दाउजी के राज में अधिकारी बेलगाम..राज्य सरकार के मूल उद्देश्य “छत्तीसगढ़ में छत्तीसगढ़ीयों के महत्व” को किया दरकिनार
जल जीवन मिशन (JJM)योजना के अंतर्गत केंद्र सरकार से प्राप्त हजारों करोड़ रुपए की राशि का Contract आबंटन में राज्य सरकार के पीएचई विभाग के आला अधिकारियों द्वारा बड़ी धांधली करने का मामला सामने आया है। राज्य के कई जिलों में महाराष्ट्र ,गुजरात ,बिहार ,तेलंगाना जैसे बाहर के राज्यों के Firms को करोड़ों का ठेका नियम विरुद्ध तरीके से प्रदान करने के आरोप जिले के ठेकेदारों द्वारा लगाए गये हैं। इतना ही नहीं कवर्धा -दुर्ग में “D” class कांट्रेक्टर को भी (फर्जी टर्नओवर) के आधार पर करोड़ों का ठेका देने का आरोप अधिकारीयों पर लगाया जा रहा है।
जबकि राज्य के स्थानीय ठेकेदार जिनकी संख्या लगभग 1000 से अधिक है उन्हें छोटा-छोटा ठेका दिया गया खानापूर्ति के नाम पर, जोकि छत्तीसगढ़ महतारी के लाल ठेकेदार/ निवासियों के साथ नाइंसाफी है। बाहर के ठेकेदारों को मैदानी छेत्र में भरपूर काम, लोकल लोगो को दूरस्थ क्षेत्रों में भेजा गया है एवं मैदानी दर पर नक्सलाइट एवं पहाड़ी क्षेत्रों में कार्य करने का दबाव बनाया जा रहा है। वहीँ दूसरी ओर जो ट्रेडर्स है जिन्हे works के काम का कोई टर्नओवर नहीं है व जिनके PWD में डी श्रेणी में पंजीयन है उन्हें PWD manual की धज्जी उड़ाते हुए डेढ़ करोड़ से अस्सी करोड़ के कार्य के लिए मैदानी छेत्र में भेज दिया गया। इस पूरी प्रक्रिया में संरक्षण सत्ताधारी संगठन के प्रमुख पदाधिकारी का नाम संलग्न उच्च अधिकारी द्वारा लिया जाता है। ऐसा लगता है ब्रिटिश शासन वापस अा गया है।
ठेकेदारों के समूह ने इस मामले में बरती गई भारी अनियमितता और भ्रष्टाचार की शिकायत राज्य के मुख्यमंत्री ,राज्यपाल व पीएचई मंत्री से करते हुए प्रधानमंत्री को पूरी जानकारी भेजने की तैयारी की है। कुछ ठेकेदार इस फर्जी आबंटन/ बंदरबांट के खिलाफ माननीय उच्च न्यायालय में रिट दायर करने की तैयारी कर रहे हैं। विभाग के कुछ संदिग्ध अधिकारियों की भूमिका की जांच की मांग भी की जा रही हैं, जिन्होंने कमीशन खोरी में यह गंदा खेल किया है। इस पुर बंदरबांट से छत्तीसगढ़िया ठेकेदारों में बहुत आक्रोश व्याप्त है, उन्होंने माननीय मुख्यमंत्री से इस मामले में तत्काल कार्यवाही की मांग करते हुए आबंटन निरस्त कर नए सिरे से विधिवत आबंटन करने की अपील की है।