पटना में बीएमएस का अधिवेशन, श्रमिक हितों को लेकर कई प्रस्ताव पारित
0 जिले के पदाधिकारी बड़ी संख्या में हुए शामिल
कोरबा। पटना में आयोजित हुए भारतीय मजदूर संघ (बीएमएस) के तीन दिवसीय 20वें त्रैवार्षिक राष्ट्रीय अधिवेशन में श्रमिक हितों को लेकर कई प्रस्ताव पारित किए गए। अधिवेशन में बड़ी संख्या में जिले के पदाधिकारी भी शामिल हुए। असंगठित और संगठित पूरे श्रम क्षेत्र के लिए श्रम नीति और कानून बने।
इसके अलावा पदाधिकारियों ने कहा कि उल्लेखित श्रमिक अधिनियमों का कड़ाई से समय सीमा के भीतर पालन सुनिश्चित की जाए। सभी को शिक्षा, स्वास्थ्य, भोजन, आवास रोजगार की सुविधा मुहैया हो सके, इस हेतु सरकार की लागू की गई स्कीम्स के क्रियान्वयन के लिए ठोस प्रशासनिक नीति का निर्माण किया जाए तथा पर्याप्त धनराशि का आवंटन किया जाए। असंगठित क्षेत्र के लिए अलग से राज्य स्तर पर लेबर वेलफेयर फंड बोर्ड का गठन किया जाए तथा इनमें कृषि, मत्स्य, स्ट्रीट वेंडर, घरेलू कामगार अन्य को समाहित किया जाए। भारतीय श्रम सम्मेलन के 45वें सत्र की सिफारिश को लागू किया जाए, जिसके तहत आंगनबाड़ी, आशा, मिड डे मील, सर्व शिक्षा अभियान एवं अन्य स्कीम वर्कर की सेवा शर्तों के साथ वेतन एवं सामाजिक सुरक्षा का लाभ इन्हें मिल सके। स्वनियोजित कामगारों एवं स्कीम वर्कर को पेंशन के दायरे में लाया जाए तथा इसे महंगाई के साथ लिंक किया जाए। अंतिम वेतन के 50 फीसदी राशि के बराबर पेंशन दिया जाए। पेंशन को महंगाई भत्ते के साथ जोड़ा जाए तथा पेंशन राशि का समय-समय पर पुनर्निर्धारण किया जाए। राष्ट्रीय सामाजिक सुरक्षा स्वायत्त संस्थान स्थापित करने पर विचार किया जाए। नवोन्मेषी वित्त पोषण प्रणाली के साथ सामाजिक क्षेत्र की निवेश योजना का विकास किया जाए। सार्वभौमिक स्वास्थ्य कवरेज योजना लागू की जाए ताकि आम नागरिक को स्वास्थ्य संबंधी महंगे इलाज से राहत मिल सके। पारस्परिक समझौतों और सामूहिक सौदेबाजी को प्रोत्साहन मिले। औद्योगिक शांति बनाये रखने को प्राथमिकता दी जाए। समाजिक सुरक्षा के उचित मापदंडों का निर्धारण हो। श्रम कानून की पालना और श्रम विवाद के निपटारे की समयबद्ध व्यवस्था सुनिश्चित हो। प्रबंधकीय व्यवस्था में श्रम की भागीदारी सुनिश्चित हो। त्रिपक्षीय विचार विमर्श के लिए प्रभावी फोरम बनाया जाए। आईएलसी का आयोजन साथ ही त्रिपक्षीय फोरम की ओर से दी गई आम सहमति को लागू किया जाए। उच्च शिक्षा के साथ साथ व्यवसायिक कौशल और प्रशिक्षण की प्रभावी और परिणामदायी व्यवस्था लागू की जाए। देश में तेजी से बढ़ती बेरोजगारी पर नियंत्रण करने के लिए नये रोजगार के अवसर सृजित किए जाएं। न्यूनतम मजदूरी के स्थान पर जीविका मजदूरी तय की जाए। आर्थिक विकास के लाभों में मजदूरों की अनुपातिक हिस्सेदारी सुनिश्चित की जाए। मजदूरी दर में अंतर समाप्त किया जाए। व्यवसायिक सुरक्षा एवं स्वास्थ्य के मानक तय हों। श्रम कानूनों की पालन सुनिश्चित किया जाए। राष्ट्रीय श्रम नीति निर्माण के लिए त्रिपक्षीय फोरम बनाया जाए, जिसमें प्रमुखता से मांग रखी गई कि सामाजिक सुरक्षा संहिता 2020 को अति शीघ्र लागू किया जाए।