छत्तीसगढ़ की सरकार किसानों से कम से कम धान खरीदना पड़े, इसलिए रोज नए-नए षड़यंत्र रच रही
रायपुर 24 नवम्बर। पूर्व मंत्री व विधायक बृजमोहन अग्रवाल ने भूपेश सरकार की ओर से 1 नवंबर से धान खरीदी न करने पर गंभीर आरोप लगाया है। उन्होंने कहा है कि प्रदेश सरकार किसानों से कम से कम धान खरीदना पड़े, इसलिए रोज नए-नए षडय़ंत्र रच रही है। सरकार धान खरीदने की व्यवस्था के लिए नहीं बल्कि धान कैसे कम से कम खरीदना पड़े इसके लिए रोज बैठक कर रही है। बृजमोहन अग्रवाल ने एक बयान जारी कर कहा है कि भूपेश सरकार 2500 रुपए क्विंटल में एक-एक धान खरीदी के अपने वादे से मुकर रही है। किसान के धान का पैसा साल-साल भर, घूमा घूमाकर किसानों को दिया जा रहा है। धान की खरीदी कम करना पड़े इसलिए अधिकारियों के माध्यम से किसानों पर दबाव बनाकर खेत का रकबा मेड़, पढार, पंप हाउस के नाम पर कम किया जा रहा है।
बार-बार गिदावरी के नाम पर किसानों को परेशान किया जा रहा है। भाजपा व किसान संगठनों और किसानों ने बार-बार 1 नवंबर से धान खरीदी चालू करने की मांग की। किंतु सरकार अपनी हठधर्मिता दिखाते हुए 1 नवंबर से धान खरीदी चालू नहीं की। धान खरीदी की तिथि 1 माह बढ़ा दी। किसानों के सामने परेशानी खड़े कर दी है। अभी हुई बेमौसम बारिश में एक ओर जहां किसानों के कटे हुए धान कोठार में खराब हो गए तो वहीं अनेक किसानों के धान बारिश के कारण खेत में सो गए हैं। पानी से खराब हो गए हैं। आखिर इसके लिए जिम्मेदार ये सरकार की लापरवाह व्यवस्था ही है। अगर सरकार ने समय रहते तैयारी कर 1 नवंबर से धान खरीदी चालू कर देती तो बहुत सारे किसान इस आपदा में बच सकते थे। एक सप्ताह बाद पूरे प्रदेश में धान की खरीदी होनी है, पर सरकार ने पर्याप्त बारदाने सहित अन्य व्यवस्था अभी तक नहीं की है। प्रदेश के अनेक समितियों में पिछले धान खरीदी का धान अभी तक नहीं उठाया गया है। अनेक भंडारण स्थलों पर खराब हो चुके धान भारी तादात में अभी भी रखे हुए हैं।