November 7, 2024

हमें प्रभु का भक्त नहीं उनका सेवक बन कर अपने जीवन की डोर सौंप देनी चाहिए, फिर प्रभू हमें कभी नहीं छोड़ेंगे न हम उन्हें : मां मदाकिनी

0 श्रीराम जानकी मंदिर प्रांगण हरदीबाजार में श्रीराम कथा एवं श्रीराम विवाह, श्रीराम नाम जप एवं लेखन अनुष्ठान
-विनोद उपाध्याय

कोरबा (हरदीबाजार)।
लीलागर नदी हरदीबाजार के तट पर स्थित श्रीराम जानकी मंदिर प्रांगण में शताब्दी वर्ष के उपलक्ष्य में त्रिबिध कार्यक्रम श्रीराम कथा एवं श्रीराम विवाह, श्रीराम नाम जप एवं लेखन अनुष्ठान का आयोजन किया जा रहा है। व्यास पीठ से दीदी मां मंदाकिनी श्रीराम किंकर कथा श्रवण करा रही हैं।
उन्होंने कथा विस्तार करते हुए कथा प्रसंग में बताया कि जब प्रभु श्री राम व लक्ष्मण घनघोर जंगल में घूमते हुऐ पहुंचे, तो वानर राज सुग्रीव को गुप्तचरों से सूचना मिली कि दो नौजवान युवक चेहरे पे तेज, प्रतापी स्वरूप राजकुमार जंगल में घूम रहे हैं। तब वे हनुमान को बुलाकर उन्हें अपने पास लाने को कहा। जब हनुमान वानर रूप में श्री राम प्रभु के पास पहुंचे और उन्हें वानर राज सुग्रीव का परिचय देते हुए अपने को भक्त नहीं दास (सेवक) कहा। जैसे आप अपने राज्य से वन में वैसे ही महराज सुग्रीव भी राज्य से बाहर उस पहाड़ी के ऊपर रहते हैं। प्रभु आप व महराज सुग्रीव में कोई अंतर नहीं है। महराज सुग्रीव ने आप दोनों को लेने भेजा है। आप दोनों को उस पहाड़ी तक पहुंचने में बहुत कठिनाई होगी और आप दोनों चलते चलते थक जाऐंगे तो आप दोनों मेरे कंधे पर बैठ जायें और जोर से मेरे कंधे को पकड़ लें जिससे आप सम्हले रहेंगे और गिरेंगे नहीं ऐसा हनुमान ने प्रभु श्री राम व लक्ष्मण से कहा। वीर हनुमान का कहने का तात्पर्य यह है कि प्रभु ये जो मौका मिला है उसे मैं ऐसे ही नहीं जाने दूंगा। आप को मैंने अपने जीवन की डोर सौंप दी और आप उसे अच्छे से पकड़े रहेंगे तो मुझे कोई परवाह नहीं होगी। मां मंदाकिनी ने कहा कि यदि समाज में लोग पद, प्रतिष्ठा पाकर आगे बढ़ते हैं, तो उन्हें गिराने वाले भी होते हैं। ऐसे में हमें अपने कर्म, धर्म करते हुए अपने जीवन की डोर अपने प्रभु के हाथ में सौंप देना चाहिए फिर कोई चिंता नहीं करनी चाहिए। श्रीराम कथा प्रतिदिन शाम 4 से 7 बजे तक अनवरत बह रही है।

तीसरे दिन कथा श्रवण करने बोधराम कंवर, श्याम बाई कंवर, पुरुषोत्तम कंवर, मीरा कंवर, प्रमीला कंवर, मदनलाल राठौर, रमेश अहिर, चंद्रहास राठौर, रमेश अहिर, प्रभा तंवर, कदम यादव, राय सिंह तंवर, विजय जायसवाल, कन्हैया राठौर, गोपाल यादव, डॉ. अनिल पांडे, प्रो. अखिलेष पांडे, अशोक कुमार मिश्रा, प्रो. दुबे, रामरतन राठौर, रामनारायण राठौर, श्रवण कश्यप, लखन राठौर, आत्माराम कंवर, नवल कंवर, कमलकांत साहू, पप्पू कंवर, सुरेंद्र राठौर, नरेश राठौर, रामकुमार यादव, गजानंद यादव, राजाराम राठौर एवं पं. योगेश मिश्रा सहित बड़ी संख्या में बुजुर्ग, महिला-पुरुष, युवा, बच्चे कथा श्रवण करने पहंच रहे हैं। कथा समाप्ति पश्चात सभी उपस्थित श्रोताओं ने राम नाम खाली खानों में पेन से राम-राम लिख कर अपनी श्रद्धा श्रीराम के प्रति दीदी मां को भेंट की।

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