September 20, 2024

बालको एटक ने कृषि कानून के खिलाफ काला दिवस मनाया

कोरबा 27 मई। राष्ट्रीय ट्रेड यूनियनों के आह्वान पर एल्युमिनियम एंप्लाइज यूनियन एटक बालकों के द्वारा 26 मई 2021 को केंद्र सरकार की श्रम विरोधी नीतियों के खिलाफ और किसान विरोधी कृषि कानून के खिलाफ काला दिवस मनाया गया।

प्रदेश एटक के महासचिव कामरेड हरिनाथ सिंह ने कहा कि 26 मई को शहरों से लेकर ग्रामीण क्षेत्रों व कारखानों खदानों से लेकर खेत खलियान ओ तक भारतीय लोकतांत्रिक गणराज्य में पूर्ण रूप से काला दिवस मनाया जा रहा है जिसमें शामिल है किसान, मजदूर, नौजवान छात्र, बेरोजगार, बुद्धिजीवी तथा महिलाएं आखिर ऐसा क्यों। क्योंकि 26 मई 2014 को देश के ही श्रीमान नरेंद्र मोदी जी ने भारत के प्रधानमंत्री के रूप में शपथ लिए थे सत्ता शिखर तक पहुंचने के लिए उन्होंने 2014 मे लोकसभा चुनाव के प्रचार में 130 करोड़ भारत वासियों को उन्होंने भरोसा दिलाया था कि चोरी से विदेशों में जमा भारतीय रुपयों को देश में लाकर सभी देशवासियों के बैंक खातों में 15. 15 लाख रुपए जमा कराएंगेए प्रति वर्ष 2 करोड़ प्रतिभाओं को सम्मानजनक नौकरियां देंगे, किसानों को स्वामीनाथन आयोग की रिपोर्ट के अनुसार लागत मूल्य से 2 गुना अधिक दाम पर कृषि पैदावार को खरीदेंगे, बेटियों को बचाएंगे पढ़ाएंगे एवं भारत को विश्व गुरु बनाएंगे सबका साथ सबका विकास, स्मार्ट सिटी बुलेट ट्रेन जैसी हसीन सपने दिखाए थे परंतु कुर्सी मिल जाने के बाद तुरंत बाद उनकी सरकार द्वारा त्वरित रूप से देश में तबाही का मंजर प्रारंभ कर दिया गया अपने द्वारा किए गए वादे को जुमला बताते हुए सभी को खारिज कर दिए देश के मजदूरों के लंबे संघर्ष एवं अनेकों बलिदानों के बाद प्राप्त कानूनी अधिकारों को एक झटके में खत्म करते हुए अपने कॉर्पोरेट मित्रों के हितार्थ मजदूर विरोधी चार कोड श्रम संहिता लागू किया गयाए इस प्रकार देश के मजदूरों को मिलने वाले सामाजिक सुरक्षाओं को बेदर्दी के साथ छीन लिया गया जबकि तीन काले कृषि कानून को जबरिया लोकसभा में पास कराकर देश के अन्नदाता किसान भाइयों की जमीनों को छीन लेने के लिए षड्यंत्र रचा गया है जिसके विरोध में पिछले 6 महीनों से देश के करोड़ों किसान दिल्ली सहित देश के विभिन्न राज्यों में लगातार आंदोलन कर रहे हैं संयुक्त किसान मोर्चा के आव्हान पर ही 26 मई को देशभर में काला दिवस मनाया जा रहा है जब जनवरी 2020 में हमारे देश में कोरोना वायरस जैसे घातक बीमारी प्रवेश किया तब माननीय प्रधानमंत्रीऔर उनकी सरकार मौनी बाबा बनी बैठी हुई थी और जब देशभर में कोरोना का फैलाव हो गया तो मार्च महीने से सरकार हरकत में आई और ताली थाली बजाने एवं मोमबत्ती जलाने की हुक्म दिया गया परंतु उपचार के साधनों को उपलब्ध कराने के लिए कुछ भी नहीं किया गया प्रधानमंत्री के द्वारा आवाहन किया गया की ’जहाजों फूल बरसाओ मेरा प्यारा कोरोना भारत में आया है’ और आज स्थिति यह है कि देश के अंदर विभिन्न राज्यों में और देश की राजधानी दिल्ली में कोरोना महामारी से लड़ने के लिए कोई प्रबंध नहीं है 300000 से अधिक लोगों की अकाल मौत हो चुकी है वैक्सीन खत्म हो चुकी है 84ः वैक्सीन को विदेशों में भेज दिया गया और देशवासियों को मरने के लिए उनके हालत पर छोड़ दिया गया ए पिछले 7 वर्षों से भारत सरकार नौटंकीबाजी तमाशेबाजी एवं हवाबाजी कर देश देश में उत्पन्न असली संकट पूर्ण हालात से आम लोगों को ध्यान हटाने के लिए हिंदू मुस्लिम एहिंदुस्तान पाकिस्तान कर रही है वैक्सीन खत्म हो चुकी है परंतु 20 हजार करोड़ का दिल्ली में मोदी महल अभी भी बन रहा है कोरोना की बीमारी से लड़ने के लिए केंद्रीय वित्त मंत्री ने अपने बजट के दौरान घोषणा कि थी कि 35 हजार करोड़ रुपये खर्च किया जाएगा परंतु अभी तक जमीन पर कहीं दिखाई नहीं दिया, परंतु सोवानी गंगा जरूर दिखाई दे रही। उक्त बातें 26 मई को काला दिवस मनाने कार्यक्रम में बोलते हुए छत्तीसगढ़ प्रदेश एटक के महामंत्री कामरेड हरि नाथ सिंह के द्वारा कही गई।

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