सब्जियों की महंगाई से रसोई का जायका हुआ फीका
कोरबा 17 अक्टूबर। सब्जियों के दाम आसमान को छू रहे हैं। पखवाड़े भर से 60 रूपए किलो चल रहा टमाटर कम होने का नाम नहीं ले रहा है। बीते माह हुई बारिश से स्थानीय बाड़ी में तैयार होने वाली सब्जियां नष्ट हो गई है। सब्जी मंडी पूरी तरह से नागपुर और बैंगलुरू से आने वाली सब्जियों पर निर्भर है धनिया पत्ती का दाम 200 रूपये पहुंच गया है। वहीं बींस और मुनगा के दाम 120 से पार हो गए हैं। सब्जियों के बढ़े दाम से गृहणियां हलकान हैं। सब्जी की महंगाई ने रसोई का जायका फीका कर दिया है।
कोरोना संकट के दौरान भी सब्जियों के दाम इतना नहीं बढ़ा था, जितना वर्तमान में हो गया है। शहर की मंडियों में बेला, कोरकोमा, पंपहाउस, पंडरीपानी, बेंदरकोना आदि स्थानों की बाड़ी से आवक कम हो गई है। किसानो ने नए सिरे से सब्जी की बोआई तो शुरू की है लेकिन नई फसल को तैयार होने में 20 से 25 दिन का समय लगेगा। स्थानीय बाड़ी से सब्जी आवक कम होने से बाजार में बिचौलियों का बोलबाला है। सबसे अधिक असर टमाटर की कीमत पर पड़ा है। मंडी दर में 30 से 35 रुपये किलो मिलने वाला टमाटर 60 से 70 रुपये भाव बिक रहा। हरी सब्जियों के दाम बढऩे से आलू की कीमत 35 रुपये प्रति किलो पहुंच गई है, वही प्याज का दाम 50 रूपये है। शुष्क सब्जियों में बड़ी, अरहर, मूंग, उड़द की कीमत में भी महंगाई की मार है। सब्जियों के बढ़े दाम का असर केवल गृहणियों रसोई तक ही नही बल्कि शहर में संचालित रेस्टारेंट में देखा जा रहा है। हरी और शुष्क सब्जी के तौर पर परोसी जाने वाली बरबट्टी, बैगन, मूली, तरोई जैसी सब्जियां थाली से गायब हैं।
आंगनबाड़ी केंद्र,स्कूलों के मध्यान्ह भोजन की थाली में हरी सब्जियां परोसना समूह की महिलाओं को भारी पड़ रहा। किसानों की माने तो बेलों में तैयार होने वाली सब्जी फसल, लौकी, करेला, कद्दू पर बारिश का अधिक असर पड़ा है। पौधों में तैयार होने वाले भिंडीए बैगन में कीट प्रकोप का असर व्याप्त है। बारिश के बाद अनुकूल वातावरण होने से सब्जियों के अलावा धान की फसल में माहो कीट का असर बशने लगा है। सब्जी के बढ़े दाम पर एक ओर मौसमी असर है वही दूसरी ओर परिवहन खर्च का असर है। पेट्रोल और डीजल के दाम 100 रुपये के आसपास होने से सब्जी के चिल्हर विक्रेताओ को मंडी से स्थानीय बाजार तक सब्जी ले जाने में अधिक कीमत चुकानी पड़ रही। इस कीमत की वसूली आम ग्राहकों से हो रही। सब्जी के बढ़े दाम का सीधा असर पौष्टिक खान पान में हो रही है।