November 24, 2024

कोयला कर्मचारियों की सेवानिवृत्ति उम्र 62 वर्ष कराने के प्रस्ताव का झूठा प्रचार- हरिद्वार सिंह

कोयला कर्मचारियों का सेवानिवृत्ति की उम्र 62 साल कराने का प्रस्ताव, कोल इंडिया चेयरमैन के द्वारा मंजूर, प्रधानमंत्री के पास फाइल अनुमोदन के लिए गई है, इससे बड़ा झूठ और क्या हो सकता है- हरिद्वार सिंह

बिलासपुर 24 अगस्त। एसईसीएल के कई क्षेत्रों में सुनियोजित भ्रामक प्रचार किया जा रहा है कि कोल इंडिया चेयरमैन के साथ एक नेता ने मिलकर कोयला कर्मचारियों का नौकरी करने का 62 साल उम्र का प्रस्ताव मंजूर करा दिया है, भारत के प्रधानमंत्री के पास फाइल अनुमोदन के लिए गई है, इससे बड़ा झूठ और क्या हो सकता है मजदूर साथी पढ़े लिखे हैं, अनपढ़ गवार नहीं हैं, किस के अधिकार क्षेत्र में 62 साल उम्र करना है, इसको अच्छी तरह से समझते हैं। जो सरकार 9.4.0 को इसलिए बंद कर दिया की आश्रितों को रोजगार लगेगी, कोयला उद्योग का मेन पावर बढ़ेगा, जो सरकार फीमेल वीआरएस पर रोक लगा दिया, जो सरकार मेन पावर को कम करने के लिए मजदूरों को वीआरएस देने का प्रस्ताव लेकर के आई, जो सरकार जिन भू स्वामियों की जमीन कोल इंडिया द्वारा अधिग्रहित की जा रही है उनके आश्रितों को नौकरी न देकर केवल पैसा देने का प्रस्ताव लाई हो, जो सरकार हजारों आईटीआई प्रशिक्षित नौजवानों को प्रशिक्षण के बाद बेदर्दी से उनको नौकरी न देकर काम से बाहर कर देती हो, जो प्रबंधन बीमारी के कारण अथवा किसी कारण से अनुपस्थित होने के बाद मजदूरों की बर्खास्तगी के बाद आरजू मिनत के बाद भी किसी एक व्यक्ति को भी रोजगार मुहैया न कराती हो, जो प्रबंधन और सरकार लिंग भेद के आधार पर लड़कियों को रोजगार देने से कतराती हो, वह सरकार कोयला मजदूरों को 60 से 62 साल उम्र करना इतनी आसानी से मान जाएगी, इससे बड़ा भ्रम और झूठ फरेब और क्या हो सकता है?

चारों यूनियन के एजेंडा में कोयला मजदूरों को 62 साल उम्र करने का प्रावधान है, 1_1 _2017 से सेवानिवृत्त कर्मचारियों को 20 लाख रुपए ग्रेच्युटी देने का भी मांग है, 17 जुलाई को जेबीसीसीआई की प्रथम बैठक में परिचय एवं औपचारिक बातचीत हुई, 62 साल उम्र करने के प्रश्न पर किसी भी यूनियन के द्वारा बात नहीं उठाई गई, जब बिंदुवार जेबीसीसीआई 11 के मांग पत्र पर बातचीत होगी तो निश्चित रूप से कोयला कर्मचारियों का उम्र 62 साल करने के सवाल पर भी सामूहिक रूप से बातचीत होगी, सिंगरैनी एस.सी.सी.एल. तेलंगाना राज्य सरकार के अधीन है, तेलंगाना सरकार ने तेलंगाना के सारे कर्मचारियों का उम्र सेवानिवृत्ति के लिए 60 वर्ष से बढ़ाकर 61 वर्ष कर दिया इसीलिए सिंगरेनी के कोयला कर्मचारियों का भी सेवानिवृत्ति की उम्र 61 वर्ष करना पड़ा। कोयला उद्योग के कर्मचारियों का 60 से 62 साल कराना बहुत कठिन काम है। कोयला मजदूरों को लोहा लेना पड़ेगा और साथ ही भारत सरकार एवं सारे सार्वजनिक क्षेत्र को कर्मचारियों को कमर कस कर के मैदान में आना पड़ेगा, तभी संभव हो पाएगा। औपचारिक बातचीत के आधार पर कोल इंडिया चेयरमैन 62 साल को मंजूर कर ले जो उनके अधिकार क्षेत्र में नहीं है।

