गेवरा के बाद अब कुसमुंडा जीएम कार्यालय घेरेंगे भू-विस्थापित
0 जीएम ऑफिस के बाहर प्रदर्शन कर 25 को घेराव की दी चेतावनी
कोरबा। एसईसीएल गेवरा के बाद अब छत्तीसगढ़ किसान सभा और भू- विस्थापित रोजगार एकता संघ ने कुसमुंडा खदान में घेरा डालो डेरा डालो आंदोलन की चेतावनी दी है। लंबित रोजगार प्रकरणों के निराकरण, बसाहट और जमीन वापसी सहित अन्य मांगों को लेकर 25 जुलाई को जीएम कार्यालय का घेराव करने के साथ खदान बंदी की चेतावनी दी गई है।
संगठन पदाधिकारियों ने एसईसीएल की खदानों से प्रभावित भू-विस्थापित किसानों की 9 सूत्रीय मांग को लेकर कुसमुंडा महाप्रबंधक कार्यालय के सामने प्रदर्शन कर कुसमुंडा जीएम संजय मिश्रा को ज्ञापन सौंपा है। 25 जुलाई को कुसमुंडा कार्यालय के घेराव के साथ खदान के महाबंद की चेतावनी दी है। प्रदर्शन के दौरान माकपा जिला सचिव प्रशांत झा ने कहा कि भू-विस्थापित रोजगार के लंबित प्रकरणों का निराकरण की मांग करते हुए थक गए हैं। अब अपने अधिकार को छिन कर लेने का समय आ गया है। विकास के नाम पर अपने गांव और जमीन से बेदखल कर दिए गए विस्थापित परिवारों का जीवन स्तर सुधरने की बजाय और भी बदतर हो गया है। 40-50 वर्ष पहले कोयला उत्खनन करने के लिए किसानों की हजारों एकड़ जमीन का अधिग्रहण किया गया था। कोयला खदानों के अस्तित्व में आ जाने के बाद विस्थापित किसानों और उनके परिवारों की सुध लेने की किसी सरकार और खुद एसईसीएल के पास समय ही नहीं है। 31 अक्टूबर 2021 को लंबित प्रकरणों पर रोजगार देने की मांग को लेकर कुसमुंडा क्षेत्र में 12 घंटे खदान जाम करने के बाद एसईसीएल के महाप्रबंधक कार्यालय के समक्ष दस से ज्यादा गांवों के किसान 626 दिन से अनिश्चितकालीन धरना पर बैठे हैं। इस आंदोलन के समर्थन में छत्तीसगढ़ किसान सभा शुरू से ही उनके साथ खड़ी है। किसान सभा के अध्यक्ष जवाहर सिंह कंवर, दीपक साहू, जय कौशिक ने कहा कि पुराने लंबित रोजगार को लेकर एसईसीएल गंभीर नहीं है। खम्हरिया के किसान 40 साल से जिस जमीन पर खेती किसानी कर रहे हैं उसे प्रबंधन प्रशासन का सहारा लेकर किसानों से जबरन छीनना चाह रही है। कुसमुंडा कार्यालय के सामने नारेबाजी करते हुए प्रदर्शन में बड़ी संख्या में भू-विस्थापित किसान एकजुट हुए।