November 22, 2024

कही-सुनी

रवि भोई

रेडी टू ईट फूड सप्लाई में खेला

छत्तीसगढ़ की भूपेश बघेल सरकार ने एक फ़रवरी 2022 से आंगनबाड़ी केंद्रों में रेडी टू ईट फूड (पूरक पोषण आहार) की सप्लाई का काम राज्य बीज एवं कृषि विकास निगम की यूनिटों से कराने का फैसला किया है। अभी यह काम महिला स्वसहायता समूह कर रहे हैं। राज्यभर में तकरीबन 20 हजार महिला स्वसहायता समूह हैं। भूपेश बघेल सरकार के फैसले से गांव-गांव के आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए काम करने वाली महिलाओं में खलबली मच गई है और सैकड़ों समूह हाईकोर्ट की शरण में चले गए हैं। भाजपा जमीनी लड़ाई लड़ने में जुट गई है। सरकार के फैसले के बाद बीज निगम ने रायगढ़ में मध्यप्रदेश के जमाने के बंद पड़े अपने पंजीरी प्लांट को ठीक-ठाक करने में जुट गया है। लेकिन माना जा रहा है कि एक प्लांट से राज्य भर के आंगनबाड़ी केंद्रों में रेडी टू ईट फूड सप्लाई संभव नहीं है। चर्चा है कि इस काम में उत्तरप्रदेश के एक बड़े कारोबारी की नजर है, जो ताकतवर और रसूखदार है। वह उत्तरप्रदेश में मुलायम,मायावती और अखिलेश की सरकार में हजारों करोड़ की पंजीरी सप्लाई का काम कर चुका है। योगी राज में भी कुछ साल उसका काम चला, पर भाजपा की सरकार ने व्यवस्था बदल दी, तो उसकी दाल नहीं गली। अब छत्तीसगढ़ पर नजर है। देखते हैं महिला शक्ति भारी पड़ती है या कारोबारी का रसूख काम आता है।

ख्वाब के लिए उठे कदम

कहते हैं कलेक्टर बनने के लिए एक महिला आईएएस अफसर ने महिलाओं के हक पर बुलडोजर चला दिया। महिला आईएएस अफसर के फैसले से राज्य की हजारों महिलाएं फ़रवरी 2022 से सड़क पर आ जाएंगीं। चर्चा है कि ऐसा कर महिला आईएएस अफसर ने सरकार के कर्ता-धर्ता लोगों की नजरों में अच्छा बनने और आगे ताज मिलने पर हर राह पर चलने का संकेत दिया है। कहा जा रहा है लड़की हूं, लड़ सकती हूं… के नारे के साथ चलने वाली कांग्रेस पार्टी के राज में महिलाओं की रोजी-रोटी छीनने का काम हो गया।

सुप्रीम कोर्ट की तरफ निगाह

खबर है कि सुप्रीम कोर्ट राज्य के बहुचर्चित नान कांड की अगली सुनवाई 13 दिसंबर को करेगी। यह मामला पिछले कुछ महीनों से चर्चा में है। भाजपा राज का यह कांड कांग्रेस राज में भी गर्म है। इस कांड की आग में प्रजातंत्र के तीनों प्रमुख स्तंभ झुलसते दिख रहे हैं। कहते हैं ऐसे में सुप्रीम कोर्ट की पीठ को “दूध का दूध और पानी का पानी” साबित करने में बड़ी चुनौतियां आ रही हैं। कहा जा रहा है सच्चाई का पता लगाने के लिए सुप्रीम कोर्ट सीबीआई पर दांव लगा सकती है, पर छत्तीसगढ़ की सरकार ने जनवरी 2019 में राज्य में सीबीआई के प्रवेश पर रोक लगा दी हैं। माना जा रहा है सुप्रीम कोर्ट का आदेश हुआ, तो फिर सीबीआई सांड हो जाएगा। इस कारण राज्य के सभी लोग सुप्रीम कोर्ट की तरफ टकटकी लगाए हुए हैं।

अब कलेक्टरों का नंबर ?

कहते हैं कुछ जिलों के एसपी बदलने के बाद अब कुछ जिलों के कलेक्टर भी बदले जाएंगे। चर्चा है कि बिलासपुर के कलेक्टर सारांश मित्तर, रायगढ़ के कलेक्टर भीमसिंह और कवर्धा के कलेक्टर रमेश शर्मा बदले जा सकते हैं। कवर्धा में हिंसा के बाद से वहां के कलेक्टर को बदले जाने का शिगूफा चल रहा है। पहले दुर्ग रेंज के आईजी पद से विवेकानंद और अब एसपी मोहित गर्ग के तबादले के बाद कवर्धा कलेक्टर के पद पर किसी नए अफसर की पोस्टिंग की खबर चल पड़ी है। माना जा रहा है कि सारांश मित्तर और भीमसिंह को कलेक्टरी करते काफी समय हो गया, इस कारण उन्हें मंत्रालय या किसी निगम-मंडल का एमडी बनाकर नई जिम्मेदारी दी जाएगी । कहा जा रहा है कि सरकार कलेक्टर बनाने के लिए ऐसे अफसरों की तलाश कर रही है, जो विधानसभा चुनाव करा सकें।

