November 22, 2024

मुगलकाल में जबरन किया था धर्मांतरण, अब 50 मुस्लिम परिवारों की हुई घर वापसी

बाड़मेर 9 अगस्त। विगत 5 अगस्त को अयोध्या में राम जन्मभूमि पूजन चल रहा था तो दूसरी तरफ उसी दिन राजस्थान के बाड़मेर जिले की पायला कला पंचायत समिति के मोतीसरा गांव में 50 मुस्लिम परिवारों ने खुद को हिंदू बना लिया। उन्होने यह धर्म परिवर्तन बिना किसी दबाव में आकर किया है। दरअसल वे पिछले कई सालों से हिंदू रीति रिवाज के अनुसार ही अपना जीवन जी रहे थे। लेकिन 5 अगस्त के दिन उन्होने विधिवत रूप से खुद को हिंदू धर्म में परिवर्तित कर दिया। असल में ये उनकी हिंदू धर्म में वापसी थी। दरअसल उनके पूर्वज हिंदू ही थे लेकिन मुगलकाल में उन्हें जबरन हिंदू बना दिया गया था।
मुगलकाल में पूर्वजों को बनाया था मुस्लिम
राम जन्मभूमि पूजन वाले दिन 50 मुस्लिम परिवारों के 250 सदस्यों ने बकायदा हवन यज्ञ कर और जनेऊ पहन पूर्ण विधिवत तरीके से हिंदू धर्म अपनाया। ऐसा करने वाले बुजुर्ग सुभनराम बताते हैं कि हमारे पूर्वज पहले हिंदू ही थे, लेकिन मुगलकाल में मुस्लिमों ने उन्हें डरा धमका कर मुस्लिम बना दिया था। हालांकि हम मूल रूप से हिंदू धर्म से ही ताल्लुक रखते थे। मुस्लिम लोग भी हमसे दूरी बनाकर रहते हैं।
वे आगे कहते हैं कि जब हमे अपने इतिहास के बारे में पता लगा तो हमने हिंदू धर्म अपनाने का निर्णय लिया। हमारे सभी रीति रिवाज भी हिंदू धर्म से मिलते हैं। यही वजह है कि पूरे परिवार ने हिंदू धर्म अपनाने की बात की। ऐसे में हम सभी ने यज्ञ करा और जनेऊ पहन एक बार फिर हिंदू धर्म में वापसी कर ली।
मनाते आ रहे थे हिंदू त्योहार
एक अन्य सदस्य हरजीराम बताते हैं कि हम लोग कंचन ढाढ़ी जाति से ताल्लुक रखते हैं। हमारा परिवार पिछले कई सालों से हिंदू धर्म के रीति रिवाजों का पालन कर रहा है। हम तो हर साल सभी हिंदू त्योहार भी मनाते हैं। यही वजह थी कि राम जन्मभूमि पर राम मंदिर के शिलान्यास के समारोह वाले दिन हमने हवन पूजा का कार्यक्रम रखा। इस दिन हम सभी ने हिंदू संस्कृति का पालन किया और अपनी इच्छा से हिंदू धर्म में वापसी की है। उन्होने इस बात पर भी ज़ोर दिया कि उनके परिवार के ऊपर किसी प्रकार का कोई दबाव नहीं था।
वहीं गांव के पूर्व सरपंच प्रभुराम कलबी ने भी यही कहा कि इन लोगों ने बिना किसी दबाव के यह काम किया है। उनके इस फैसले का पूरे गांव ने स्वागत किया है। बता दें कि हमारा संविधान भी यही कहता है कि आप किसी भी धर्म को अपनाने के लिए स्वतंत्र हैं। जब यह धर्मांतरण हुआ तब बाड़मेर जिले सहित आसपास के अन्य दर्जनों हिंदू संतों भी आमंत्रित किया गया था।
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