अभी हमें जो कई क्षेत्रों से जो कुछ सुनने को मिल रहा है सदस्यता सत्यापन की आड़ में डायरी में 500 रुपए का नोट रख कर के कुछ यूनियन के नेता गण मजदूरों से मुलाकात कर रहे हैं। ऐसी संस्कृति मजदूरों के बीच में मत पैदा कीजिए कि मजदूरों के 200 वर्षों का संघर्ष का इतिहास कलंकित हो जाए, मजदूर बलिदान देता है, निर्माण करता है, राष्ट्र का निर्माता है, मजदूर का चरित्र दलाल का चरित्र नहीं हो सकता है और इसीलिए भारत सरकार की नीतियों के खिलाफ बहुत तीखा आंदोलन करना है। आज मजदूर ही सरकार से लोहा ले कर के श्रम कानून को बचाएंगे और शानदार एनसीडब्ल्यूए 11 का समझौता भी कराएंगे। किसी एक नेता का बयान था की कोलइंडिया चेयरमैन, 10 प्रतिशत वेतन समझौता के पक्ष में हैं। मजदूर साथियों को एवं अन्य ट्रेड यूनियन के मित्रों को मैं याद दिलाता हूं कि कोई भी प्रबंधन और कोई चेयरमैन अपनी मर्जी से मजदूरों का वेतन नहीं बढ़ाता है। संगठित होकर के ट्रेड यूनियनों के अगुवाई में मजदूर जब ललकारता है तब वेतन समझौता होता है। अभी तो जेबीसीसीआई 11 की वार्ता शुरू हुई है अखाड़े में जिस तरीके से दो पहलवान आमने सामने बैठ कर के किसके बाजुओं में कितनी ताकत है अभी तो अंदाजा लगा रहे हैं, कुश्ती बाकी है, उसके पहले ही 10 प्रतिशत वेतन बढ़ोतरी जैसी हल्की बात ट्रेड यूनियन के नेताओं के मुंह से शोभा नहीं देता है।

एसईसीएल एटक के केंद्रीय महामंत्री एवं जेबीसीसीआई के वैकल्पिक सदस्य कामरेड हरिद्वार सिंह ने विश्वास के साथ कहा की 12 दिसंबर 2002 को एसईसीएल का गेट उखड़वा करके फेंकवा दिया था, मजदूरों के हित में शानदार वेतन समझौता कराने के लिए कोल इंडिया का गेट उखड़वा कर फेंकवाना पड़े मंजूर है किंतु मजदूरों का अहित बर्दाश्त नहीं करेंगे। हमने कोयला खदान में मजदूरी की है, ऊपर से टपके हुए नेता नहीं है और इसीलिए मजदूरों के दर्द को अच्छी तरह से समझते हैं चारों यूनियन के नेतागण से विनम्र अपील है की ऐसी नाजुक परिस्थिति में मजदूरों के बीच में भ्रम पैदा ना करें आज विश्वास पैदा करने की जरूरत है, सदस्यता सत्यापन तो हर साल होता है किंतु इससे भी बड़ा सवाल है कोयला उद्योग को बचाना, श्रम कानून को बचाना, कोयला उद्योग में लागू सामाजिक सुरक्षा को बचाना, मजदुरों को काम के नए अवसर मिले इसकी व्यवस्था करना 9.4.0 को लागू कराना और बेहतर वेतन समझौता कराना इसीलिए उच्च प्रबंधन से मिलकर एनसीडब्ल्यूए 11 के संबंध में बात करके सस्ती लोकप्रियता के लिए मजदूरों में भ्रामक प्रचार कराना दुर्भाग्यपूर्ण है। अभी तो विश्वास का वातावरण बनाने की जरूरत है।

कामरेड हरिद्वार सिंह ने कहा कि किसी भी हालत में हमको क्षणिक लाभ के लिए झूठ भ्रम का सहारा लेकर मजदूरों में प्रचार कराने से बचना चाहिए। मैं तो आग्रह ही कर सकता हूं, मानना नहीं मानना तो साथियों के हाथ में है, मजदूरों के साथ साथ ट्रेड यूनियनों की एकता की प्रबल आवश्यकता है। आज समय की सबसे बड़ी यही मांग है हमें मांग पर ही आगे बढ़ना चाहिए। विचारधारा से ऊपर उठकर अपने पूर्वजों के बनाए रास्ते को और मजबूत करना चाहिए ताकि हमारे काम से इतिहास कलंकित ना हो ।

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