सुपरस्टार कमल हासन को हराने वाली बीजेपी की वनाति श्रीनिवासन कौन हैं..?
■ पहली बार कोयम्बटूर दक्षिण में खिला कमल
चेन्नई: तमिलनाडु के कोयम्बटूर दक्षिण विधानसभा सीट पर बीजेपी ने पहली बार जीत दर्ज की हैं.वही पहली बार चुनाव मैदान में उतरे मक्कलि नीधि मय्यम पार्टी के प्रमुख और सुपर स्टार कमल हसन चुनाव हार गये. इस सीट से बीजेपी उम्मीदवार वनाति श्रीनिवासन ने जीत दर्ज की.
वनाति श्रीनिवासन को 52,627 वोट मिले हैं जबकि कमल हासन को 51087 वोट मिले हैं। सुपरस्टार कमल हसन को पूरा देश जानता हैं जबकि वनाति श्रीनिवासन को भले
ही उत्तर भारत में कम लोग जानते हैं लेकिन दक्षिण भारत खासतौर पर तमिलनाडु में पार्टी का चर्चित चेहरा हैं।वनाति श्रीनिवासन बीजेपी की राष्ट्रीय महिला मोर्चा की अध्यक्ष हैं और कोयम्बटूर दक्षिण में लंबे समय से काम कर रही हैं।
राजनीति के मैदान में पहली बार किस्मत आजमाने उतरे सुपर स्टार से राजनेता बने कमल हासन ने इस सीट को आसान समझ कर चुना था लेकिन बीजेपी की उम्मीदवार वनाति श्रीनिवासन ने धूल चटा दी। एक तरफ कमल हासन को जहां अपने स्टारडम के सहारे राजनीति की पिच पर अच्छे स्कोर का भरोसा था तो वनाति का इस क्षेत्र में लंबे समय से डटे रहना काम आया।
कमल हासन ने जब इस सीट पर लड़ने का ऐलान किया था तो उनके स्टारडम के बावजूद कमल हासन की जीत कठिन मानी जा रही थी। इसकी वजह बड़ी संख्या में मिडल क्लास और अपर मिडल क्लास आबादी वाली इस विधानसभा सीट में 12 प्रतिशत सवर्ण वोटर हैं जो उत्तर भारतीय मूल के हैं। इन्हें बीजेपी का सपोर्टर समझा जाता है। इस सीट पर 10 प्रतिशत से अधिक अल्पसंख्यक मतदाता हैं। वनाति श्रीनिवासन ने पिछले विधानसभा चुनाव में भी इस सीट से किस्मत आजमाई थी लेकिन तब हार गई थीं। हालांकि उन्होंने अच्छा प्रदर्शन करते हुए तीसरा स्थान हासिल किया था।
बता दे कि कोयम्बटूर दक्षिण सीट का गठन 2008 में हुआ था। पहली बार 2011 में इस सीट पर हुए चुनाव में बीजेपी उम्मीदवार को सिर्फ 5 हजार वोट मिले थे लेकिन 2016 में बीजेपी ने यहां से वनाति श्रीनिवासन को मैदान में उतारा था। श्रीनिवासन ने जोरदार चुनाव लड़ा और तीसरे नंबर पर रहीं। उन्हें 21 प्रतिशत के साथ 33,113 वोट मिले थे। 2016 के चुनाव में इस सीट पर एआईएडीएमके के उम्मीदवार अर्जुनन ने 59,788 वोट पाकर जीत हासिल की थी। उधर कांग्रेस के उम्मीदवार मयूर जयकुमार को 42369 वोट मिले थे और वह दूसरे नंबर पर थे। इस बार बीजेपी को जहां पीएम मोदी के करिश्मे से तो उम्मीद थी। दूसरी तरफ एआईडीएमके के साथ गठबंधन ने भी जीत की उम्मीद को मजबूत कर दिया था।