बालको की ‘उन्नति’ के रंगों से एसएचजी की महिलाएं बनी आत्मनिर्भर
बालकोनगर। वेदांता समूह की कंपनी भारत एल्यूमिनियम कंपनी लिमिटेड (बालको) ने स्वयं सहायता समूह (एसएचजी) की महिलाओं को गुलाल बनाने के लिए प्रोत्साहित किया। कंपनी के उन्नति परियोजना के अंतर्गत प्रशिक्षिण के माध्यम से एसएचजी सदस्यों ने विभिन्न उत्पाद बनाना शुरू किया है। होली त्योहार के मौके पर बनाये गुलाल से महिलाओं के जीवन में आत्मनिर्भरता के रंग भर गए हैं जो आय सृजन के लिए उनके अतिरिक्त स्त्रोत का जरिया बना।
बालको के उन्नति परियोजना के अंतर्गत डेकोराती माइक्रो-एंटरप्राइज के तहत 3 एसएचजी समूहों की महिलाएं द्वारा गुलाल बनाने का कार्य किया जा रहा है। बालको के सहयोग से 2022 में शुरू गुलाल बनाने के कार्य में मौजूदा समय में कुल 12 एसएचजी महिलाएं शामिल हैं जो होली पर स्वास्थ्य एवं पर्यावरणीय जिम्मेदारियों के प्रति भी सचेत रहने की सीख दे रही हैं।
पौधों की जड़ों और उसके पत्ते से निकाले गए प्राकृतिक रंग हमारी त्वचा के लिए सुरक्षित हैं। पर्यावरण के प्रति जागरूक को बढ़ावा देता है। उन्नति के गुलाल बायोडिग्रेडेबल और पर्यावरण के अनुकूल हैं, जो हमारे स्वास्थ्य के साथ पर्यावरण को कोई नुकसान नहीं पहुंचाता है। सुगंधित गुलाब जल और केवड़ा जैसे प्राकृतिक अवयवों से तैयार किए गए ये रंग कठोर हानिकारक रसायनों से मुक्त हैं जो आपकी त्वचा के लिए सुरक्षित और कोमल अनुभव सुनिश्चित करते हैं। बालको के उन्नति परियोजना के अंतर्गत एसएचजी सदस्यों द्वारा उन्नति इको और उन्नति हैप्पी दो प्रकार के गुलाल बनाये जा रहे हैं।
कॉर्न स्टार्च में खाद्य रंग को मिलाकर ‘उन्नति इको’ गुलाल बनाया जा रहा है तथा कॉर्न स्टार्च में पौधों के जड़ों पत्तों के रंग को मिलाकर उन्नति इको गुलाल बनाया जा रहा है जो त्वचा को बिना नुकसान पहुंचाये त्योहार के उत्सव को बढ़ा रहा है। पर्यावरण को नुकसान पहुंचाने वाले सिंथेटिक रंगों के विपरीत, ‘उन्नति हैप्पी’ सब्जी-आधारित बायोडिग्रेडेबल रंगों से बना है जो होली मनाने के लिए पर्यावरण के प्रति जागरूक विकल्प है। उन्नति इको और उन्नति हैप्पी गुलाल से त्वचा की जलन और आंखों में खुजली जैसी समस्या नहीं होगी। इसमें प्रयोग कॉर्न स्टार्च तथा फलों एवं सब्जियों के अर्क और प्राकृतिक सामग्रियों से बने गुलाल त्वचा और बालों के अनुकूल हैं।
उन्नति परियोजना के जरिए महिलाओं को अनेक गतिविधियों से जोड़ा गया है जिससे उन्हें आजीविका प्राप्त करने और खुद के पैरों पर खड़े होने में मदद मिली है। कोरबा के 45 शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग 534 स्वयं सहायता समूहों की लगभग 5744 महिलाओं को विभिन्न कार्यक्रमों से लाभ मिल रहा है। परियोजना के अंतर्गत महिला स्वयं सहायता समूहों के फेडरेशन विकास की दिशा में कार्य जारी है। महिलाओं को क्षमता निर्माण, वित्तीय प्रबंधन, सूक्ष्म उद्यमों के प्रचालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है।