November 7, 2024

खरीफ खेती के लिए 16505 किसानों ने ली 51.02 करोड़ ऋण

कोरबा 14 अक्टूबर। खरीफ वर्ष 2021-22 के लिए कृषि ऋण वितरण की समय सीमा समाप्त हो चुकी है। इस वर्ष 16505 किसानों ने खेती के लिए 51.02 करोड़ की ऋण ली है। बीते वर्ष की तुलना में 2170 ऋणी किसानों संख्या बढ़ोतरी हुई है। खाद, बीज व कीट रोधी दवााओं के दाम व फसल उत्पादन की लागत में इजाफा ने ऋणी किसानों की संख्या बढ़ा दी है।

समय पर बारिश होने से बीते दो वर्षों से अच्छी फसल हो रहा है। इस साल भी समय बारिश होने से बेहतर उत्पादन का अनुमान लगाया जा रहा है। मौसम के प्रतिकूल वातावरण से लड़ते हुए जो किसान अन्न? उत्पादन के लिए पूरी ताकत झोंक देते हैं उन्हे ऋण लेकर खेती करने से अब तक मुक्ति नही मिली है। भले ही सरकार की ओर से बिना ब्याज के ऋण दिया जा रहा लेकिन फसल लागत हावी होने से बिना कर्ज लिए खेती मुश्किल है। खरीफ ऋण वितरण नियम के अनुसार सिंचित खेती के लिए प्रति हेक्टेयर 36 और असिंचित खेत के लिए 49 हजार ऋण दिया जा रहा है। बीते वर्ष की तुलना में प्रति हेक्टेयर दी जाने वाली राशि को सिंचित में सात हजार और असिंचित चार हजार रुपये बढ़ाया गया है। एक हेक्टेयर के पीछे दी जाने वाली ऋण में 60 फीसद नकद और 40 फीसद राशि की खाद और बीज दी जाती है। किसान ऋण तो ले लेते हैं लेकिन मानसून आश्रित खेती कारण समय पर कम या अधिक बारिश से फसल नुकसान के चलते समय पर ऋण का भुगतान नही कर पाते। बगैर ऋण के खेती करने के लिए किसानों को समर्थ नही बनाने से ऋ ण किसानों की संख्या में बढ़त हो रही है। खेती में बढ़ी लागत के चलते जारी खरीफ वर्ष में ऋण लेने वाले किसानों की संख्या में बढ़त हुई है। किसानों की माने तो खाद में जहां छह फीसद की बढ़ोतरी हुई वही बीज में आठ फीसद बढ़त हुई है। मजदूरी दर और पेट्रोल डीजल के बढ़े दाम का भी असर खेती में हुआ है। ऋण वितरण के लिए पांच दिन शेष हैं। माना जा रहा है कि ऋण लेने वाले किसानों की संख्या 164500 पहुंच जाएगी।

समय पर मानसून आगमन से इस वर्ष खेती में बेहतर प्रगति आई लेकिन आवश्यकत से अधिक बारिश के चलते फसल में कीट व्याधि का असर हुआ है। तना छेदक और झुलसा जैसी बीमारियों के बाद धान की बालियों पर माहो प्रकोप ने किसानों की चिंता बढा दी है। समय रहते बीमारी का निवारण नही होने से किसान ऋण भुगतान नही कर पाएंगे और फिर से बकायादारों की संख्या में बढ़त होगी। वर्तमान राज्य सरकार के गठन के बाद जिले में 3298 किसानों का लगभग 12 करोड़ ऋण माफ हुआ था। दो साल बाद बकायादार किसानों की संख्या 1023 हो गई है। समय पर भुगतान नहीं करने के कारण बकायादार किसानों को इस बार खेती के लिए ऋण नहीं दिया गया है। सरकारी छूट मिलने की आस में कई किसान बकाया का भुगतान नहीं करते। इनमें ऐसे भू स्वामी हैं जो शहर में रहकर सरकारी नौकरी करते हैं और मजदूरों से खेती कराते हैं।

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