गुलमोहर पेड़ों से पत्ते गायब, सेमिलूपर इल्ली का प्रकोप
कोरबा 13 सितंबर। सेमिलूपर इल्ली के प्रकोप से शहर भर के गुलमोहर पेड़ों से पत्ते गायब हो चुके है। सफेद और काली धारी वाले कीड़े के प्रभाव से अन्य पेड़ पौधे भी प्रभावित हैं। सड़क किनारे लगे पेड़ों में कीट प्रकोप के के कारण बारिश में भी पतझड़ जैसी दशा हो गई है।
पनपते हुए कीड़े शहर के सड़क किनारे लगे पेड़ों के अलावा उद्यान को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। सेमिलूपर कीट का प्रकोप बीते वर्ष भी देखा गया था। कृषि विज्ञान केंद्र के कीट रोग विशेषज्ञ एमएस उर्रे का कहना है कि कम तापमान और अनुकूल वातावरण के कारण कीट पनप रहे हैं। धूप तेज होते ही कीड़े खुद नष्ट हो जाएंगे। पेड़ों को कीड़े से निजात दिलाने के लिए क्लोरो क्वारीफास नामक दवा की छिड़काव की जा सकती है। गुलमोहर आकर्षक होने के साथ एक ऐसा पेड़ है जो शीघ्र विकसित होता है। रोग को देखते हुए दवा का छिड़काव पेड़ की पूरी ऊंचाई तक कर पाना मुश्किल है। बहरहाल पेड़ों की सुरक्षा के लिए प्रशासन की ओर से अभी तक कोई पहल नही की गई है। शहर में ज्यादातर जगहों में सड़क किनारे गुलमोहर के पेड़ लगे हैं। घंटाघर मार्गए बुधवारी बायपासए पंप हाउस सहित विभिन्ना जगहों में लगे गुलमोहर पेड़ों के पत्तो को कीड़े चट कर गए हैं। कालोनियों के उद्यानो में लगे गुलमोहर पेड़ों से गिरकर कीड़े घर आंगन में पहुंच रहे हैं। पनपते कीड़े से लोग हलकान हैं।
पेड़ के नीचे रखे दोपहिया अथवा चार पहिया वाहन में गिरकर ये कीड़े एक स्थान से दूसरे स्थान पहुंच रहे हैं। अनुकूल वातावरण होने से ग्रामीण व उपनगरीय क्षेत्रों में दीपकाए कटघोराए बाकीमोगराए बालकोए पालीए ढेलवाडीह आदि जगहों के पेड़ों को भी कीड़े नुकसान पहुंचा रहे हैं। गुलमोहर के बड़े पेड़ों के अलावा बारिश में पनप रहे छोटे पौधों पर भी इसका असर है। पेड़ के पत्तों के अलावा टहनी को भी नुकसान पहुंचा रहे हैं। गुलमोहर का फूल ग्रीष्म खिलता है। कीड़े का प्रकोप की वजह से पत्तों को फिर से तैयार होने में समय लगता है। जिसका असर पेड़ के विकसित होन पर पड़ रहा है। नीमए आमए जामुन जैसे पेड़ों में कीड़े का प्रकोप नहीं है।