November 24, 2024

मंगल राहु की युति ने बनाया अंगारक योग, सब रहें सावधान…..

विगत 22 फरवरी सोमवार को मंगल ग्रह प्रात: 5 बजकर 02 मिनट पर राशि परिवर्तन कर स्वयं की राशि मेष से वृषभ राशि में प्रवेश कर गए हैं, जहां पर 14 अप्रैल 2021 तक विराजमान रहेंगे.

ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह को एक क्रूर ग्रह माना गया है. मंगल साहस, युद्ध, क्रोध और ऊर्जा आदि का कारक माना गया है. ये एक शक्तिशाली ग्रह है. इसलिए इसका शुभ और अशुभ होना व्यक्ति के जीवन में बहुत ही महत्वपूर्ण माना गया है. ज्योतिष शास्त्र में मंगल ग्रह से मांगलिक दोष का निर्माण होता है. इस दोष को एक अशुभ योग के तौर पर देखा जाता है. यह दोष वैवाहिक संबंधी कार्यों के लिए बाधक माना गया है।

अंगारक योग का निर्माण तब होता है जब राहु और मंगल ग्रह एक साथ आ जाते हैं. 22 फरवरी से यही स्थिति बनी है. इस योग को अच्छा नहीं माना गया है. वृषभ राशि में इस योग के निर्माण से देश दुनिया पर भी इसका प्रभाव पड़ेगा. ज्योतिष शास्त्र में अंगारक योग को लड़ाई झगड़े, विवाद, आक्रमक, सड़क दुर्घटना, हिंसक,अग्नि भय की स्थितियों का कारक माना गया है।

मंगल राहु की युति प्राकृतिक और सामाजिक उठापटक की स्थिति बनाता है। यदि जन्म कुंडली में मंगल और राहु एक साथ हो तो सर्वप्रथम कुंडली में जिस भी भाव में यह योग बन रहा हो उस भाव को नियंत्रित होने वाले संघर्ष की स्थिति बनी होती है।

कुंडली में 12 भाव में अंगारक योग होने पर जीवन में हर भाव के हिसाब से नुकसान होते रहते हैं जीवन संघर्ष भरा होता है। सरकार तथा जनता के बीच टकराव हो सकता है व्यक्तिगत तौर पर भी लोगों में गुस्सा बढ़ेगा, व्यापारी भी शांत ही रहे नया इन्वेस्टमेंट ना करें । जिनका मंगल बहुत अच्छा है और वह जमीन जायदाद के कार्य में लगे है मजबूत मंगल वाले बस उसमें इन्वेस्टमेंट कर सकते हैं, बस उन्हीं को लाभ होगा। जमीन से जुड़े हुए लोगों को ऊर्जा मिलेगी बाकी लगभग सभी के लिए समय अच्छा नहीं है।

मेष, वृषभ, वृश्चिक राशि समेत इन राशियों को देना होगा विशेष ध्यान मंगल के राशि परिवर्तन और राहु के साथ बनने वाले अंगारक योग के दौरान मेष, वृषभ, वृश्चिक राशि के साथ साथ मकर राशि के जातकों को भी विशेष ध्यान देने की जरूरत है. इस दौरान क्रोध पर काबू रखें. विवाद की स्थिति से दूर रहने की कोशिश करें। अंगारक योग के दुष्प्रभाव से बचने के लिए हनुमान जी की आराधना करें । सुंदरकांड, हनुमान चालीसा आदि का पाठ अवश्य करें…

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