कही-सुनी @ रवि भोई
कही-सुनी ( 09 OCT-22)
रवि भोई
विधायकी की दौड़ में भाजपा के सांसद
कहते हैं छत्तीसगढ़ में भाजपा के सभी सांसद 2023 में विधानसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। राज्य में अभी लोकसभा के नौ और एक राज्यसभा सांसद हैं। चर्चा है कि 2023 में राज्य में भाजपा की सरकार बनने की संभावना के साथ सांसद के तौर पर हाईकमान से मिल रहे कार्यक्रमों से सांसद मुक्ति चाहते हैं। एक सांसद अरुण साव प्रदेश भाजपा अध्यक्ष हैं ,उनका बिलासपुर संभाग के किसी सीट पर विधानसभा चुनाव लड़ना तय माना जा रहा है। खबर है कि पूर्व अध्यक्ष विष्णुदेव साय ने भी विधानसभा चुनाव की तैयारी शुरू कर दी है। वैसे पार्टी 2023 के विधानसभा चुनाव में कई नए चेहरे मैदान में उतारेगी। पिछले बार चुनाव हारे लोगों में से कइयों का टिकट कटना तय माना जा रहा है। पुराने लोगों को चुनाव लड़ाने की जिम्मेदारी देने की बात हो रही है, ऐसे में अब देखते हैं कितने सांसदों की किस्मत बदलती है।
कांग्रेस विधायकों की कटेगी टिकट
चर्चा है कि 2023 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस भी नए चेहरों को मौका देगी। कांग्रेस के कई विधायकों को लेकर शिकायतें सामने आ रही हैं। भाजपा की तरह कांग्रेस भी आंतरिक रूप से सर्वे करवा रही है। वहीँ भेंट-मुलाक़ात कार्यक्रम के माध्यम से मुख्यमंत्री के पास भी फीडबैक आ रहे हैं। कांग्रेस के पहली बार के विधायकों पर खतरा ज्यादा बताया जा रहा है। कांग्रेस के पहली बार के कुछ विधायक विवादों में भी आ गए हैं। वैसे अभी कांग्रेस के नेता नए अध्यक्ष के आने का इंतजार कर रहे हैं। 19 अक्टूबर को कांग्रेस का नया राष्ट्रीय अध्यक्ष तय हो जाएगा। इसके बाद राज्य में कांग्रेस की गतिविधियां नए सिरे से बढ़ेंगी। कहा जा रहा है कि नए अध्यक्ष के साथ कई राज्यों के प्रभारी महासचिव भी बदलेंगे। इसमें छत्तीसगढ़ भी प्रभावित हो सकता है।
भाजपा नेताओं की लड़ाई में अटका भुगतान
कहते हैं राष्ट्रपति प्रत्याशी के रूप में द्रौपदी मुर्मू के लिए आयोजित एक कार्यक्रम का भुगतान भाजपा के कुछ नेताओं की लड़ाई में अटक गया है। यहां एक होटल में भाजपा ने द्रौपदी मुर्मू के प्रचार के लिए 15 जुलाई 2022 को एक कार्यक्रम किया था। इस कार्यक्रम को आयोजित करने के लिए जिस नेता को जिम्मेदारी दी गई थी, उनसे उसी दिन विमानतल पर भाजपा के ही कुछ नेताओं ने दुर्व्यवहार कर दिया। भाजपा शासनकाल में पावरफुल रहे नेता तब तो खून का घूंट पीकर रह गए, लेकिन वक्त आया तो अंगुली टेढ़ी कर ली। अब होटल वाले का भुगतान नहीं हो पा रहा है। भुगतान को लेकर भाजपा के अंदरखाने में ही विवाद चल रहा है।
योजना बनाए या पिकनिक मनाए
छह अक्टूबर को गंगरेल डेम के रिसार्ट में आयोजित भाजपा की चिंतन बैठक को लेकर लोग कई तरह के सवाल खड़े कर रहे हैं। बताते हैं 2023 के विधानसभा चुनाव की रणनीति और अन्य तैयारियों को लेकर एक दिवसीय बैठक पिकनिक स्पॉट में बुलाए जाने पर माहौल पिकनिक जैसा ही रहा। बैठक के पहले लोग मेल-मुलाक़ात और फोटो खिंचवाते दिखे। कहने को तो बैठक गोपनीय थी और केवल 31 लोग ही आमंत्रित थे। आमंत्रित लोग पुराने चेहरे ही थे। न तो सभी विधायकों को बुलाया गया था और न ही सभी सांसदों को। आमंत्रण का कोई मापदंड न होने पर पार्टी के भीतर बवाल मचा है। कहा जा रहा है बैठक में राष्ट्रीय सह संगठन मंत्री शिवप्रकाश बोलते रहे और बाकी सुनते रहे। कुछ ने अपनी बात कहने की कोशिश की तो उन्हें फटकार लग गई।
‘आप’ की दस्तक
