November 7, 2024

अब उपार्जन केंद्र पहुंचेंगे किसान, सरकार बनने का था इंतजार

0 भाजपा ने 3100 प्रति क्विंटल की दर पर धान की खरीदी का किया है वादा
कोरबा।
प्रदेश में सत्ता परिवर्तन हो चुका है। 3100 प्रति क्विंटल की दर पर धान की खरीदी करने वाली भारतीय जनता पार्टी छत्तीसगढ़ की सत्ता पर आसीन हो रही है। माना जा रहा है कि अगले कुछ दिनों में किसानों के द्वारा धान की बिक्री उपार्जन केंद्रों में की जाएगी। वे विधानसभा चुनाव परिणाम के इंतजार में थे।
कोरबा जिले में इस बार 69524 हेक्टेयर में किसानों ने धान की फसल ली है। बढ़ोतरी के साथ 65 जगह पर धान का उपार्जन करना सुनिश्चित किया गया है, जहां किसानों ने अपना रजिस्ट्रेशन धान बेचने के लिए किया है। सरकारी कार्यक्रम के अंतर्गत 1 नवंबर 2023 से कोरबा सहित सभी जिलों में धान की खरीदी शुरू कर दी गई है, लेकिन चुनाव संबंधी कारणों से काफी कम धान धान इन केंद्रों में पहुंची है। एक महीना बीतने के बाद धान की यह मात्रा ऊंट के मुंह में जीरा के समान है। इसके पीछे सबसे बड़ी वजह धान के पूर्व घोषित समर्थन मूल्य और बाद में चुनावी घोषणा के अंतर्गत दी जाने वाली राशि को माना जा रहा है। भारत सरकार ने विभिन्न प्रकार के अनाज की खरीदी के लिए अलग-अलग समर्थन मूल्य घोषित किया है, जिसमें धान के लिए 2200 रुपये की राशि प्रति क्विंटल के लिए फिक्स है। चुनावी सीजन में किसानों के लिए कांग्रेस और भाजपा के द्वारा आकर्षक ऑफर पेश किए गए थे। कांग्रेस ने 3200 का ऑफर दिया था तो भाजपा ने सरकार बनने पर 3100 रुपये की दर पर धान खरीदने की घोषणा की थी। ऐसे में किसान असमंजस में थे कि आखिर बिक्री अभी करें या बाद में। इसी का नतीजा रहा कि एक महीने तक खेतों से काटी गई फसल उपार्जन केंद्रों तक नहीं पहुंच सकी। 3 दिसंबर को चुनाव के नतीजे सामने आने के साथ भाजपा की सरकार बनने का रास्ता साफ हो गया है। कोरबा जिले के धान खरीदी केंद्रों से संबंधित कर्मचारियों ने संभावना जताई है कि एक-दो दिन में टोकन के साथ-साथ धान आने की रफ्तार बढ़ सकती है। योजना के अनुसार जिन किसानों ने इससे पहले धान का विक्रय कर दिया है वे स्वाभाविक रूप से अंतर की राशि पाने के पात्र होंगे, जबकि आगामी तिथि में उपार्जन करने वालों को नई दर से भुगतान होगा। जिले के सभी खरीदी केंद्रों में आवश्यक तैयारी पहले से ही की जा चुकी है। इधर मौसम परिवर्तन और बारिश की संभावना को ध्यान में रखने के साथ धान को भीगने से बचाने को लेकर जरूरी जतन किए जा रहे हैं।

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