छत्तीसगढ़ साहित्य हिन्दी राकेश गुप्त निर्मल की गजल Markanday Mishra August 9, 2020 विकास के पीछे हादसों का मंजर देखा है।शिलान्यास के पाषाणों का मंजर देखा है।काल का आना तो तय है जिंदगी में,उस पे बहानों का बवंडर देखा है।ख्वाब देखने की मनाही भला किसे है,शेखचिल्ली के सपनों का खंडहर देखा है।वो गहराई जहाँ मिलती है ऊचाईयाँ,कभी मां-बाप के आँखों का समंदर देखा है।बदचलन हुई हवा तालीमगाह की,कलम वाले हाथों का खंजर देखा है।औरों से मदद की चाह में निर्मल,ख्वाहिशों का अस्थि पंजर देखा है।संस्थापक/संयोजक*कविता चौराहे पर*मुंगेली, जिला-मुंगेली, छत्तीसगढ़मो- 093027 76220 Spread the word Post Navigation Previous Corona Breaking: कोरबा जिला पंचायत सीईओ पाए गए कोरोना पॉजिटिवNext अखिल भारतीय युवा कांग्रेस स्थापना दिवस पर युवा कांग्रेसियों ने किया वृक्षारोपण Related Articles कोरबा छत्तीसगढ़ BALCO’s Kisan Mela Empowers Farmers with Sustainable Agricultural Practices Admin January 5, 2025 कोरबा छत्तीसगढ़ बालको के मोर जल मोर माटी परियोजना ने कृषि नवाचार को दिया बढ़ावा Admin January 5, 2025 कोरबा छत्तीसगढ़ मनोज शर्मा बने कोरबा जिला भाजपा अध्यक्ष Admin January 5, 2025