November 22, 2024

स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व श्रेष्ठ समाज निर्माण के लिए जरूरी : डॉ. प्रशांत

0 बाबा साहेब की जयंती पर रासेयो की ओर से संगोष्ठी का आयोजन
कोरबा।
शिक्षित समाज ही सुशिक्षित, जागृत और स्वाभिमानी देश का निर्माण कर सकता है। शिक्षा वह औजार है जो मनुष्य में विवेक और सोचने की शक्ति पैदा करता है। शिक्षा ही हमें स्वतंत्रता, समानता और बंधुत्व जैसे राष्ट्र धर्म की ओर चलना सिखाती है इसलिए युवाओं को शिक्षा प्राप्त करने को सर्वोपरि महत्व देना चाहिए। उक्त उद्गार बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 133वीं जयंती पर आयोजित संगोष्ठी में कमला नेहरू महाविद्यालय कोरबा के प्राचार्य डॉ. प्रशांत बोपापुरकर ने राष्ट्रीय सेवा योजना स्वयंसेवकों के समक्ष कही ।
कार्यक्रम का प्रारंभ भारत रत्न डॉ. भीमराव अंबेडकर के तैल चित्र पर माल्यार्पण तथा दीप प्रज्ज्वलन से हुआ। राष्ट्रीय सेवा योजना के जिला संगठक वाई.के. तिवारी ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए कहा कि बाबा साहेब ने मुश्किलों से जीतकर आगे निकलने का मार्ग बताया तथा समाज के लोगों को बौद्धिक विकास के लिए प्रेरित करते हुए मानव कल्याण को अंतिम लक्ष्य मानकर जीवन को उच्च बनाने की दिशा में युवाओं को चलने के लिए प्रेरित किया। स्वयंसेवकों को संबोधित करते हुए प्राचार्य डॉ. प्रशांत बोपापुरकर ने अंबेडकर के व्यक्तित्व तथा कार्यों में छिपे महान बनने के तत्वों से युवाओं को परिचित करवाया। एक चिंतक, दार्शनिक, समाज सुधारक, कानून विशेषज्ञ, बहुभाषी वक्ता तथा एक संपादक के रूप में उन्होंने कार्य कर समाज को जिस तरह उन्नत और आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रेरित करने का कार्य किया है, वह अद्वितीय है और आज के युवाओं को उनसे प्रेरणा और सीख लेकर कार्य करना चाहिए। संगोष्ठी में महाविद्यालय के वरिष्ठ राष्ट्रीय सेवा योजना स्वयंसेवक मनीष चंद्रा तथा जयप्रकाश पटेल ने भी अपने विचार रखे। कार्यक्रम में राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवक शाश्वत शर्मा, पूजा गुप्ता, चमन पटेल, घनश्याम साह, सन्नी राव जगताप, रामा देवांगन, अनिल पटेल, हेमलता पात्रे, सोनाली आदि ने बाबा साहेब को याद करते हुए उनके प्रति श्रद्धांजलि प्रकट की और उनके बताए मार्ग पर चलने की अपनी प्रतिबद्धता प्रकट की। आयोजन में राष्ट्रीय सेवा योजना के कार्यक्रम अधिकारी जी.एम. उपाध्याय, प्रीति द्विवेदी, कर्मचारी दुर्गा शंकर पटेल, सत्येंद्र कुमार, संजीव कुमार आदि का भी सक्रिय योगदान रहा।

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