जमीनी स्तर के चुनाव के बहाने ही सही आम आदमी पार्टी ने छत्तीसगढ़ में दस्तक दे दी है। पिछले दो अक्टूबर को प्राथमिक लघु वनोपज सहकारी समिति बालोद के अध्यक्ष और उपाध्यक्ष के पद पर आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार की जीत हुई। बालोद जिले की तीनों विधानसभा सीट पर अभी कांग्रेस का कब्जा है। बालोद जिला पहले दुर्ग जिले का हिस्सा था। दुर्ग जिले से मुख्यमंत्री भूपेश बघेल समेत चार मंत्री हैं। बालोद के मुकाबले बिलासपुर संभाग में आम आदमी पार्टी की सक्रियता ज्यादा दिखाई पड़ती है, ऐसे में बालोद में आम आदमी पार्टी की दस्तक को प्रदेश के लिए एक नया संदेश माना जा रहा है। साथ ही भाजपा और कांग्रेस दोनों के लिए खतरे की घंटी भी कही जा रही है। वैसे राज्य में जोगी कांग्रेस में टूट-फूट के बाद लोग आम आदमी पार्टी को तीसरी शक्ति के रूप में देखने लगे हैं।
परेशानी में रिटायर्ड अफसर
सरकारी तंत्र के शिकार आम लोग ही नहीं होते, कभी-कभी उस तंत्र के अंग रहे लोग भी हो जाते हैं। ऐसा ही कुछ राज्य के एक सीनियर ब्यूरोक्रेट के साथ हो रहा है। कहते हैं जुलाई 2021 में रिटायर्ड सीनियर ब्यूरोक्रेट को अब तक पेंशन मिलना शुरू नहीं हुआ है। मुख्य सचिव की दौड़ में पीछे छूट गए यह अफसर अब राज्य छोड़ चुके हैं , लेकिन उनका कल्याण अब तक नहीं हो पाया है। बताते हैं अपने जमाने में तेज-तर्रार रहे इस अफसर के पीछे कुछ अदृश्य शक्तियां लगी हैं और पेंशन अटकाने के काम में उन्हें मजा आ रहा है। कहा जा रहा है कि अदृश्य शक्तियों को शांत किए बिना उनका तो भला होना नहीं है। फिलहाल तो वे परेशानी में हैं। अब देखते हैं कब उनके अच्छे दिन आते हैं।
मीरा बघेल की विदाई
डॉ.मीरा बघेल को रायपुर की मुख्य चिकित्सा अधिकारी पद से हटाना लोगों के लिए आश्चर्यजनक घटना बन गई है। छत्तीसगढ़ की ताकतवर स्वास्थ्य अफसरों में गिनी जानी वाली मीरा बघेल कोरोनाकाल में बड़ी सुर्ख़ियों में रहीं। कहते हैं मीरा बघेल आईएएस अफसरों को भी तव्वजो नहीं देती थी। इससे आईएएस लॉबी उनके खिलाफ पहले से ही थी। सत्ता में ऊंची पहुंच रखने वालों के वरदहस्त के चलते उनकी तूती बोलती रही। कहते हैं न समय बड़ा बलवान होता है, ट्रांसफर पर रोक हटी तो स्वास्थ्य मंत्री टी एस सिंहदेव ने मीरा बघेल को स्वास्थ्य मुख्यालय में डिप्टी डायरेक्टर बना दिया। चर्चा है कि मीरा बघेल से स्वास्थ्य मंत्री खुश नहीं थे और मौका लगते कैंची चला दी। वैसे स्वास्थ्य मंत्री ने मुख्य चिकित्सा अधिकारियों में बड़ा उलटफेर किया है। कई ताकतवर अफसरों को हिला दिया है। सालों से एक जगह पर बैठकर सत्ता चलाने वालों को पटखनी दे दी है।
कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस के बाद सर्जरी
कहा जा रहा है कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस के बाद कम से कम आधा दर्जन जिले के कलेक्टर और एसपी बदले जाएंगे। सरकार ने पिछले हफ्ते तीन जिले के कलेक्टर और एसपी अचानक बदले थे, पर कलेक्टर-एसपी कांफ्रेंस में परफॉर्मेंस के बाद बदलाव तय माना जा रहा है। कहा जा रहा है कई कलेक्टर अलग-अलग जिलों को मिलाकर लंबा कार्यकाल पूरा कर लिया है , ऐसे अफसरों को हटाया जाएगा। इस फार्मूले में छह-सात जिले के कलेक्टर आ सकते हैं। वहीँ कई जिलों में कानून-व्यवस्था की स्थिति ख़राब होने के चलते एसपी बदले जाने की खबर है।
(-लेखक, पत्रिका समवेत सृजन के प्रबंध संपादक और स्वतंत्र पत्रकार हैं।)
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