November 24, 2024

ट्रेनों की लेट लतीफी का नहीं थम रहा सिलसिला, यात्री हो रहे परेशान

कोरबा। ऐसा शायद ही कोई दिन होगा जब ट्रेन अपने निर्धारित समय पर कोरबा रेलवे स्टेशन पहुंचती हो। रायपुर से भाटापारा, दाधापारा से बिलासपुर और बिलासपुर से जयरामनगर के बीच ट्रेन ज्यादा लेट रहती है। कोयला लदान के बल पर ही रेलवे को भारी भरकम राजस्व मिलता है, लेकिन इतना भारी भरकम राजस्व देने के बाद भी कोरबा में यात्री सुविधाएं पूरी तरह से बेपटरी है। लंबे अरसे से यात्री गाड़ियों के विलंब से चलने का सिलसिल जारी है। ये स्टेशन रायपुर और बिलासपुर को जोड़ती है। ऐसी लगभग सभी ट्रेन रोजाना 2 से 3 घंटे की देरी से कोरबा पहुंचती हैं। इससे यात्रियों को खासा परेशान होना पड़ रहा है। बावजूद इसके रेलवे प्रशासन की ओर से ठोस कदम नहीं उठाया जा रहा है। रेलवे के अधिकारी हमेशा व्यवस्था बनाने और बेहतर सुविधाएं प्रदान करने की बात कहते हैं।
रायपुर से कोरबा आने वाली हसदेव एक्सप्रेस अक्सर रात में देर से ही कोरबा पहुंचती है। इससे उपनगरीय क्षेत्र के यात्रियों को रेलवे स्टेशन से अपने घर तक जाने के लिए अधिक राशि खर्च करनी पड़ती है। रात के समय ऑटो चालकों का किराया भी दोगुना हो जाता है, जितनी राशि खर्च कर रायपुर या बिलासपुर से कोरबा पहुंचता है उतनी ही राशि या कई बार उससे ज्यादा भी उन्हें रेलवे स्टेशन से अपने 10 से 20 किलोमीटर घर तक पहुंचने में परिवहन पर खर्च करना पड़ता है। द्वि-साप्ताहिक वैनगंगा ट्रेन सुपरफास्टक एक्सप्रेस, शिवनाथ एक्सप्रेस व हसदेव एक्सप्रेस 3 घंटा से भी अधिक विलंब से कोरबा आती है। खासतौर पर जब ट्रेन रायपुर से कोरबा के लिए निकलती है, तब बिलासपुर से आते ही इनकी चाल बिगड़ जाती है। यहां से मालगाड़ियों को अपने गंतव्य तक निकालने का दबाव रहता है, जिसके कारण ट्रेनों को कोई बार आउटर में रोक दिया जाता है। ट्रेन निकलती तो समय से है, लेकिन कोरबा काफी देर से पहुंचती है। कई बार तो 5 से 6 घंटे लेट हो रही है।

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