September 20, 2024

सीएम बघेल हुए सख्त, जल जीवन मिशन में 7 हजार करोड़ रूपए के कार्यो की जांच के लिए समिति की गठित

रायपुर 24 अक्टूबर। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने जल जीवन मिशन के अंतर्गत कार्य आबंटन प्रक्रिया के संबंध में प्राप्त हो रही विभिन्न शिकायतों को गंभीरता से लिया है। श्री बघेल ने इन शिकायतों के परीक्षण के लिए मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव वित्त और सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की तीन सदस्यीय टीम गठित की है।

जल जीवन मिशन के अंतर्गत ग्रामीण इलाकों के घरों में वर्ष 2024 तक पाइप लाइन के माध्यम से पेयजल आपूर्ति का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। वर्तमान में जल जीवन मिशन में लगभग 7 हजार करोड़ रूपए के कार्यो के आबंटन की प्रक्रिया प्रगति पर है।

मैदानी इलाकों में राज्य के बाहर की कंपनियों को 6 हजार करोड़ रुपए के ठेके देने का आरोप

केंद्र सरकार के सहयोग से इस योजना में ग्रामीण क्षेत्र के हर क्षेत्र में पेयजल लाइन पहुंचाई जानी है। जिससे प्रत्येक घर में नल लगाए जा सकें। इसके लिए ठेकों की प्रक्रिया चल रही है। आरोप है कि अकेले करीब 6 हजार करोड़ रुपए का ठेका राज्य की बाहर की कंपनियों को मैदानी इलाकों में दे दिया गया। जबकि प्रदेश के स्थानीय ठेकेदारों को बस्तर और नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में छोटे ठेके दिए गए।

डी श्रेणी के ठेकेदारों को भी पात्रता से अधिक के काम देने का आरोप

पीएचई विभाग की इस ठेका आबंटन प्रक्रिया को लेकर विरोध के स्वर उठने शुरू हो गए थे। इसके बाद ठेकेदारों सहित कांग्रेस के नेताओं ने भी इसकी शिकायत मुख्यमंत्री से की। ए श्रेणी के ठेके के लिए पात्रता असीमित है, बी के लिए 10 करोड़, सी के लिए 2 करोड़ और डी के लिए एक करोड़ की पात्रता है। बताया जा रहा है कि डी श्रेणी के ठेकेदारों को भी 4 से 10 करोड़ के काम आबंटित कर दिए गए।

शिकायतों पर मुख्यमंत्री बघेल ने जताई है नाराजगी

योजना में शिकायत मिलने को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने गंभीरता से लिया है। उन्होंने ठेकों में गड़बड़ी के आरोपों पर नाराजगी भी जताई है। शिकायतों को लेकर उन्होंने मुख्य सचिव आरपी मंडल की अध्यक्षता में अपर मुख्य सचिव वित्त और सचिव लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग की तीन सदस्यीय टीम गठित की है। यह टीम ठेका आबंटन को लेकर अपनी जांच कर रिपोर्ट सरकार को सौंपेगी।

प्रदेश में ग्रामीण इलाकों के 38 लाख से ज्यादा घरों में नल लगाने का लक्ष्य

छत्तीसगढ़ के ग्रामीण क्षेत्रों में पाइप लाइन के माध्यम से 43.17 लाख घरों में से अब तक 4.82 लाख (11% ) घरों में ही पानी की सप्लाई की जा रही है। जल जीवन मिशन के माध्यम से 38.34 लाख घरों में पानी सप्लाई का लक्ष्य है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 15 अगस्त 2019 को जल जीवन मिशन की घोषणा की थी। इसके तहत साल 2024 तक हर घर स्वच्छ पेयजल उपलब्ध कराने का लक्ष्य तय किया गया है।

4500 करोड़ के ठेके पूरी तरह से संदेह के दायरे में

इस मामले में कंपनियों के लिए टेंडर शर्ते काफी लचीले बनाए गए थे। इसका फायदा उठाते हुए कई कंपनियों ने ठेके हासिल किए। यह बात सामने आई है कि प्रदेश के बाहर की कुल 44 कंपनियों को काम दिया गया। इतना ही कुछ को रेट कांट्रेक्ट कर काम दिया गया । इन्हें तीन चौथाई काम दिए गए। करीब 4500 करोड़ के ठेके पूरी तरह से संदेह के दायरे में है। विभाग ने पाइप निर्माता, इंजीनियरिंग और कंप्यूटर और उसकी एसेसरीज बनाने वाली अनुभवहीन कंपनियों को भी काम दे दिया गया। इससे नाराज प्रदेश के फर्मों और ठेकेदारों ने सीएम बघेल और पार्टी के अन्य हलकों में इसकी शिकायतें की थीं। इस संबंध में बताया गया है कि योजना के लिए राष्ट्रीय स्तर पर आफर बुलाए गए थे। ऐसे नियम बने कि यदि किसी कंपनी के पास अनुभव नहीं है तो वह ज्वाइंट वेंचर कर टेंडर कर सकती है। इसमें वह स्थानीय कंपनियों को शामिल कर सकती है। लेकिन कुछ ने ऐसा किया कुछ ने नहीं। इन बाहरी कंपनियों को उनके टर्नओवर पर रेट कांट्रेक्ट पर ही काम दिया गया। इस छूट का फायदा महाराष्ट्र, गुजरात , तेलंगाना की कंपनियों को मिला। मैदानी इलाकों के काम बाहरी कंपनियों को दिया गया। इनमें पटेल इंजीनियरिंग मुंबई, लक्ष्मी इंजीनियरिंग कोल्हापुर, गाजा इंजीनियरिंग तेलंगाना, सुधाकर इंफोटेक हैदराबाद, एनएसटीआई कंस्ट्रक्शन कंपनी हैदराबाद, पीआर प्रोजेक्ट इंफ्रास्ट्रक्टर दिल्ली प्रमुख हैं। पीएचई में ए-श्रेणी के ठेकेदारों के लिए काम की असीमित पात्रता है, बी-श्रेणी वालों के लिए 10 करोड़, सी-श्रेणी वालों के लिए 2 करोड़ और डी-श्रेणी वालों के लिए एक करोड़ की पात्रता निर्धारित है। लेकिन शिकायतें यह की गईं कि डी-श्रेणी के ठेकेदारों को भी 4 से 10 करोड़ रुपए तक का काम दे दिया गया।

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