आपत्तिजनक सामग्री के लिए व्हाट्सएप ग्रुप एडमिन परोक्ष रूप से जवाबदेह नहीं: हाईकोर्ट
कोच्चि 25 फरवरी। उच्च न्यायालय ने एक व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन के विरूद्ध पोक्सो का मामला खारिज करते हुए बड़ा फैसला सुनाया है। केरल उच्च न्यायालय ने कहा है कि किसी भी व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन या उसे बनाने वाले को उसके किसी सदस्य द्वारा पोस्ट की गई किसी आपत्तिजनक सामग्री के लिए परोक्ष रूप से जवाबदेह नहीं ठहराया जा सकता है। इस ग्रुप के एक सदस्य ने अश्लील सामग्री डाल दी थी। अदालत ने कहा कि बंबई और दिल्ली उच्च न्यायालय ने फैसला दिया है कि किसी व्हाट्सएप ग्रुप में अन्य सदस्यों के बारे में एडमिन का विशेषाधिकार बस इतना है कि वह इस ग्रुप में किसी को भी जोड़ सकता है या किसी सदस्य को हटा सकता है। यदि आप भी किसी व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन हैं तो आपके लिए राहतभरी खबर है।
केरल हाईकोर्ट ने अपने एक फैसले में कहा है कि किसी भी व्हाट्सएप ग्रुप में आने वाले किसी भी आपत्तिजनक मैसेज के लिए ग्रुप एडमिन परोक्ष रूप से जिम्मेदार नहीं होगा। कोर्ट ने यह फैसला एक मामले की सुनवाई के बाद सुनाया। दरअसल मार्च 2020 में ‘फ्रेंड्स’ नाम के एक व्हाट्सएप ग्रुप में एक वीडियो शेयर किया गया था जिसमें यौन कृत्यों में शामिल बच्चों को दिखाया गया था। इस ग्रुप को भी याचिकाकर्ता ने ही बनाया था और वही एडमिन थे। याचिकाकर्ता के अलावा दो अन्य भी एडमिन थे जिनमें से एक आरोपी था।
पहले आरोपी के खिलाफ सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम, 2000 की धारा 67 बी (ए), (बी) और (डी) और यौन अपराध से बच्चों के संरक्षण अधिनियम की धारा 13, 14 और 15 के तहत मुकदमा दर्ज किया गया था। बाद में एडमिन होने के नाते याचिकाकर्ता को भी आरोपी बनाया गया जिसके बाद याचिकाकर्ता ने हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया। कोर्ट ने कहा कि एक व्हाट्सएप ग्रुप के एडमिन के पास अन्य सदस्यों पर एकमात्र विशेषाधिकार यह है कि वह ग्रुप से किसी भी सदस्य को हटा सकता है या एड कर सकता है। किसी व्हाट्सएप ग्रुप का कोई सदस्य ग्रुप में क्या पोस्ट कर रहा है, इस पर उसका कोई नियंत्रण नहीं है। वह किसी ग्रुप के मैसेज को मॉडरेट या सेंसर नहीं कर सकता है।