आवासीय परिसरों के लिए नहीं लगाएंगे नये ट्रांसफार्मर, पुरानों से ही चलेगा काम
कोरबा 22 जनवरी। कोल इंडिया की लाभकारी कंपनी साउथ इस्टर्न कोलफील्डस लिमिटेड ने कोरबा क्षेत्र के मामले में तय कर लिया है कि किसी भी कीमत पर स्थानीय आवासीय परिसरों के लिए बिजली व्यवस्था का काम पुराने संसाधनों से ही चलेगा। यहां पर नए ट्रांसफार्मर लगाने की फिलहाल कोई योजना है ही नहीं और ना ही इस पर विचार चल रहा है।
पिछले 5 दिनों से स्थानीय स्तर पर बिजली आपूर्ति के बाधित होने के कारण पानी की सप्लाई समस्यामूलक बनी हुई है। कोरबा की कोल कंपनी की कालोनियों में समस्या बने होने के कारण एसईसीएल के कर्मचारी और उनके परिजन बेहद परेशान है। ठंड के सीजन में बिना बिजली और पानी के क्या कुछ दिक्कतें हो रही होंगी, इसका अंदाजा सहज ही लगाया जा सकता है। हर बार की तरह इस बार भी यहां बिजली आपूर्ति करने वाला उच्च क्षमता का ट्रंासफार्मर डिस्टर्ब हो गया। इसी के साथ निम्र क्षमता वाले दो ट्रांसफार्मर में भी फाल्ट आ गए। वास्तविकता यह है कि ये संसाधन कई दशक पुराने है और इनकी कार्यक्षमता न के बराबर रह गई है। इनकी आंतरिक कार्यप्रणाली अलग-अलग कारणों से बाधित होने का दौर अरसे से बना हुआ है। जानकारों का कहना है कि इनके सुधार के नाम पर हर वर्ष एसईसीएल कंपनी का ई एण्ड एम विभाग भारी भरकम राशि खर्च करता है। यह तरीका एक तरह से मृत शरीर को जबरिया जिदा करने की कोशिश जैसा है और इस चक्कर में एसईसीएल के हाथ नाकामी ही आ रही है। इन्हीं सब कारणों से एक बार फिर विद्युत संसाधन ठप हो गए। कोरबा क्षेत्र की कालोनियों में रहने वाले अधिकारियों और कर्मचारियों को भारी परेशानी झेलनी पड़ रही है। वैकल्पिक प्रयासों के नतीजन कुछ देर की राहत दी जा रही है लेकिन बाद में स्थिति जस की तस हो रही है। अब कर्मचारियों ने मान लिया है कि कारण चाहे जो हो कुल मिलाकर प्रबंधन उन्हें परेशान करने के मूड में आ गया है।
इलेक्ट्रीक एण्ड मेंटनेंस विभाग के एक अधिकारी ने फोन पर बताया कि हमारे स्तर पर केवल संसाधनों का सुधार करने और उससे ही काम चलाने के अधिकार है। इससे ज्यादा हम कुछ नहीं कर सकते। जितनी बार संसाधन बिगड़ेंगे, सुधार की प्रक्रिया की तरफ हम बढ़ेंगे। ऐसा नहीं हो सकता कि बड़ी राशि खर्चकर बड़े उपकरण खरीदें और सुविधा दें। नए विकल्पों पर कैसे काम होगा, इसकी जानकारी हमें नहीं है।