पंडित की बात असत्य नहीं होती, उनका श्राप खाली नहीं जाता : सचिन
0 बरपाली में केंवट परिवार का संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह
-सुखदेव कैवर्त
कोरबा (बरपाली)। पंडित की बात असत्य नहीं होती है उनका श्राप खाली नहीं जाता। श्रापों से मुक्ति श्रीमद् भागवत कथा सुनने से मिलती है। उक्त बातें भागवताचार्य पंडित सचिन तिवारी रायगढ़ जतरी वाले ने बरपाली कोरबा में सुखदेव कैवर्त के आवास में कंेवट परिवार की ओर से पितृ मोक्षांगत एवं मृत आत्मा कल्याण हेतु आयोजित संगीतमय श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह के दूसरे दिवस पर कपिल चरित्र पर व्यास पीठ से कही।
पं. तिवारी ने कहा कि देव लोक में भी भागवत कथा नहीं होती। यह सौभाग्य पृथ्वी वासियों को श्रीमद् भागवत महापुराण कथा सुनने एवं कहने का सौभाग्य प्राप्त है। भगवान भी श्रीमद् भागवत महापुराण कथा सुनने पृथ्वी पर आये हैं। सुकदेव महाराज को स्वर्ग एवं देव लोक में श्रीमद् भागवत महापुराण कथा सुनाने के लिए आमंत्रित किया, लेकिन उन्होंने उनके आग्रह को ठुकरा कर कहा कि भगवान की कथा श्रीमद् भागवत सुनना है तो नैमिषारण्य गंगा किनारे श्रीमद् भागवत महापुराण ज्ञान यज्ञ सप्ताह चल रहा है, वहां आ जाएं। सभी जीव जंतु मनुष्य देव कथा सुनें। सुकदेव महाराज ने एक सप्ताह तक अखंड श्रीमद् भागवत महापुराण कथा सुनाया। देवता भी देव लोक से भागते हुए कथा स्थल पहुंच कर गंगा नदी के रेत एवं ताड़ पेड़ के नीचे बैठकर भगवान की कथा सुने। उन्होंने एक सप्ताह के बारे में बताते हुए कहा कि सप्ताह में सात दिन होते हैं, आठ दिन नहीं होती। सोमवार से रविवार तक सात दिवस ही होते हैं जो बनाया गया है। माह तो अठाइस, उनतीस, तीस, इकतीस दिन होते हैं। हिंदू धर्म में माह कम ज्यादा होता है, लेकिन सप्ताह सात दिवस ही होता है। इसमें घट-बढ़ नहीं हो सकता। राजा परिक्षित को पंडित जी ने जब श्राप दिया तो कहा कि एक सप्ताह के बाद अगले सप्ताह तक्षक नाग आकर उसे डसेगा और परीक्षित की मृत्यु हो जायेगी। पंडित के श्राप से मुक्ति के लिए देवता भी अमृत लेकर आये, लेकिन पंडित का श्राप था जो खाली नहीं जाता। उस श्राप से सद्गति के एक सप्ताह तक श्रीमद् भागवत महापुराण कथा ज्ञान यज्ञ सप्ताह सुनकर सद्गति को प्राप्त किया। कपिल मुनि के चरित्र को विस्तार से श्रवण कराते हुए पंडित तिवारी ने सभी को भाव विभोर कर दिया। संगीत टीम सभी श्रोताओं को झूमने पर विवश कर दिया। बड़ी संख्या श्रोताओं की भीड़ सुबह शाम कथा सुनने उमड़ रही है।