November 24, 2024

श्रीकृष्ण के साथ हमेशा राधा का नाम आता है, पर मुख्य पटरानी बनी रुक्मिणी : पं. त्रिपाठी

0 डुडगा में श्रीमद् भागवत ज्ञान यज्ञ सप्ताह
कोरबा। ग्राम डुडगा निवासी सेवानिवृत्त शिक्षक लल्लू डिक्सेना ने अपने पिता बंशीलाल डिक्सेना एवं माता श्याममति डिक्सेना व पूर्वजों की स्मृति में उनके मोक्षांतर्गत आयोजित भागवत कथा में लोग कथा श्रवण कर पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं। कथा वाचक भागवताचार्य पंडित चंद्रहास त्रिपाठी हैं।
पं. चंद्रहास ने कथा के दौरान कृष्ण-रुक्मिणी विवाह का वृत्तांत भक्तों को सुनाया। उन्होंने कहा कि भगवान श्रीकृष्ण के साथ हमेशा देवी राधा का नाम आता है। भगवान श्रीकृष्ण ने अपनी लीलाओं में यह भी दिखाया था कि राधा और श्रीकृष्ण दो नहीं बल्कि एक हैं। लेकिन देवी राधा के साथ श्रीकृष्ण का लौकिक विवाह नहीं हो पाया। देवी राधा के बाद भगवान श्रीकृष्ण की प्रिय देवी रुक्मणी हुईं। देवी रुक्मणी और श्रीकृष्ण के बीच प्रेम कैसे हुआ इसकी बड़ी अनोखी कहानी और इसी कहानी से प्रेम की एक नई परंपरा की शुरुआत भी हुई।
देवी रुक्मिणी विदर्भ के राजा भीष्मक की पुत्री थी। रुक्मिणी अपनी बुद्धिमता, सौंदर्य और न्यायप्रिय व्यवहार के लिए प्रसिद्ध थीं। रुक्मिणी का पूरा बचपन श्री कृष्ण की साहस और वीरता की कहानियां सुनते हुए बीता था। जब विवाह की उम्र हुई तो इनके लिए कई रिश्ते आए, लेकिन इन्होंने सभी को मना कर दिया। इनके विवाह को लेकर माता-पिता और भाई रुक्मी चिंतित थे। एक बार एक पुरोहित द्वारिका से भ्रमण करते हुए विदर्भ आए। विदर्भ में उन्होंने श्रीकृष्ण के रूप गुण और व्यवहार के अद्भुत वर्णन किया। पुरोहित अपने साथ श्रीकृष्ण की एक तस्वीर भी लाए थे। देवी रुक्मिणी ने जब तस्वीर को देखा तो वह भवविभोर हो गईं और मन ही मन श्रीकृष्ण को अपना पति मान लिया। श्रीकृष्ण ने भी रुक्मिणी के बारे में काफी कुछ सुन रखा था और वह उनसे विवाह करने की इच्छा रखते थे। जब उन्हें रुक्मिणी का प्रेमपत्र मिला तो प्रेम पत्र पढ़कर श्रीकृष्ण को समझ आया कि रुक्मिणी संकट में हैं। उन्हें संकट से निकालने के लिए श्रीकृष्ण ने अपने भाई बलराम के साथ मिलकर एक योजना बनाई। जब शिशुपाल बारात लेकर रुक्मिणी के द्वार आए तो श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का अपहरण कर लिया।
रुक्मिणी के अपहरण के बाद श्रीकृष्ण ने अपना शंख बजाया। इसे सुनकर रुक्मी और शिशुपाल हैरान रह गए कि यहां श्रीकृष्ण कैसे आ गए। इसी बीच उन्हें सूचना मिली की श्रीकृष्ण ने रुक्मिणी का अपहरण कर लिया है। क्रोधित होकर रुक्मी श्रीकृष्ण का वध करने के लिए उनसे युद्ध करने निकल पड़ा था। रुक्मि और श्रीकृष्ण के मध्य युद्ध हुआ था, जिसमें कृष्ण विजयी हुए और रुक्मिणी को लेकर द्वारिका आ गए। तत्पश्चात उनका विवाह हुआ। कथा सुनने भारी संख्या में लोग पहुंच रहे हैं और पुण्य लाभ अर्जित कर रहे हैं।

Spread the word