खुद को जानने का उपयुक्त साधन है योग : दत्ता
0 शाससकीय ग्राम्य भारती महाविद्यालय हरदीबाजार में मनाया गया अंतरराष्ट्रीय योग दिवस
-विनोद उपाध्याय
कोरबा (हरदीबाजार)। भारतीय संस्कृति में उपलब्ध सार्वभौमिक एवं अनमोल साधन, शारीरिक, मानसिक तथा आध्यात्मिक तीनों रूपों से महत्वपूर्ण तथा जीवन शक्ति को ऊपर उठाने वाले योग के प्रति जागरूकता बढ़ाने के उद्देश्य से शासकीय ग्राम्य भारती महाविद्यालय हरदीबाजार में सुबह 7 से 10 बजे तक ग्रंथालय भवन में सामूहिक योगाभयास सत्र का आयोजन किया गया। महविद्यालय की रासेयो इकाई के तत्वावधान में आयोजित इस सत्र में योग प्रशिक्षक, सेवानिवृत्त एसईसीएल कर्मी पी.के. दत्ता ने अगुवाई करते हुए सभी को विभिन्न प्रकार के आसन, प्राणायाम एवं योग निद्रा का अभ्यास कराया। साथ ही योग के इतिहास, इसके विस्तृत महत्व तथा इसे करते समय ध्यान रखने योग्य बातों का वर्णन करते हुए सूर्य नमस्कार का प्रशिक्षण भी दिया।
आर्यन पब्लिक स्कूल के निदेशक अजय कुमार दुबे के नेतृत्व में सभी ने ओम महामंत्र का जाप किया। मौके पर उपस्थित मुख्य अतिथि महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. शिखा शर्मा ने संबोधित करते हुए कहा कि जीवन के हर क्षेत्र में, एक नए स्तर के संतुलन और क्षमता को प्राप्त करना ही योग है। उन्होंने सभी से योग को अपने जीवन का हिस्सा बनाने तथा अपने स्वास्थ्य को उच्चतम स्तर पर बनाये रखने का आग्रह भी किया। सत्र में विशिष्ट अतिथियों के रूप में महाविद्यालय के विभिन्न विभागों के विभागाध्यक्ष, शिक्षक, ग्रंथपाल एवं प्रशासनिक कर्मचारी उपस्थित रहे। सत्र की अंतिम कड़ी में रासेयो के कार्यक्रम अधकारी प्रो. अखिलेश पांडे ने कार्यक्रम में उपस्थित अतिथियों एवं अन्य सभी व्यक्तियों को धन्यवाद ज्ञापित करते हुए कहा कि हमारे जीवन में योग का अंतिम लक्ष्य प्रत्येक व्यक्ति को स्वयं से उठाकर खुद के जीवन में उच्चतम अवस्था प्राप्त करने में मदद करना है। कार्यक्रम में कुलवंत तिर्की के नेतृत्व में महाविद्यालय की नवगठित एनसीसी इकाई ने सहभागिता प्रदान करते हुए वसुधैव कुटुम्बकम का संदेश दिया। इसके अतिरिक्त महाविद्यालय परिसर में छात्रों ने चित्रकला, स्लोगन, क्विज इत्यादि प्रतियोगिताओं में भाग लेकर योग को और बेहतर ढंग से जाना। कार्यक्रम को सफल बनाने में महाविद्यालय के ग्रंथपाल अशोक मिश्रा तथा रासेयो के यूपनरायण यादव, मनीष, राजू टेकाम, राहुल कुमार, कमलेश्वर, अखिलेश कुमार, संजय कु. कश्यप, हेमा गुप्ता, गायत्री कंवर, चित्ररेखा, उजाला कंवर, मोनिका अहीर, दर्शना, रूबी पंडित एवं अन्य स्वयंसेवकों की भूमिका अहम रही।