संजीवनी कंडम, महतारी एक्सप्रेस की हालत भी खराब
0 गर्भवती महिलाओं के लिए वाहन में सुविधाओं की भारी कमी
कोरबा। एक ओर जहां संजीवनी 108 के वाहन कंडम हो चुके हैं, वहीं दूसरी ओर जच्चा-बच्चा की सुरक्षा के लिए शुरू की गई 102 एंबुलेंस महतारी एक्सप्रेस की हालत भी अच्छी नहीं है। अधिकांश एंबुलेंस में अंदर की ओर खिड़की दरवाजे उखड़ गए हैं। दवाइयां तो दूर ऑक्सीजन के अलावा रास्ते में प्रसव होने पर जच्चा-बच्चा को उपलब्ध कराने कंबल टावेल का इंतजाम नहीं है। एंबुलेंस में स्ट्रेचर की तरह तैयार किया गया सीट भी ऐसी की थोड़ी दूर के सफर में पीठ का दर्द उठने लगे।
आकस्मिक सड़क दुर्घटना में घायल अथवा गंभीर बीमारी से जूझ रहे मरीजों को इमरजेंसी में अस्पताल पहुंचाने वाली संजीवनी 108 और महतारी 102 वाहनों को अब खुद के इलाज यानि रखरखाव के लाले पड़ गए हैं। जिला अस्पताल में कंडम एंबुलेंस वाहनों की तादाद दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही है। तीन साल के भीतर चार नए वाहन मिले। वहीं इसी अवधि में एक-एक कर छह वाहन काफी पुराने हो जाने से अनुपयोगी हो गए। जिले में 11 संजीवनी 108 व महतारी 102 के दो-दो वाहनों के बंद होने से आपातकालीन मरीजों को वाहन की सुविधा से वंचित होना पड़ रहा है। जिले में 108 संजीवनी एक्सप्रेस की सुविधा 11 एंबुलेंस के साथ शुरू हुई थी। छह साल से लगातार रोजाना सौ किसी से अधिक चलने के कारण पुराने पांच एंबुलेंस की हालत खराब हो गई है। सेवा देने में असमर्थ वाहन की दशा अब ऐसी भी नहीं कि उसमें सुधार हो सके। मेडिकल कॉलेज परिसर में खड़े पुराने वाहनों के पार्ट चोरी हो चुके हैं। एंबुलेंस सेवा की कमी के कारण मरीजों के स्वजनों को किराए के निजी वाहन से अस्पताल पहुंचाने की नौबत आ गई है।
0 नहीं पहुंचती गांवों तक एंबुलेंस
वर्षा काल होने के कारण नदी नालों से घिरे गांवों तक संजीवनी की सेवा ठप हो गई है। पोड़ी उपरोड़ा के धनरास, पाली के लोटनापारा, मदनपुर के लटियापारा आदि ऐसे गांव हैं, जहां वर्षा के कारण वाहन सेवा बंद है। जिले में 30 से भी अधिक पहुंचविहीन गांवों से बीमार मरीजों का आज भी स्ट्रेचर या खाट के सहारे उठा कर एंबुलेंस तक लाया जाता है, तब कहीं जाकर उन्हें एंबुलेंस की सुविधा मिलती है।