October 4, 2024

कोरबा में माफिया कानून तोड़ रहे या रखवालों की सरपरस्ती में टूट रहा? क्या चांदी की चमक में गुम हो गए शासन और एन जी टी के आदेश?

कोरबा 20 जुलाई। कोरबा में माफिया कानून तोड़ रहा है या रखवालों की सर परस्ती में टूट रहा है कानून ? यह एक बड़ा सवाल जन मानस में घर कर रहा है। इसका कारण भी स्पष्ट है। लोग खुली आँखों से कदम कदम पर कानून टूटता देख रहे हैं। ताजा मामला हसदेव नदी से अवैध रेत उत्खनन और रेत की काला बाजारी का है।
रेत परिवहन व्यवसाय से जुड़े ट्रैक्टर मालिकों ने 18 जुलाई को कलेक्टर को एक ज्ञापन दिया। इसमें कहा गया कि वर्षा ऋतु में रेत खदान बन्द है। वे ट्रैक्टर खड़ी कर लोन जमा कर रहे हैं। जबकि भारी भरकम जे सी बी से डम्फर में रेत भरकर खदान से निकाला जा रहा है और शहर में ऊंचे दर पर बेच जा रहा है। ट्रैक्टर मालिकों ने खुद को भी रेत उत्खनन औऱ परिवहन की अनुमति देने अथवा हाइवा से निकले जा रहे रेत पर रोक लगाने की मांग अपने ज्ञापन में की। ज्ञापन की प्रतिलिपि स्थानीय मंत्री से लेकर खनिज विभाग के अफसर तक को दी गई है। लेकिन ना तो ट्रैक्टर मालिकों को रेत खनन और परिवहन की अनुमति मिली ना ही हाइवा पर रोक लगी। रेत का खेल यथावत जारी है।
सूत्रों के अनुसार कोरबा सिटी कोतवाली क्षेत्र के सीतामणी और उरगा थाना क्षेत्र के भिलाई खुर्द में हसदेव नदी से रेत की कथित चोरी कर उरगा के एकराइस मिल में डम्प किया जा रहा है। यहां एक बेचिंग प्लांट लगा है। साथ ही इस मिल से दो से तीन गुना दर पर रेत की कालाबाजारी की जा रही है।जो एक हाइवा रेत 6000 में मिलता था, वह अब 17000 से 18000 में बिक रहा है। याद रहे कि पिछले माह भी इसी तरह रेत का अवैध खनन और कालाबाजारी कोरोना लॉक डाउन के दौरान की जा रही थी। ख़ास बात तो यह है कि जिला प्रशासन, खनिज विभाग और पुलिस विभाग इस काले कारोबार पर अंकुश लगाने की कोशिश करते कहीं भी नजर नहीं आते।
याद रहे कि प्रतिवर्ष बारिश में मत्स्य प्रजनन काल के कारण रेत खनन पर रोक रहती है। इस वर्ष तो एन जी टी ने भी बन्दिश लगा रखी है, लेकिन इन आदेशों का पालन नहीं हो रहा है। उरगा के राइस मिल में जांच करने पर बड़ी मात्रा में अवैध रेत का भंडार मिल सकता है। लोगों में चर्चा है कि यह काला धंधा सेटिंग से चल रहा है। रायपुर से आये किसी व्यक्ति ने ये सेटिंग कराई है।
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