November 22, 2024

बाघमारा डेम में डूबा एक किशोर, एसडीआरएफ कर रही तलाश

पिकनिक मनाने के दौरान मस्ती करना महंगा पड़ा   

कोरबा 2 मई। क्या कोई गर्मी के सीजन में भी पिकनिक मनाता है, इसका जवाब नहीं में ही होगा। इसके बावजूद लोगों के अपने-अपने शौक होते हैं। इसी चक्कर में डेम के पास पिकनिक मनाने के दौरान मस्ती करना महंगा पड़ गया। बाघमारा डेम में एक किशोर के डूबने से आसपास के लोग सक्ते में आ गए। दूसरे दिन एसडीआरएफ को तलाश में लगाया गया है। अब तक खोज पूरी नहीं हो सकी है।   

रजगामार पुलिस चौकी में इस घटना को लेकर सूचना दी गई है। चौकी प्रभारी एस के जोगी ने बताया कि यहां से कुछ ही दूरी पर डेम मौजूद है। सामान्य तौर पर ठंड के सीजन में यहां सैर सपाटा के लिए लोग पहुंचा करते हैं और बाकी सीजन में सन्नाटा पसरा रहता है। इसके बावजूद रविवार की शाम कोरबा के डिंगापुर इलाके से चार किशोर यहां पहुंचे थे। जैसा कि मालूम चला उनका उद्देश्य पिकनिक का था। संबंधित लोग उपरोक्त हिस्से को पार कर रहे थे। इस दौरान तीन किशोर खतरनाक हिस्से से पार हो गए जबकि उनका चौथा साथी 17 वर्षीय अश्वनी टोप्पो पिता संजय टोप्पो फंसने के साथ गिर गया। इस घटनाक्रम के दौरान उसने बचाव के लिए आवाज लगाई लेकिन उसके सहयोगी कुछ नहीं कर सके। उन्होंने आसपास में मौजूद अन्य लोगों को इसकी जानकारी दी। इसके बाद पुलिस को अवगत कराया गया। फौरी तौर पर यथासंभव प्रयास किये गए लेकिन कोई नतीजे नहीं आ सके।   

पुलिस ने बताया कि मौके पर पानी की गहराई बहुत ज्यादा है और इस स्थिति में गैर तकनीकी ढंग से डेम में उतरना बेहद जोखिम भरा हो सकता है। इसलिए टेक्निकली टीम जरूरी है। एसडीआरएफ टीम को हमने सूचना दी थी जिसके बाद वह यहां पहुंची है। तकनीकी उपकरणों के साथ यहां पर बचाव कार्य शुरू किया गया है। जब तक अंतिम नतीजे नहीं आ जाते कुछ नहीं कहा जा सकता।   

ग्रामीण बताते हैं कि माड़ा का पारिभाषिक शब्द उस स्थान से होता है जो रहवास के तौर पर उपयोग में आता है। ग्रामीण क्षेत्र में जानवरों की पहुंच वाली जगह के परिप्रेक्ष्य में इसे प्रयुक्त किया जाता है। लोगों ने सुन रखा है कि वर्षों पहले इस जगह पर बाघ आते थे और यहां पर उनका बसेरा हुआ करता था। इसलिए इसका नाम हो गया बाघमारा। समय और परिस्थितियों के साथ कई प्रकार के बदलाव हुए इसलिए काफी समय से बाघों को यहां पर नहीं देखा गया है। यह बात जरूर है कि हाथियों की मौजूदगी यहां तक होती रही है और घटनाएं भी हुई हैं। इसलिए लोगों को सतर्क किया गया है। इन सबके बावजूद बेजा दखल और अति उत्साह के कारण अप्रिय घटनाएं होती हैं।

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