नक्सलीअटैक: कुंजाम सुक्का के बदले हुई कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह की रिहाई..?
■ बीजापुर में इसकी चर्चा जोरों पर
बीजापुर 9 अप्रैल। नक्सली मुठभेड के बाद अगवा कर लिए सीआरपीएफ कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह को नक्सलियों द्वारा इतनी आसानी से छोड़े जाने को लेकर सुरक्षा बलों में हैरानी हैं। वही जानकारों का यह मानना हैं कि जवान के नक्सलियों के कब्जे में पुष्टि होने के बाद नक्सलियों के लिए उसे किसी तरह से नुकसान पहुँचाना आसान फैसला नहीं था.क्योंकि इस घटना को केन्द्र सरकार ने गंभीरता से लिया.और नक्सली इस वक़्त सुरक्षा बलों से सीधे टकराव से बचना चाहते हैं.
एक अन्य जानकारी के अनुसार जवान को सकुशल छोड़ने के लिए सरकार के सामने के नक्सलियों ने एक शर्त रखी थी और इस शर्त का खुलासा मध्यस्थता करने गई पत्रकारों की टीम और राकेश्वर के वापस आने पर हुआ।
दरअसल बीजापुर मुठभेड़ स्थल से सुरक्षाबलों ने “कुंजाम सुक्का” नाम के आदिवासी को अपने कब्जे में लिया था। नक्सलियों ने राकेश्वर को छोड़ने के लिए इसी आदिवासी के रिहाई पर डील की , आदिवासियों के द्वारा जारी प्रेस विज्ञप्ति में यह कहा गया था कि कुंजाम सुक्का को मध्यस्थों और पत्रकरों के साथ नक्सलियों के पास भेजा जाए जिसका हैंडोवर मिलते ही राकेश्वर सिंह को पत्रकारों के हवाले कर देंगे।
बीजापुर जिले के जोनागुड़ा गांव से लगभग 15 किलोमीटर अंदर सीआरपीएफ के कोबरा कमांडो राकेश्वर सिंह को रखा गया था जिन्हें गुरुवार दोपहर बाद तय मध्यस्थों और पत्रकारों की टीम को सौंप दिया गया। 5 दिनों तक नक्सलियों के कब्जे में रहने वाले कमांडो की मुस्कुराती तस्वीर नक्सलियों ने साझा किया था जिसके बाद सरकार के द्वारा नक्सलियों पर कमांडो को छुड़वाने के लिए दबाव बनाने की प्रक्रिया शुरू हुई। आपको बता दें जिस वक्त कमांडो को नक्सलियों ने छोड़ा वहां तकरीबन 40 नक्सली मौजूद थे , नक्सलियों ने आसपास के 20 गांव के लोगों की पंचायत बुलाकर सबके बीच कमांडो राकेश्वर को छोड़ा । कमांडो की रिहाई कराने गए बीजापुर और सुकमा के पत्रकार गणेश मिश्रा, राजन दास, मुकेश चंद्रकार, शंकर और चेतन की भूमिका भी रही।
सूत्रों से जानकारी लगी कि कमांडो राकेश्वर ने रिहा होते ही पत्रकारों से कहा जल्दी चलो हम किसी भी तरह की बातचीत कैंप में कर लेंगे, राकेश्वर ने पत्रकारों को यह भी बताया कि नक्सलियों ने उन्हें 9 बजे सुबह रिहा करने को कहा था । गंभीर स्थिति को देखते हुए पत्रकारों की टीम ने राकेश्वर को तर्रेम थाना पहुंचाया।
नक्सलियों ने ग्रामीणों की पंचायत के दौरान मौजूद लोगों से कहा जोनागुड़ा में मुठभेड़ के बाद बेहोशी की हालत में मिले थे राकेश्वर को कुछ चोट भी आई थी , जिसका हम लोगों ने इलाज करवाया अब हम इन्हें सुरक्षित छोड़ रहे हैं । नक्सलियों को लीड कर रही खुर्राठ महिला ने ग्रामीणों से साफ-साफ कहा हम इन्हें पत्रकारों को सौंप रहे हैं ताकि यह इन्हें लेकर कैंप जाएं रास्ते में कोई भी नक्सली कमांडो राकेश्वर को नुकसान नहीं पहुंचायेगा।
एक के बदले 1 – कमांडो
राकेश्वर के 5 दिनों तक नक्सलियों के कब्जे में रहने दौरान पुलिस के आला अफसरों ने रिहाई की अहम जानकारी पत्रकारों से छुपा रखी थी। सूत्रों के अनुसार नक्सलियों के पास जाने से पहले ही मध्यस्थों को कुंजाम सुक्का नाम के ग्रामीण को सौंपा गया था ग्रामीण मुठभेड़ वाली जगह से सुरक्षाबलों द्वारा हिरासत में लिया गया था। नक्सलियों ने कमांडो को रिहा करने से पहले मध्यस्थों से पूछा कि वह ग्रामीण कहां है ? पत्रकार और मध्यस्थों की टीम ने कहा- हम उसे लेकर आए हैं, उस ग्रामीण को गांव वालों के सामने नक्सलियों को सौंपी जाने के बाद ही कमांडो राकेश्वर की रिहाई हुई।