ब्लैकआउट से निपटने हाइडल से होगी बिजली आपूर्ति
0 शुक्रवार को किया जाएगा मॉकड्रिल
कोरबा। यदि कभी आकस्मिक बिजली गुल हो जाए, पावर संयंत्र बंद हो जाए तो ऐसी स्थिति में क्या करेंगे? ऐसी स्थिति से निपटने बिजली विभाग के अधिकारी 11 अगस्त को मॉकड्रिल कर आपात स्थितियों से निपटने की तैयारी जांचेंगे।
ब्लैकआउट की स्थिति में बिजली घरों को कितनी शीघ्रता से पुन: चालू किया जा सकेगा, हसदेव बांगो जल विद्युत गृह में किए गए मॉकड्रिल में इसे जांचा जाएगा। ब्लैकआउट की स्थिति में पावर संयंत्रों को फिर से स्टार्ट करना कठिन होता है। इसके लिए तत्काल बिजली की आवश्यकता पड़ती है। ऐसी स्थिति में जल विद्युत संयंत्रों से तत्काल बिजली आपूर्ति हो सकती है। 11 अगस्त को भी पावर संयंत्रों में आभासी ब्लैकआउट की स्थिति निर्मित की जाएगी। बिजली सप्लाई बंद कर हाइडल प्लांट से बिजली आपूर्ति कर संयंत्रों को पुन: शुरू किया जाएगा। इसमें राज्य उत्पादन, ट्रांसमिशन और वितरण कंपनी के अफसर छत्तीसगढ़ स्टेट पावर ट्रांसमिशन कंपनी के डंगनिया स्थित लोड डिस्पैच सेंटर से संपादित किया जाता है। मॉकड्रिल के दौरान सर्वप्रथम बांगो हाइडल प्लांट, छुरीखुर्द जमनीपाली व कोरबा पूर्व के उपकेंद्रों से फीड होने वाले क्षेत्रों को मिलाकर एक आइलैंड सबसिस्टम बनाया जाता है। इसके पश्चात आइलैंड सबसिस्टम में ब्लैकआउट की स्थिति निर्मित की जाती है। इसके पश्चात इंजीनियरों की टीम युद्ध स्तर पर बिजली संकट को बहाल करने में जुट जाते हैं। इसके लिए बांगो में उपलब्ध डीजल जनरेटर सेट से बंद जल विद्युत इकाई को सर्विस में लेकर उपकेंद्र के बस को चार्ज करते हुए विभिन्न उपकेंद्रों तक बिजली पहुंचाने का काम किया जाता है। इसके बाद आइलैंड सबसिस्टम की फ्रीक्वेंसी और वोल्टेज को मॉनिटर करते हुए बांगो हाइडल की आपूर्ति को कोरबा पश्चिम विद्युत गृह तक पहुंचाया जाता है। इस पूरी प्रक्रिया में कितना समय लगता है इसे देखा जाता है। इसे ही यह माना जाता है कि ब्लैकआउट की स्थिति में पुन: पावर प्लांट को स्टार्ट करने में उतना वक्त लगेगा। मॉनिटरिंग मुंबई स्थित वेस्टर्न रीजनल लोड डिस्पैच सेंटर के एक्सपर्ट इंजीनियर करते हैं। इंडियन इलेक्ट्रिसिटी ग्रिड कोड और स्टेट ग्रिड कोड के प्रावधानों के अनुसार साल में दो बार इस तरह का मॉकड्रिल करना होता है।