भाजपा को नए कोषाध्यक्ष की तलाश

कहते हैं छत्तीसगढ़ भाजपा गौरीशंकर अग्रवाल की जगह नए कोषाध्यक्ष की तलाश कर रही है। चर्चा है भाजपा नए खून और नए चेहरे को आगे लाने के मकसद से पुराने लोगों की जगह नई नियुक्ति के अभियान में लग गई है। नए कोषाध्यक्ष के लिए संघ से जुड़े एक व्यक्ति का नाम भी चल रहा है, पर कुछ लोग उस नाम पर सहमत नहीं हैं। गौरीशंकर अग्रवाल को पूर्व मुख्यमंत्री और पार्टी के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष डॉ. रमन सिंह के खेमे का माना जाता है। अभी छत्तीसगढ़ भाजपा में डॉ. रमन सिंह निर्णायक स्थिति में हैं , पर राष्ट्रीय सह संगठन महामंत्री शिवप्रकाश और हाईकमान का फैसला अंतिम होगा।

मंत्री बड़ा या अफसर ?

कहते हैं संस्कृति मंत्री अमरजीत भगत की नोटशीट के बाद भी संस्कृति विभाग के संयुक्त संचालक उमेश मिश्रा के खिलाफ अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई है। फोन नहीं उठाने से भड़के मंत्री जी ने संयुक्त संचालक को निलंबित करने के लिए विभागीय सचिव को 11 अक्टूबर को नोटशीट भेजा , पर अब तक नोटशीट ऊपर-नीचे नहीं हुई है। कहा जा रहा है कि विभाग के बड़े अफसर संयुक्त संचालक को कारण बताओ नोटिस जारी कर मामला शांत करना चाहते हैं। याने सांप भी मर जाए और लाठी भी ना टूटे, पर सवाल यह है कि कैबिनेट मंत्री की नोटशीट का यह हाल है तो फिर आम जनता की चिठ्ठी-पत्री का क्या हाल होता होगा ?

रिवार्ड या पनिशमेंट

आमतौर पर पुलिस महकमे में जिले की कप्तानी को रिवार्ड के रूप में देखा जाता है, लेकिन आईपीएस दीपक कुमार झा की नई पोस्टिंग लोगों को समझ नहीं आ रहा है। कहां जगदलपुर और बिलासपुर जैसा जिला और कहां बलौदाबाजार -भाटापारा जिला। कहते हैं बिलासपुर के भूगोल बार की घटना के बाद तो बिलासपुर एसपी दीपक झा पर खतरे के बादल मडराने लगे थे। चर्चा है कि डीएम अवस्थी डीजीपी रहते तो झा साहब की बिलासपुर में कुर्सी जमी रहती। कहा जा रहा है कवर्धा कांड ने मोहित गर्ग की गद्दी छीन ली , तो एक सिपाही आई.के. एलेसेला पर भारी पड़ गया। इस उलटफेर में पारुल माथुर, डॉ. लाल उम्मेद सिंह और जे आर ठाकुर की लाटरी लग गई। जांजगीर-चांपा से गरियाबंद जिले में भेजी गई पारुल को फिर बड़ा जिला बिलासपुर मिल गया। लाल उम्मेद सिंह करीब 28 महीने कवर्धा के एसपी रहे, उन्हें मार्च 2020 में हटा दिया गया । अब फिर कवर्धा भेजा गया है। पीएचक्यू में पदस्थ जे आर ठाकुर को भी जिले की कमान मिल गई।

आईएएस की नौकरी से मोहभंग

कहते हैं छत्तीसगढ़ कैडर के एक अफसर का आईएएस की नौकरी से मोहभंग हो गया है और वे इस्तीफा देने वाले हैं। कहा जा रहा है कि अफसर ने मुख्य सचिव को पत्र लिखकर सीनियर अफसरों द्वारा प्रताड़ित करने और सुविधाएं न देने का आरोप लगाया है। पिछले तीन साल में राज्य के कई अफसर भारत सरकार में या दूसरे राज्यों में प्रतिनियुक्ति पर चले गए। कुछ और आईएएस अफसर भारत सरकार में जाना चाहते हैं। इसमें सीनियर और जूनियर दोनों शामिल हैं। प्रतिनियुक्ति पर जाने के इच्छुक कुछ अफसरों को राज्य सरकार ने अनापत्ति प्रमाण पत्र नहीं दिया , तो उन्हें राज्य में रुकना पड़ा।

टिकट के लिए भिड़ीं मंत्री जी की बहुएं

कहते हैं राज्य के एक दिग्गज मंत्री की बहुएं नगरीय निकाय चुनाव की टिकट के लिए आपस में लड़ पड़ीं। इस कारण मंत्री जी ने किसी की पैरवी नहीं की। कहते हैं एक नगरीय निकाय में मंत्री जी की बहुएं चुनाव लड़ना चाहती थीं। चर्चा है कि मंत्री जी छोटी बहू को चुनाव लड़वाना चाहते थे, पर बड़ी बहू भी चुनाव लड़ने की जिद पकड़ ली। मंत्री जी बड़ी बहू को टिकट दिलाने तैयार नहीं हुए और किसी को टिकट नहीं दिलवाया। कहते हैं मंत्री जी की बहू चुनाव जीतती तो महापौर बनती। अब बहुओं को टिकट न मिलने से कार्यकर्ता खुश हैं।

(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)

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