November 22, 2024

एसईसीएल की बुड़बुड़ खदान से कोयला उत्खनन प्रारंभ

कोरबा 2 मार्च। एसईसीएल की सराईपाली परियोजना अंतर्गत बुड़बुड़ खदान प्रबंधन के इंतजार की घड़ियां आखिरकार समाप्त हो गई और एक लंबे वनवास के बाद बीते सोमवार 01 मार्च से कोयला उत्खनन का कार्य प्रारंभ करा दिया गया है, लेकिन इस बीच प्रबंधन ने भू प्रभावितों की आपत्तियां और उनकी मांगों को पूरा नही किया तथा अब भी दर्जनों भू-प्रभावित ग्रामीणों की नौकरी सम्बंधित फ ाइलें प्रक्रियाधीन बताकर लंबे समय से लटकाकर रखते हुए उन्हें आज पर्यन्त नियुक्ति नही दी है। इसके अलावा पुनर्वास की राशि भी ग्रामीणों को प्रदान नही की गई है जबकि अनेक भू-प्रभावित ग्रामीणों ने इस आस में अपने घरों को तोड़ दिया कि पुनर्वास के मिलने वाले राशि से अपना नया आशियाना बनाएंगे, ऐसे ग्रामीण अब अपने ही गांव में किराए के घर मे रहने को मजबूर है। एसईसीएल प्रबंधन ने भोले-भाले ग्रामीणों से उनकी उपजाऊ खेती, घर, जमीने अधिग्रहण करते समय खूब लोक-लुभावने झांसे दिए किंतु जमीन अधिग्रहण पश्चात अब उन्ही ग्रामीणों को आश्वासन का झुनझुना थमाते हुए अपना उल्लू सीधा कर रहा है।

ज्ञात हो कि एसईसीएल बुड़बुड़ प्रबंधन द्वारा कोयला उत्खनन कार्य को लेकर शुरू से ही अपनी मनमानी के साथ ग्रामीणों व जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा किया जा रहा है जहां इनके कार्य तौर-तरीकों को लेकर सांसद प्रतिनिधि प्रशांत मिश्रा द्वारा गत दिनों ब्लास्टिंग से लेकर भू-प्रभावितो की विभिन्न समस्याओं को लेकर कड़े तेवर के साथ विरोध दर्ज कराते हुए जब तक ग्रामीणों की मांग पूरी नहीं हो जाती, समस्याओं का निराकरण नहीं किया जाता तब तक उत्खनन कार्य आरम्भ नहीं करने की चेतावनी दी थी तथा पाली थाने में भी एक शिकायत दर्ज कराई थी तब प्रबंधन की ओर से पत्र व्यवहार कर आश्वस्त किया गया था कि उनकी जन भावनाओं का पूरा सम्मान किया जाएगा। इसके अलावा भाजपा जिला उपाध्यक्ष संजय भावनानी सहित दर्जनों भाजपाइयों द्वारा भी भू-विस्थापियों को कार्य पर नही रख तथा उनकी मांगों को पूरा ना करने, स्थानीय बेरोजगारों को छोड़कर बाहरी लोगों को रोजगार मुहैया कराए जाने को लेकर आंदोलन के तहत खदान का काम घँटों बंद करा दिया गया था और तब भी प्रबंधन की ओर से उक्त मांगों का निराकरण पहले किये जाने वादा किया गया था। किंतु प्रबंधन की वादा-खिलाफ ी फि र दिखने लगी जिसमे सभी बातों को दरकिनार कर हठधर्मिता जारी है। कदाचित यही कारण है कि एसईसीएल प्रबंधन की हठधर्मिता, कार्यो में अपारदर्शिता, वादा-खिलाफ ी और मनमानीपूर्वक कार्य व ग्रामीणों एवं जनप्रतिनिधियों की उपेक्षा खदान के उत्पादन आरंभ करने में रोड़ा अटका रहा है, जबकि उक्त खदान की प्रक्रिया विगत दो दशक से चल रही है लेकिन यह अब तक मूर्त रूप लिए धरातल पर नहीं उतर पाया है।

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