September 20, 2024

कृषि विरोधी नीतियों के खिलाफ मड़वाढोढा में हुआ किसान महापंचायत

कानून वापस नहीं तो करेंगे सरकार वापसी की मांगः बादल

कोरबा 20 मार्च। अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा द्वारा मोदी सरकार की कृषि विरोधी नीतियों के खिलाफ चलाये जा रहे देशव्यापी आंदोलन के क्रम में पूरे देश में किसान पंचायतें आयोजित की जा रही है। आज कोरबा जिले के ग्राम मड़वाढोढ़ा में छत्तीसगढ़ किसान सभा और छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन द्वारा किसान महापंचायत आयोजित किया गया जिसमें प्रमुख रूप से अखिल भारतीय किसान सभा के संयुक्त सचिव बादल सरोज, छत्तीसगढ़ किसान सभा के राज्य अध्यक्ष संजय पराते, छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के आलोक शुक्ला, प्रशांत झा,सूरती कुलदीप, दीपक साहू,जवाहर सिंह कंवर, नंदलाल कंवर राजकुमारी कंवर प्रताप दास, राजू श्रीवास शत्रुहन दास, देव कुंवर, संजय यादव मोहपाल कंवर आदि किसान नेताओं ने संबोधित किया। किसान महापंचायत में बड़ी संख्या में किसानों के भाग लेते हुए किसान आंदोलन को मजबूत बनाने का संकल्प लिया।

किसान महापंचायत को संबोधित करते हुए मुख्य वक्ता किसान सभा के राष्ट्रीय संयुक्त सचिव बादल सरोज ने कहा कि किसान विरोधी काले कानून अमेरिका और अडानी अंबानी के इशारे पर बनाए गए है। जितने भी देशों ने इन कानूनों को लागू किया है वंहा के किसान बर्बाद हो गए हैं और उनकी भूमि पर कॉरपोरेटो ने कब्जा कर लिया है। भारत में भी यही होगा। आज तक मोदी सरकार किसानों को यह समझा नहीं पाई है कि इन कानूनों में अच्छा क्या है। इसलिए यदि ये सरकार कृषि विरोधी कानून वापस नहीं लेगी तो इस सरकार की वापसी के लिए पूरे देश में आंदोलन किया जाएगा। छत्तीसगढ़ किसान आंदोलन के संयोजक सुदेश टीकम ने तीनों किसान विरोधी काले कानूनों के बारे में किसानों को बताया कि किस तरह यह तीनों कानून किसानों को बर्बाद कर देगी और इस आंदोलन में अगर हम लोग शामिल नहीं हुए तो आने वाली पीढ़ी हमे माफ नहीं करेगी। छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला ने विस्थान और पुनर्वास की समस्या पे अपनी बात रखते हुए कहे कि किस तरह सरकार उद्योगों के नाम पर जंगलों को समाप्त करते जा रही है और जिनकी जमीन उद्योगों में जा रही है उन्हें विस्थान के बाद रोजगार मुआवजा और पुनर्वास के लिए घुमाया जाता है उन्होंने कहा कि सरकारी मंडिया खत्म हो जाएगी और निजी कंपनी समर्थन मूल्य नहीं देगी यदि सरकार फसल की खरीदी नहीं करेगी तो उचित मूल्य की राशन दुकानें भी बंद हो जाएगी और गरीब सस्ते अनाज से वंचित हो जाएगा।

छत्तीसगढ़ किसान सभा के प्रदेश अध्यक्ष संजय पराते ने महापंचायत को संबोधित करते हुए 2 लागत का डेढ़ गुना समर्थन मूल्य देने और किसानों की आय दुगनी करने का वादा मोदी सरकार का था सात साल बाद भी वह लाभकारी समर्थन मूल्य देने के लिए तैयार नहीं है। किसानों की आत्महत्या, डेढ़ गुनी बढ़ गई है लेकिन किसानों की आय में दो रुपये की वृद्धि नहीं हुई है समर्थन मुल्य की घोषणा काफी नहीं है समर्थन मूल्य पर फसल की खरीदी भी जरूरी है और उसके लिए कानून बनाना जरूरी है। अन्य किसान नेताओं ने कहा कि किसानों को अपनी फसल को कहीं भी बेचने देने की स्वतंत्रता देने के नाम पर वास्तव में उन्हें अडानी-अंबानी और कॉर्पोरेट कंपनियों की गुलामी की जंजीरों में बांधा जा रहा है। इन कृषि कानूनों का दुष्परिणाम यह होने वाला है कि उनकी जमीन कॉर्पोरेट कंपनियों के हाथों चली जायेगी और फसल अडानी की निजी मंडियों में कैद हो जाएगी। इसी फसल को गरीब जनता को मनमाने भाव पर बेचकर वे अकूत मुनाफा कमाएंगे, क्योंकि अनाज की सरकारी खरीदी न होने से राशन प्रणाली भी खत्म हो जाएगी। कुल मिलाकर ये कानून देश की खाद्यान्न सुरक्षा और आत्मनिर्भरता को खत्म करेंगे।

किसान सभा के प्रशांत झा ने कहा कि किसान आंदोलन को मजबूत बनाने के साथ जिले में वन भूमि में कबिजो को वनाधिकार पट्टा दिलाने, जिले में पेसा कानून को कड़ाई से पालन करने, विस्थापितों को मुआवजा और बेहतर पुनर्वास की व्यवस्था, विस्थापित परिवारों के बेरोजगारों को रोजगार,लंबित रोजगार मुआवजा बसाहट के प्रकरणों का निराकरण करने, जिला खनिज न्यास का प्रभावित ग्रामों में खर्च करने, भू-विस्थापन और खनन से जुड़े मुद्दों और उद्योगों के नाम पे ली गई जमीनों को मूल खातेदार किसानों को वापस करने,किसानों को राजस्व के मामले में फौती नामांतरण बटांकन त्रुटि सुधार पर संघर्ष तेज करना होगा। किसान महापंचायत में कई गांव के किसानों ने भाग लिया जिसमें बडी संख्या में महिलाएं, किसान, नौजवान शामिल हुए।

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