने आकांक्षी जिला कोरबा में मार्च माह के कोटे का रेडी टू ईट माह के अंत मे पहुंचाया, जिससे आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से नौनिहालों, किशोरियों, गर्भवती एवं शिशुवती माताओं को रेडी टू ईट ही नहीं बंटा। अप्रैल माह में यह रेडी टू ईट हितग्राहियों को बांटा जा सका। विभाग ने भी सख्ती बरतते हुए फर्म का जून माह में रेडी टू ईट की प्राप्ति जीरो (शून्य) बताकर राज्य शासन को उचित कार्रवाई के लिए अवगत करा दिया है।
महिला एवं बाल विकास विभाग द्वारा 6 माह से 6 वर्ष के नौनिहालों, किशोरियों, गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के पोषण के लिए कार्य किया जा रहा है। पूर्व में स्थानीय महिला स्व-सहायता समूहों के माध्यम से रेडी टू ईट कार्यक्रम का संचालन किया जा रहा था। गेहूं, सोया, चना, मूंगफली मिश्रित पौष्टिक पोषण आहार रेडी टू ईट 6 माह से 6 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती एवं शिशुवती माताओं के लिए प्रत्येक मंगलवार को दिए जाने का प्रावधान है, ताकि उन पर कुपोषण की काली छाया न पड़े। कुपोषित हितग्राही इसके दायरे से बाहर निकल सकें, लेकिन पूर्ववर्ती कांग्रेस शासनकाल में 24 दिसंबर 2021 को कैबिनेट में लिए गए निर्णय अनुसार राज्य बीज निगम की स्थापित इकाइयों के माध्यम से स्वचलित मशीनों के माध्यम से रेडी टू ईट का उत्पादन करने का निर्णय लिया था। इसके पीछे शासन ने सुप्रीम कोर्ट की गाइडलाइन का हवाला दिया था, जिसमें मानव स्पर्श रहित गुणवत्ता युक्त आवश्यक पोषक तत्वों से भरे रेडी टू ईट बच्चों की सेहत के लिए उपयुक्त बताया गया है।
तत्कालीन सरकार के इस फैसले से पिछले करीब डेढ़ दशक से रेडी टू ईट का निर्माण कर रहीं स्व-सहायता समूह के हाथों से रोजगार छीन गया। 20 हजार से अधिक महिलाएं सीधे तौर पर इससे प्रभावित हुईं। 1 अप्रैल 2022 से राज्य बीज निगम की स्थापित इकाइयों के स्वचलित मशीनों के माध्यम से तैयार रेडी टू ईट बच्चों तक पहुंचाई जा रही है। जिले में राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की इकाई छत्तीसगढ़ एग्रो फूड कार्पोरेशन लिमिटेड को इसकी जिम्मेदारी दी गई है, लेकिन फर्म सतत रूप से 2561 आंगनबाड़ी केंद्रों में रेडी टू ईट की आपूर्ति में नाकाम रहा है। सत्ता परिवर्तन के बाद भी फर्म की कार्यशैली में सुधार नहीं आई। करोड़ों रुपये का सेटअप स्थापित कर रेडी टू ईट की संचालन व्यवस्था छीनने से बौखलाए फर्म ने शासन की महती योजना पर पानी फेरना शुरू कर दिया।
जिले में एक बार फिर नौनिहालों तक रेडी टू ईट के नियमित वितरण में नाकाम साबित हो रही। मार्च माह में फर्म ने रेडी टू ईट की आपूर्ति ही नहीं की। प्रत्येक माह के पहले सप्ताह (प्रथम मंगलवार टीएचआर दिवस) के पूर्व पहुंचाए जाने वाले रेडी टू ईट को माह के खत्म होते होते पहुंचाया, जिससे जिले के सभी 10 परियोजनाओं के 2599 आंगनबाड़ी केंद्रों के माध्यम से लाभान्वित होने वाले सवा लाख हितग्राहियों 6 माह से 6 वर्ष के नौनिहालों, किशोरियों, गर्भवती एवं शिशुवती माताओं को रेडी टू ईट नहीं बंट सका।
इसके पूर्व भी जनवरी माह में पोड़ी-उपरोड़ा परियोजना में फर्म ने रेडी टू ईट की आपूर्ति नहीं की थी। रावा सेक्टर के आंगनबाड़ी केंद्र धौराभांठा एवं जटगा सेक्टर के मांझी में रेडी टू इट की आपूर्ति नहीं हुई थी। फर्म की लापरवाही से आंकांक्षी जिला कोरबा को कुपोष्णमुक्त बनाने की मंशा पर पानी फिर रही। इस बड़ी लापरवाही के मामले में महिला एवं बाल विकास विभाग की डीपीओ ने फर्म के विरुद्ध कड़ा रुख अपनाया है। रेडी टू ईट का 3 माह का अग्रिम ऑनलाइन ऑर्डर रहता है। लिहाजा उन्होंने राज्य को भेजे गए रिपोर्ट में जून माह में रेडी टू ईट की प्राप्ति जीरो दर्शाई है, जिससे फर्म को करोड़ों रुपये का नुकसान उठाना पड़ सकता है।

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